जमशेदपुर | झारखण्ड
सिंहभूम चैम्बर में व्यवसायी उद्यमियों को पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने किया संबोधित
सिंहभूम चैम्बर में प्रखर वक्ता एवं पत्रकार पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने व्यवसायी उद्यमियों को ‘‘वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में भारत की भूमिका’ विषय पर संबोधित करते हुये अपने विचार रखे। इस दौरान उन्होंने देश और राष्ट्र को परिभाषित करते हुये परिचर्चा में ओजस्वीपूर्ण संबोधन में उपस्थित सदस्यों के बीच जोश भरा। यह जानकारी अध्यक्ष विजय आनंद मूनका एवं मानद महासचिव मानव केडिया ने संयुक्त रूप से दिया।
अध्यक्ष विजय आनंद मूनका ने बताया कि पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ के जमशेदपुर आगमन पर चैम्बर के आग्रह पर उन्होंने चैम्बर आकर सदस्यों को संबोधित करने की स्वीकृति प्रदान की थी। सदस्यों ने श्री कुलश्रेष्ठ के भाषण से ओतप्रोत हुये। विश्व में भारत की बढ़ती साख और महत्व को लोगों के समक्ष रखा।
अपने संबोधन के दौरान पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि सिंहभूम चैम्बर ने मुझे यहां व्यवसायी एवं उद्यमियों को संबोधित करने के लिये आमंत्रित किया इसके लिये मैं चैम्बर को धन्यवाद देता हूं। उन्होंने सदस्यों को संबोधित करते हुये कहा नियति को कोई टाल नहीं सकता है अगर हमारे साथ घटना घटित होनी है तो वह होकर रहेगी। उन्होंने कहा कि व्यापारी किसी भी समाज और राष्ट्र की रीढ़ की हड्डी होते हैं। देश और राष्ट्र अलग नहीं है यह दोनों समानार्थी शब्द हैं लेकिन इनके अर्थ अलग हैं। हमें राष्ट्र के प्रति पूरी तरह समर्पित होकर समर्पण भाव से अपने कर्तव्य निभाने हैं। उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व मे हथियारों की होड़ लगी है। क्योंकि विश्व के देशों की सरकारों की सोच है कि हथियार के बल पर देश मजबूत होता है। लेकिन हथियारों से देश मजबूत बनता है राष्ट्र नहीं है राष्ट्र को मजबूत बनाती है हमारी सोच और इसके प्रति हमारा समर्पण।
हमें भारत में आक्रमणकारियों का इतिहास बढ़ाचढ़ाकर बताया गया और पढ़ाया गया जिसे जानकर हम गौरवान्वित महसूस करते रहे लेकिन हमें गौरव करना चाहिए हमारे सनातनी इतिहास पर। सनातन हिन्दुओं की कीमत को प्रति रूपये किलो चावल से आंका जा रहा है। सनातनी को जगाने के लिये किसी नये विचार की आवश्यकता नहीं है बस उन्हें जागृत करने और वास्तविकता से परिचित कराने की आवश्यकता है। सनातनी का उदय होने से आज पूरे विश्व में भारत का डंका बज रहा है जिसे हम नकार नहीं सकते। भारत फिर से विश्व गुरू बनने की राह पर है, पूरे विश्व को भारत राह दिखायेगा। में वर्ष 2013 में देश की संसद में कानून पास किया गया कि वक्फ बोर्ड एक निजी निकाय है। जिससे उन्हें ऐसी शक्ति हासिल प्राप्त हो गई कि अगर वक्फ बोर्ड के दो सदस्य यह बोल दें कि आप अभी जो निवास कर रहे हैं वह वक्फ बोर्ड की जमीन है तो आपको अपनी जमीन खाली करनी पड़ेगी। आप अपनी जमीन को अपनी बताने के लिये या शिकायत करने के लिये देश के कानून का सहारा नहीं ले सकते हैं आपको इसके लिये वक्फ बोर्ड के पास ही जाना पड़ेगा। पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने संबोधित करते हुये कहा कि मर-मर के जीन से अच्छा है एक बार जिन्दा हो के मरो।
परिचर्चा में अध्यक्ष विजय आनंद मूनका, मानद महासचिव मानव केडिया, उपाध्यक्ष अनिल मोदी, अधिवक्ता राजीव अग्रवाल, पुनीत कांवटिया, सचिव सुरेश शर्मा लिपु, बिनोद शर्मा, पूर्व अध्यक्ष उमेश कांवटिया, कृपाशंकर मूनका, मनोज गोयल, रतिश लिखरा, अजय गोयल, चन्द्रकांत जटाकिया, अशोक कुमार चौधरी, सीए धर्मेश कुमार, सीए एसके मिश्रा, सीए राजेश कुमार अग्रवाल, नवलकिशोर वर्णवाल, हर्षद गांधी, नवीन वर्णवाल, रूपक पसारी, मनोज वर्णवाल, अभय पारीख, एम.के. मूनका, राजकुमार वर्णवाल, बिमल अग्रवाल, एन.के. सिंह, नीरज तिवारी, डा0 राजेश कुमार दास, राधेश्याम अग्रवाल, रामरतन खंडेलवाल, बिनोद सरायवाला, सीए पवन अग्रवाल, अधिवक्ता राजेश अग्रवाल, रमाकांत गुप्ता, मनीष बंसल, पवन नरेडी, अनूप अग्रवाल, सेवक बट्टब्याल, अधिवक्ता सतीश सिंह, शशिभूषण ठाकुर, उमेश खिरवाल, नितेश राजगढ़िया, मुकेश भदानी, आर.के. अग्रवाल, डी. गांधी, हितेश अडेसरा, विशाल तिवारी, आशुतोष आकाश, नंदन कांवटिया, यश साह, रूचिर बाडोदरिया, शिव कुमार चौधरी, सांवरमल अग्रवाल, सांवरमल अग्रवाल, कमलकिशोर लढ्ढा, बिमल मुरारका, दिलीप कुमार शर्मा, राजेश कुमार, पिंकी सिंह, अर्चना सिंह, महेश खीरखल, जयप्रकाश मूंदड़ा, बिमल पॉल, जितेन्द्र मधेशिया, महेश साहू, कैलाश साह, के अलावा काफी संख्या में सदस्यगण उपस्थित थे।