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झारखंड

मानगो पेयजल परियोजना : ध्यान न दिया गया तो बर्बाद हो जाएगी मानगो पेयजल परियोजना, 10 साल से किसी भी टंकी की एक बार भी नहीं हुई सफाई

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THE NEWS FRAME
  • मानगो नगर निगम के हाथों में दें मानगो पेयजल परियोजना 
  • सरयू राय ने किया रात्रिकालीन औचक निरीक्षण
  • निर्माण के वक्त का बालू और कंकड़ आज तक मौजूद, बदला नहीं गया
  • कम क्षमता के पंप खींच नहीं पाते पर्याप्त मात्रा में पानी
  • 6 के स्थान पर मात्र 3 पंप ही कर रहे हैं काम
  • आज रांची में स्वच्छता विभाग और नगर विकास विभाग के सचिव से मिलेंगे सरयू

जमशेदपुर। मानगो पेयजल परियोजना की स्थिति सुधारने और यहां के सभी घरों तक पेयजल पहुंचाने के उद्देश्य से रविवार की रात जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय और उनके जनसुविधा प्रतिनिधियों ने मानगो पेयजल परियोजना का औचक निरीक्षण किया। रात साढ़े 11 बजे से लेकर ढाई बजे तक चले इस निरीक्षण में इंटक वेल, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट और तमाम टंकियों के पास जाकर यह देखा गया कि सिस्टम किस तरीके से काम कर रहा है। ये सब देखने के बाद श्री राय ने एक प्रस्ताव दिया कि मानगो पेयजल परियोजना को पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से लेकर नगर विभाग विकास को दे दिया जाए। उन्होंने उम्मीद जताई कि मानगो नगर निगम इस परियोजना को चलाएगा तो कम से कम नगर निगम की जिम्मेदारी तो तय होगी। श्री राय मंगलवार को रांची में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव और नगर विकास विभाग के सचिव से इस मुद्दे पर बात करेंगे।

सरयू राय ने बताया कि चार घंटे के नाइट डोमिनेशन में उन्हें बेहद निराशा हुई। जिस उद्देश्य से यह महत्वाकांक्षी पेयजल परियोजना स्तापित की गई थी, उसमें लगातार गिरावट आ रही है। कई गंभीर किस्म की कमियां दिखीं। पूरे देश में पेयजल परियोजनाओं की कार्यप्रणाली में उत्तरोत्तर सुधार हो रहा है और झारखंड में जमशेदपुर में बीते 6 साल में इस परियोजना के संचालन में भारी गिरावट दिखी।

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श्री राय ने बताया कि इंटक वेल में जितने पंप लगे हैं, सभी काम नहीं कर रहे हैं। इंटक वेल के पास 6 पंप स्थापित होने चाहिए और हर पंप 375 हार्स पावर का होना चाहिए। लेकिन वहां चालू स्थिति में मात्र तीन ही पंप दिखे। जहां इंटक वेल से पानी जाता है वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में और उसकी सफाई होती है, वहां की व्यवस्था भी बेहद लचर है। कुछ भी सिस्टेमेटिक नहीं दिखा।

उन्होंने बताया कि जब रॉ वाटर जाएगा तो उसमें कितनी फिटकरी डालेंगे, कितनी ब्लीचिंग पाउडर डालेंगे, कितनी हाइपो डालेंगे, इसकी कोई व्यवस्था नहीं है। यहां के सारे पंप काम नहीं कर रहे हैं। यहां 150 हार्स पावर के तीन पंप लगाने का प्रावधान है लेकिन वहां एक पंपसेट पूर्णतः बंद है। पानी साफ नहीं हो रहा है। सिस्टम यह बनाया गया है कि एक टंकी भर जाएगी तो दूसरी टंकी भरेगी, दूसरी भर जाएगी तो तीसरी भरेगी। टंकियों में पानी पहुंचाने के लिए कम क्षमता के पंप लगाए गये हैं। इन पंपों में भी आधे बराबर खराब ही रहते हैं।

सरयू राय ने बताया कि क्षेत्र में भी ऐसे बहुत सारे स्थान हैं, जहां पाइपलाइन तो बिछा दी गई है लेकिन मेन लाइन से जोड़ा ही नहीं गया है। नतीजनतन जवाहरनगर के रोड नंबर 14 में पाइनलाइन तो बिछा दी गई पर कनेक्शन नहीं हुआ। संत कुटिया के पास मुख्य सड़क को काट कर कनेक्शन जोड़ना है लेकिन वह भी नहीं हुआ। मानगो पोस्ट आफिस रोड में गौड़ बस्ती में हरि मंदिर के समीप पाइपलाइन तो बिछा दी गई, लेकिन मात्र 5 से 7 फीट पाइपलाइन नहीं जोड़े जाने के कारण यहां पानी नहीं जा रहा है। मानगो के शंकोसाइ के एकता नगर में भी कनेक्शन छूटा हुआ है। यहां सिर्फ 5 फीट पाइपलाइन जोड़ दी जाए तो पानी जाने लगेगा। मेन लाइन के समीप जो घर हैं, वहां तो पानी जा रहा है लेकिन बस्तियों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। कारण है, कनेक्शन का ना जोड़ा जाना।

