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स्वास्थ्य

शरीर बनाये फुर्तीला – मृग आसन

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मृगासन

मृग आसन या मृगासन नाम से ही महसूस होता है कि यह आसन मृग के समान होगा।

दोस्तों आसन का अर्थ बैठना भी होता है। और योगासन में जानवरों की शारीरिक स्थिति के अनुसार बैठने की क्रियाएं भी होती हैं। इसलिए इन आसनों के नाम भी उन जानवरों के नाम के आधार पर ही रखे गए हैं जिनके शरीर या उनकी शारीरिक बनावट के अनुसार हमें बैठना है। एक प्रकार से उनके बैठने की नकल करनी होती है।

आज हम मृगासन के बारे में बात करेंगे। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले जमीन पर वज्रासन की स्थिति में आराम से बैठ जाएं। फिर कमर से लेकर सिर तक के ऊपरी शारीरिक भाग को जमीन की ओर झुकाते हुए ले जाए।  स्थिति ऐसी बने की छाती तथा पेट जंघा और घुटनों पर आकर दबे। 

दोनों हाथ पीछे पैरों की ओर सीधा करते हुए ताने और सिर को आगे की ओर करते हुए नजर सीधी, सामने की ओर रखें।  नितंबों को एड़ियों से थोड़ा ऊपर उठा कर रखें। 

स्थिति ऐसी बनाएं की शरीर का अधिकतम बल घुटनों पर महसूस हो। जितनी देर हो सके सांस रोककर इस मुद्रा में रहें। थोड़ी देर इस स्थिति में रहने के बाद सांस छोड़ते हुए पूर्व की स्थिति में आएं।

यह आसन सभी उम्र के लोग आसानी से कर सकते हैं।

लाभ – इस आसन से पूरा शरीर मजबूत और लचीला बनता है। मधुमेह के रोगियों को यह आसन लाभ पहुंचाता है। वहीं पैर, पेट, कमर, गर्दन हाथों की तकलीफें दूर होती हैं। घुटनों को मजबूती मिलती है। गैस संबंधित लोगों को इससे अधिक लाभ मिलता है। पेट की चर्बी कम होती है और कमर पतला होता है।पाचन-क्रिया में सुधार आता है। पैर और गठिया संबंधित रोग दूर होते हैं। पुरुषों में यौन शक्ति को बढ़ाने में सहायक होता है।

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