मानगो के नेचर पार्क का मेन गेट |
Jamshedpur : शनिवार 10 सितम्बर, 2022
क्या भारत में अब सार्वजनिक स्थलों और पार्कों का भी होने लगा है इस्लामीकरण। इसकी वास्तविकता भारत के हर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में देखने को मिल जाएगी, जहां अल्पसंख्यक हिन्दुओं का शोषण होता आ रहा है। बता दें कि झारखंड के जमशेदपुर शहर में भी ऐसा आरम्भ हो गया है जहां पार्क में खेलने गए हिंदु लड़कों को डराया और धमकाया जा रहा है। इस पूरे प्रकरण में स्थानीय प्रशासन भी मौन है और इस्लामीकरण को बढ़ावा देते हुए पार्क में हिन्दू लड़कों को खेलने की इजाजत नहीं दी गई है। जानकारी के मुताबिक स्थानीय मुस्लिमों का कहना है कि हिन्दू लड़के यहां भारत माता की आरती नहीं कर सकते ना ही वंदे मातरम की गूंज।
बात कर रहे हैं मानगो शहर के आजादनगर थाना अंतर्गत आने वाले नेचर पार्क की जिसमें धार्मिक उन्माद फैलाने वालों की स्थिति मजबूत होती जा रही है। सार्वजनिक सम्पति के नाम पर चल रहा यह पार्क अब धार्मिक क्षेत्र बन गया है और इसमें केवल मुस्लिम बच्चे ही खेल-कूद या धर्मिक कार्यक्रम कर सकते हैं। हिन्दू कार्यक्रम और रीति रिवाज को करना यहां पूरी तरह से प्रतिबंधित है। यह बातें खेलने आये उन हिन्दू लड़कों ने बताया जिन्हें रविवार को होने वाले फाइनल कब्बडी के खेल में शामिल होना था। उन्होंने यह भी बताया कि आजादनगर थाना और शांति समिति के लोग इस मामले से कर रहे दरकिनार।
उनका कहना था कि आज वे नेचर पार्क में जमीन को समतल करने के लिए उपस्थित हुए थे। इसी क्रम में स्थानीय मुस्लिम लड़कों ने इन्हें रोका और धमकाते हुए यहां से चले जाने को कहा। थोड़ी ही देर में आजादनगर थाना दल बल के साथ आई और उन्हें मैदान को समतल करने से रोका। और एसडीओ से अनुमति लेकर आने को कहा।
बता दें कि कब्बडी प्रतियोगिता का टेस्ट मैच पिछले रविवार यानी 04 सितम्बर, 2022 को भारतीय परंपरा के अनुसार नेचर पार्क में हुआ था। इसी क्रम में कब्बडी प्रतियोगिता का फाइनल मैच रविवार दिनांक 11 सितम्बर 2022 को होना था, जिसे स्थानीय मुस्लिमों ने धर्म के नाम पर रोक दिया है। उनका कहना है कि भारत माता की आरती शंख की गूंज से उन्हें परेशानी हो रही थी। इसलिए यहां वे इस तरह की प्रतियोगिता नहीं कर सकते।
बता दें कि कब्बडी प्रतियोगिता करवाने वाले युवा और इसमें हिस्सा लेने वाले युवा परमिशन लेने के लिए एसडीओ जमशेदपुर में पास भी गये जिन्हें परमिशन नहीं दिया गया और मामला डीएफओ का बता कर पल्ला झाड़ लिया गया। उधर ये सभी बच्चे डीएफओ के कार्यालय भी गए जहां से भी इन्हें निराश लौटना पड़ा। इनके मन में अब बस एक ही सवाल है भारत में हिन्दू कब तक असुरक्षित रहेगा। कब्बडी प्रतियोगिता करवाने वाले संचालक ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए भारत सरकार से बस यही प्रश्न पूछा है कि क्या हिन्दू बच्चों को खेलने के लिए भी अब सरकारी परमिशन की आवश्यकता है? क्या देश इस्लामीकरण की ओर नहीं बढ़ रहा है?