व्यापार से सम्बंधित सभी कानूनी ज्ञान अब मिलेंगे एक ही पोर्टल के अंदर। विधि एवं न्‍याय मंत्रालय ने “एनफोर्सिंग कॉन्ट्रेक्ट पोर्टल” किया लॉन्च।

इस पोर्टल का लक्ष्य भारत देश में व्यापार की सुगमता को प्रोत्साहित करना और ‘अनुबंध प्रवर्तन कानून’ में सुधार करना है।

“अनुबंध प्रवर्तन” के पैमाने के मद्देनजर विधायी और नीतिगत सुधारों के सम्बंध में सूचना का समग्र स्रोत बनेगा पोर्टल।

दिल्ली, मुम्बई, बेंगलूरु और कोलकाता के समर्पित वाणिज्यिक अदालतों में व्यापारिक मुकदमों के बारे में ताजा जानकारी पोर्टल पर उपलब्ध होगी।

सीधे संदर्भ के लिये वाणिज्यिक कानूनों की पूरी जानकारी भी पोर्टल पर उपलब्ध।

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New Delhi : सचिव (न्याय विभाग) श्री बरुन मित्रा ने दिल्ली स्थित न्याय विभाग में अन्य आला अधिकारियों की उपस्थिति में दिनांक 28 जून, 2021 को एक विशिष्ट “एनफोर्सिंग कॉन्ट्रेक्ट्स पोर्टल” का उद्घाटन किया।


इस पोर्टल के द्वारा सभी व्यापारियों को व्यापारिक कानून का ज्ञान भी प्राप्त हो जाएगा। साथ ही इससे संबंधित मुकदमों की भी पूरी जानकारी मिल सकेगी।

इस पोर्टल के होमपेज पर क्या है वह नीचे दिया दिया जा रहा हैः

विश्व बैंक समूह की डूइंग बिजनेस रिपोर्ट दुनिया की 191 अर्थव्यवस्थाओं में व्यापार को कानूनी तौर पर नियमित करने का मानदंड रखती है। व्यापार सुगमता सूचकांक पर आधारित एक ऐसी रैंकिंग प्रणाली है, जिसके द्वारा किसी अर्थव्यवस्था के बारे में यह संकेत मिल जाता है कि व्यापार नियमन के 11 क्षेत्रों में वह अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में क्या हैसियत रखती है।

“अनुबंध प्रवर्तन” संकेतक एक ऐसा प्रमुख क्षेत्र है, जो व्यापार विवादों के निपटारे में लगने वाले कुल खर्च और समय के बारे में जानकारी देता है। साथ ही न्यायपालिका में उत्कृष्ट व्यवहारों के बारे में जानकारी देता है। वर्तमान समय में, सिर्फ दिल्ली और मुम्बई शहर को ही विश्व बैंक के व्यापार सुगमता सर्वेक्षण में शामिल किया गया है। कोलकाता और बेंगलूरू को भविष्य में डूइंग बिजनेस रिपोर्ट में शामिल करने की संभावना है।

विधि और न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग को, नोडल विभाग होने के नाते भारत में व्यापार सुगमता के हवाले से “अनुबंध प्रवर्तन” को मजबूत बनाने के लिये विधायी और नीतिगत सुधारों की निगरानी करता है। जिसका अर्थ यह हुआ कि जिन पक्षों में किसी व्यापार का अनुबंध किया जाये, तो उसके सिलसिले में दोनों पक्ष अपना वादा पूरा करें। इसमें उच्चतम न्यायालय और दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता और कर्नाटक के उच्च न्यायालयों की ई-समिति का सहयोग है। इन सबके साथ करीबी सहयोग की बदौलत न्याय विभाग विभिन्न सुधार उपायों का भरपूर इस्तेमाल कर रहा है, ताकि कारगर, कुशल, पारदर्शी और मजबूत “अनुबंध प्रवर्तन कानून” बनाया जा सके।


जारी इस पोर्टल में “अनुबंध प्रवर्तन” पैमानों के बारे में विधायी और नीतिगत सुधारों की समग्र सूचना उपलब्ध होगी। इसमें दिल्ली, मुम्बई, बेंगलूरु और कोलकाता के समर्पित वाणिज्यिक अदालतों में चलने वाले और निपटाये जाने वाले मुकदमों की ताजा और सभी जानकारीयां होंगी। इनसमर्पित वाणिज्यिक अदालतों को व्यापार विवादों के जल्द निपटारे के लिये स्थापित किया गया है।

व्यापारिक / वाणिज्यिक कोर्ट / अदालत और सम्बंधित सेवाओं की सूचना को सरल बनाने के लिये इस पोर्टल में कई विशेष फीचर भी शामिल किये गये हैं। जिसमें दिल्ली, मुम्बई, बेंगलूरु और कोलकाता में समर्पित वाणिज्यिक अदालतों के विवरण/लिंक; 

ई-फाइलिंग, अधिवक्ता पंजीकरण सम्बंधी जानकारी वाले वीडियो; 
न्यायाधिकारियों के लिये जस्टिस एप्प, वकीलों के लिये ई-कोर्ट एप्प जैसे इलेक्ट्रॉनिक केस मैनेजमेंट टूल्स की जानकारी शामिल है, जिन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति ने विकसित किया है; 
तथा सीधे संदर्भ के लिये वाणिज्यिक कानून की सभी जानकारी इस पोर्टल में रखा गया है।

इस नये पोर्टल में वाणिज्यिक अदालतों से जुड़े मध्यस्थता और पंचाट केंद्रों के बारे में सभी उच्च न्यायालयों द्वारा ऑनलाइन रिपोर्ट भी दी जायेगी, ताकि व्यापार मुकदमों के सिलसिले में संस्थागत-पूर्व मध्यस्थता और समझौते (पीआईएमएस) को प्रोत्साहन दिया जा सके और उसकी निगरानी हो सके। PIMS को इस उद्देश्य से स्थापित किया गया है, ताकि लंबित मुकदमों की संख्या कम हो और मध्यस्थता को बढ़ावा मिले, क्योंकि मध्यस्थता व्यापार विवाद को निपटाने का एक कारगर विकल्प है।

इस पहल से व्यापार और उससे जुड़ी मुकदमों की सभी जानकारियां समय-समय पर इस पोर्टल पर अपडेट मिलेंगी। 
इस पोर्टल का लिंक है –  

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