झारखंड
मातृ स्वास्थ्य के बिना अधूरी है “स्वस्थ शुरुआत”: डॉ. अलोकानंदा रे

“Healthy Beginning” is incomplete without maternal health: Dr. Alokananda Ray
जमशेदपुर : विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025 की थीम “स्वस्थ शुरुआत, आशाजनक भविष्य” को लेकर टाटा मेन हॉस्पिटल की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अलोकानंदा रे ने मातृ स्वास्थ्य की अहमियत पर गहरा प्रकाश डाला। उनका कहना है कि “स्वस्थ मां ही स्वस्थ पीढ़ी की नींव है।”
उन्होंने बताया कि यह थीम सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक वैश्विक संकल्प है—माताओं और नवजात शिशुओं को ऐसी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना जिससे रोकी जा सकने वाली कोई भी बीमारी या मृत्यु न हो।
सरकारी योजनाएं बनीं परिवर्तन की प्रेरक शक्ति
डॉ. रे के अनुसार भारत सरकार की योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, जननी सुरक्षा योजना और जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम ने मातृ स्वास्थ्य को एक नई दिशा दी है। देश की मातृ मृत्यु दर (MMR) 100,000 जीवित जन्मों पर 97 तक आ चुकी है, जबकि कई राज्य 70 से भी नीचे हैं—जो 2030 तक WHO के सतत विकास लक्ष्य (SDG) के अनुकूल है।
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गर्भावस्था की तैयारी ही सुरक्षित प्रसव की नींव
डॉ. रे कहती हैं कि “सुरक्षित प्रसव की शुरुआत गर्भधारण से पहले होती है।” गर्भावस्था पूर्व परामर्श, कुपोषण और एनीमिया जैसे जोखिमों का पूर्व उपचार, और योजनाबद्ध गर्भधारण—ये सभी सुरक्षित मातृत्व के अहम स्तंभ हैं।
संतुलित पोषण और समय पर टीकाकरण की महत्ता
गर्भावस्था के दौरान संतुलित आहार, फॉलिक एसिड, आयरन व कैल्शियम की खुराक, और टीकाकरण (टिटनेस, डिप्थीरिया, फ्लू, काली खांसी आदि) मां और शिशु दोनों के लिए जीवन रक्षक साबित हो सकते हैं। इससे जन्म दोष, संक्रमण, और अन्य गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं को रोका जा सकता है।
फीटल प्रोग्रामिंग: गर्भकाल में बनती हैं भविष्य की बीमारियों की नींव
लेख में डॉ. रे इस ओर भी इशारा करती हैं कि गर्भावस्था के दौरान मां के शरीर का वातावरण—चाहे वह पोषण संबंधी हो या तनाव से जुड़ा—भ्रूण के जीन और विकास पर दीर्घकालिक असर डालता है। इस प्रक्रिया को फीटल प्रोग्रामिंग कहा जाता है, जो बाद में बच्चे के जीवन में मोटापा, डायबिटीज़, अस्थमा, मानसिक विकार, यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारियों के खतरे को बढ़ा सकता है।
सुरक्षित प्रसव से लेकर प्रसवोत्तर देखभाल तक, जरूरी है निरंतर निगरानी
डॉ. रे बताती हैं कि संस्थागत प्रसव और प्रभावी रेफरल सिस्टम ने मातृ स्वास्थ्य सेवाओं को नई ऊंचाई दी है। लेकिन प्रसव के बाद भी मां और शिशु की निगरानी, स्तनपान की तकनीक, सप्लीमेंटेशन, और मानसिक-सामाजिक समर्थन जारी रहना चाहिए।
स्वस्थ मां, सशक्त राष्ट्र
अंत में, डॉ. रे कहती हैं कि “मातृत्व की देखभाल केवल एक निजी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य का सवाल है।” मातृ स्वास्थ्य पर निवेश आज की नहीं, आने वाली पीढ़ियों की भी सुरक्षा है। गैर-संचारी रोगों की जड़ें अक्सर गर्भकाल में ही पड़ जाती हैं, और यही कारण है कि मातृ स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना समय की मांग है।