जमशेदपुर : आज दिनांक 21 फरवरी 2025 (शुक्रवार) को मुरली पारामेडिकल एंड रिसर्च कॉलेज के प्रांगण में मातृभाषा दिवस का आयोजन किया गया। कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ शालिनी की वक्तव्यानुसार मातृभाषा, व्यक्ति की पहली भाषा होती है, जो उसे जन्म से ही परिवार और समाज से सीखने को मिलती है। मातृभाषा व्यक्ति की पहचान संस्कृति और भावनाओं का अभिन्न हिस्सा होती है।
इस अवसर पर मुरलीपारा मेडिकल एंड रिसर्च कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल डॉ चंदन पांडा जी के अनुसार मातृभाषा का महत्व अनेक दृष्टिकोण से देखा जा सकता है, पहले मातृभाषा सीखने और सीखाने की प्रक्रिया को प्राकृतिक और सहज बनाती है। दूसरा मातृभाषा संस्कृति और परंपराओं का वाहक होती है। एवं तीसरा मातृभाषा व्यक्ति के भावनाओं एवं विचारों को प्रकट करने का सबसे प्रभावी माध्यम है।
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कार्यक्रम में आगे शिक्षक मेघलाल साव एवं डॉक्टर सहवाल ने मातृभाषा पर अपनी-अपने विचार व्यक्त किए तथा समाज मैं इसके महत्व के बारे में बताया। साथ ही मुरली पारामेडिकल एंड रिसर्च कॉलेज के तीनों ट्रेड ड्रेसर, डिप्लोमा इन ऑपरेशन थिएटर और लैब टेक्नीशियन के विद्यार्थियों को यह भी बताया गया कि हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए।
मुरली पारा मेडिकल एंड रिसर्च कॉलेज के द्वारा अपने विद्यार्थियों को व्यवसायिक शिक्षा देने के साथ-साथ समय-समय पर देश की संस्कृति, सामाजिक एवं नैतिक शिक्षा से संबंधित कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। जिसके द्वारा बच्चों को नैतिक, पारंपरिक एवं सामाजिक मूल्यों की जानकारी होती है।
विशेष – मातृभाषा दिवस के उपलक्ष में मुरली पैरामेडिकल एंड रिसर्च कॉलेज में दिनांक 28 फरवरी तक तीनों ट्रेड ड्रेसर, डीएमएलटी और डिप्लोमा इन लैब टेक्नीशियन में नामांकन निःशुल्क हो रहा है। अत्त: जो विद्यार्थी मेडिकल के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं,वह सभी इसका लाभ उठा सकते हैं।