माँ, दुनियां का सबसे सुंदर और सबसे अनमोल शब्द है। दुनियां के सभी धर्मग्रंथों में माँ के लिए असंख्य अनगिनत अद्वितीय बातें कहीं गई है। उपनिषद में तो यहां तक लिखा गया है कि “भगवान से 10 गुना बड़ा गुरु होता है, गुरु से 100 गुना बड़ा पिता और पिता से 1000 गुना बड़ा दर्जा माँ का होता हैं।”
तो कहीं यह भी लिखा है कि माँ के चरणों में स्वर्ग होता है। माँ कई रूपों में हमारे आसपास है। धरती जो सारे संसार का पालन करती है। एक औरत जो वंश को जन्म देती है और एक बेटी जो वंश को आगे बढ़ाने में अपना योगदान देती है। लेकिन इस बेटी की इज्जत अब रह कहाँ गई है। जब भी अखबार खोलो एकाक न्यूज तो ऐसी मिल ही जाएगी जिसमें बेटी की इज्जत और उस बेटी को ही खत्म कर दिया जाता है। सबसे दुःख की बात तो यह है कि यह घटना कोई दूसरे ग्रह का नहीं हैं और ऐसा करने वाले लोग ना ही एलियन है। बल्कि वे सभी सभ्य समाज के प्रतिष्ठित कहे जाने वाले लोग ही है।
मैं यहां माँ का गुणगान करने वाला लेख लिखने नहीं जा रहा हूँ, क्योंकि जिसके बारे में ईश्वर के पास भी बोलने के लिए शब्द खत्म हो जाते हैं भला मुझ जैसा तुच्छ प्राणी माँ के लिए क्या लिखेगा। और माँ के बारे में तो असंख्य रचनाएँ विद्यमान है जो अद्वितीय है।
आज हम वास्तविकता की बात करते हैं। कुछ गिने-चुने लोग हैं जो माँ का सम्मान आज भी करते हैं। लेकिन वर्तमान में माँ कहीं खो सी गई है। हमलोगों ने माँ की ओर देखना और बात करना भी बंद कर दिया है। हमारे आसपास जैसी घटनाएं होती हैं और हम जैसा देखते हैं, वैसा ही महसूस कर निर्णय लेते जा रहे हैं।
इतना सबकुछ होने के वाबजूद भी दुनियां ने माँ के लिए एक दिन बनाया गया है। वैसे तो हर देश अपने रीति रिवाजों और संस्कृति के तहत मातृ दिवस मानते हैं लेकिन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष के मई माह के दूसरे रविवार को अंतरराष्ट्रीय मातृ दिवस (Mother’s day) मनाया जाता है। इस वर्ष भी पूरी दुनियां में 9 मई 2021 को मातृ दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया गया है।
बता दें कि यह मातृ दिवस (Mother’s day) पहली बार वर्ष 1908 में मनाया गया था, जब अन्ना जार्विस ने वेस्ट वर्जीनिया के ग्राफ्टन के सेंट एंड्रयूज मैथोडिस्ट चर्च में अपनी मां के सम्मान के लिए एक स्मर्णीय दिवस रखा था। माँ की ममता, उसका प्रेम, बंधन और समाज में माताओं का सम्मान करने का उत्सव है – मातृ दिवस (Mother’s day).
हम सभी माँ के सम्मान में कुछ न कुछ जरूर करते हैं। ऐसे ही माँ को समर्पित एक पेंटिंग मनिता महतो ने अपनी माँ भवानी देवी के लिए बनाई हैं। मनिता को बचपन से ही पेंटिंग का बहुत शौक था। स्कूल स्तर पर कई चित्रांकन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और पुरस्कार के साथ सम्मानित भी हुई है।
वह झारखंड राज्य के सराइकेला खरसावां जिलांतर्गत, चांडिल थाना क्षेत्र के घोरानेगी गाँव की बेटी है।
माता पिता का नाम रौशन करने वाली यह बेटी वर्तमान में करीम सिटी कॉलेज जमशेदपुर से बी० एस०सी० की पढ़ाई कर रही है। स्कूली शिक्षा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय चांडिल से पुरी की है। मनिता बचपन से ही मेधावी छात्रा रही है।
मनिता के पिता गंगाधर महतो जल सहिया में इंचार्ज के तौर पर काम करते हुए परिवार का भरण पोषण करते हैं। मनिता का एक बड़ा भाई प्रभात कुमार जो कि जमशेदपुर वर्कर्स कॉलेज में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहें हैं।
माता के प्रति आपका सम्मान अतुलनीय है।
केवल इस दिन ही नहीं हमें प्रतिदिन माता-पिता का सम्मान करना चाहिए। कहते हैं कि पिता के लिए की गई गलती को ईश्वर भले ही मांफ भी कर दे लेकिन माँ के लिए हुई गलती वह कभी मांफ नहीं करता। और जिसने अपने माँ-बाप को खुश कर लिया उसका तो खुदा अपने आप खुश हो जाता है।
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Bahut badhiya report bhaiya