राफेल की खरीद एक बार फिर से विवादों में घिरता दिख रहा है।
जैसा कि आप जानते हैं कि फ्रांस से भारत ने राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद आरम्भ कर दी है। वहीं इस खरीद पर आरोप भी लगाए गए थे। वैसे विरोधी दल का खास मकसद भी सरकार के कार्यों पर सवाल करना होता है इसलिए यह खास मुद्दा भी रहा है। लेकिन इन तमाम बातों को दरकिनार करते हुए इस डील को हरी झंडी मिल गई।
लेकिन फ्रांस की एक समाचार वेबसाइट ने राफेल पेपर्स नाम से एक आर्टिकल प्रकाशित किया है जिसमें यह दावा किया गया है कि इस सौदे में भ्रष्टाचार हुआ है। बात दें कि इस डील में गड़बड़ी का सबसे पहले पता साल 2016 में फ्रांस की Anti corruption agency (Agence Française Anticorruption -AFA) को मालूम हुआ। जिसमें खुलासा किया गया है कि राफेल बनाने वाली कंपनी दसौ एविएशन ने इसके लिए एक बिचौलिए को 10 लाख यूरो देने की बात स्वीकार की थी।
इस वेबसाइट के अनुसार साल 2018 में फ्रांस की पब्लिक प्रोसिक्यूशन एजेंसी PNF को राफ़ेल सौदे में गड़बड़ी की खबर मिली। जिसके अनुसार साल 2017 के ऑडिट के दौरान दासौ एविएशन के खातों की जाँच में पाया गया कि ‘क्लाइंट को गिफ्ट’ के नाम पर 508825 यूरो का खर्च दिखाया गया है।
वहीं जब AFA ने इस खर्च पर दासौ एविएशन से स्पष्टीकरण मांगा तो गत 30 मार्च, 2017 का बिल दिया गया। भारत की DefSys Solutions की तरफ से दिया गया यह बिल राफ़ेल लड़ाकू विमान के 50 मॉडल बनाने के लिए दिए ऑर्डर में से आधे काम के लिए दिया गया था। जिसमें यह बताया गया है कि इस डील में प्रति मॉडल के लिए 20,357 यूरो की राशि का बिल थमाया गया था।
वहीं अक्टूबर 2018 के मध्य में जब इस खर्च के बारे में AFA ने दासौ एविएशन से पूछताछ कि। जिसमें प्रति मॉडल 20,357 यूरो की राशि देने का जिक्र भी शामिल था।
इस खबर का केंद्र सरकार क्या जवाब देती है अभी यह देखना बाकी है।
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