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सरयू राय ने बताया कि विडंबना यह कि इस व्यवस्था को देखने वाला कोई नहीं है। अगर कोई शिकायत करे तो उसे मॉनीटर करने और उसका समाधान करने वाला कोई नहीं। इसीलिए सोमवार की सुबह उन्होंने अपने आवास पर दो बैठकें की। एक बैठक मानगो नगर निगम के उप नगर प्रशासक, उनके अधिकारी और पेयजल स्वच्छता विभाग के सिविल के कार्यकारी अभियंता और उनके अधिकारी शामिल थे। दूसरी बैठक में पेयजल स्वच्छता विभाग के यांत्रिक प्रभाग के कार्यकारी अभियंता, एई और उनके पदाधिकारियों के साथ बैठक की। श्री राय ने सभी के सामने समस्या रखी तो यही पता चला कि इस परियजना को चलाने के लिए ठेके पर एक एजेंसी बहाल की गई है। उस एजेंसी के कार्यकलापों की सही तरह से मानीटरिंग विभाग के उच्च पदस्थ अधिकारी नहीं कर रहे हैं। नतीजा यह हुआ कि जहां पानी साफ करने के लिए फिल्टरेशन प्लांट लगाना है, उसके लिए 10 साल पहले जो बालू और कंकड़ बिछाए गए थे, वही आज तक चल रहे हैं। ये भठ गये हैं। इन्हें बदला तक नहीं गया। वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का फ्लो मीटर भी बंद है। जितनी इंडिकेटर मशीनें लगाई गई हैं, सभी बंद हैं। पानी भगवान भरोसे ही चल रहा है।

सरयू राय ने कहा कि जो पांच टंकियां बनी हैं, उनकी आज तक कोई सफाई नहीं हुई। 10 साल से ये ऐसे ही हैं। फिर स्वच्छ पेयजल कैसे मिलेगा?

सरयू राय ने कहा कि उप नगर प्रशासक, मैकेनिकल और सिविल के कार्यकारी अभियंताओं के समक्ष भी इन बातों को उन्होंने रखा। दोनों प्रशासिनक अधिकारियों ने इसे स्वीकार भी किया।

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श्री राय ने कहा कि जब तक इस प्रोजेक्ट का संचालन पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के हाथ में रहेगा, तब तक स्थिति ऐसी ही रहेगी। मानगो के हर घर में पानी नहीं दे पाएंगे। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि पेयजल एवं स्वच्छता विभाग इस परियोजना को नगर निगम को सौंप दे। नगर निगम इसको चलाए। इससे जवाबदेही सुनिश्चित होगी।

श्री राय ने कहा कि उन्हें तब आश्चर्य हुआ, जब मैकेनिकल विंग के कार्यकारी अभियंता ने कहा कि एजेंसी के ऊपर ये जिम्मेदारी है कि कोई पंप खराब होता है तो वह उसकी मरम्मत कराए मगर आज तक एजेंसी ने इन्हें कोई लॉगबुक उपलब्ध नहीं कराया जिससे ये पता चल सके कि कौन मोटर कितनी बार खराब हुआ, इसे कहां बनवाया। विभाग के जो सक्षम अधिकारी हैं, वो पता नहीं किस दबाव में हैं। वे आखिर एजेंसी के ऊपर कड़ाई क्यों नहीं कर रहे हैं? इसलिए यह जरूरी है कि मानगो नगर निगम को यह जिम्मेदारी दे दी जाए। स्वच्छता विभाग भी चाहता है कि शहरी जलापूर्ति नगर विकास विभाग करे। इसको कैसे अमल में लाया जाए, इस पर विचार करना है।

पंपहाउस चलाने वाला गायब
रात 12 बजे पृथ्वी पार्क के पास जो नई पानी की टंकी बनी है, वहां भी श्री राय और उनकी टीम पहुंची थी। वहां का पंपहाउस चलाने वाला ताला मार कर कहीं निकला हुआ था। दूसरा, उस टंकी के बारे में यह बताया गया कि उसका डिजाइन इस तरीके से किया गया है कि वहां लगा पंप तो 100 एचपी का है लेकिन वह पूरी क्षमता के साथ पानी नहीं फेंकता टंकी में। 15 से 16 घंटों में भी टंकी नहीं भर पाती।

सिस्टम की विफलता
परियोजना को चलाने में सिस्टम की विफलता सामने आ चुकी है। बालीमुगा में भी पानी का संकट है। एनएचएआई को 20 लाख रुपये किस तरीके से दिये जाएंगे कि वह सड़क काट कर पानी का प्रवाह बस्तियों में कराए। पिछले दो महीने से इस पर बात ही हो रही है। आज तक कुछ हुआ नहीं। विभाग का कहना है कि एनएचएआई को ठेकेदार एडवांस में दे दे। बिल दे। हम उसे पेमेंट कर देंगे। ठेकेदार कहता है कि हम क्यों दें। विभाग दे पैसे। जो काम कराना हो कराए हमसे। हम लोगों ने यही निष्कर्ष निकाला कि जो एमजीएम की पुराने पाइपलाइन वाली टंकी है, वहां से ही पानी आप इसको भी दे दें। नगर निगम 20 लाख रुपये एनएचएआई को दे दे ताकि बालीगुमा इलाके में पेयजल की व्यवस्था हो सके।

श्री राय के साथ औचक निरीक्षण में जनसुविधा प्रतिनिधि नीरज सिंह, पप्पू सिंह, संजीव मुखर्जी, उपेंद्र सिंह मस्तान, पिंटू सिंह, संतोष भगत, भवानी सिंह, मुकेश कुमार, वीरु सिंह, बाला प्रसाद, जीतू परमार, रवि गोराई आदि मौजूद थे।

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