स्पांडिलाइसिस व सर्वाइकल सम्बंधित रोगियों के लिए यह आसन अधिक फलदायक है।
भुजंगासन या सर्पासन में शरीर की मुद्रा फन उठाए हुए सर्प के समान होती है, इसलिए इसे सर्पासन या भुजंगासन कहते हैं। यह एक सरल आसन है जिसे आसानी से किया जा सकता है। ऐसे तो यह आसन सभी उम्र के महिला पुरुष कर सकते हैं, लेकिन अधिक उम्र वालों को आरम्भ में थोड़ी दिक्कत आ सकती है, किंतु अभ्यास से धीरे-धीरे सरल हो जाएगा।
भुजंगासन |
भुजंगासन करने के लिए सबसे पहले जमीन पर पेट के बल सीधा लेट जाएं। अब हाथों को कंधों के पास लाएं। हथेलियों पर बल देते हुए सिर से कमर तक का हिस्सा ऊपर आसमान की ओर ले जाएं। जितना हो सके यह हिस्सा पीछे की ओर ताने। दृष्टि ऊपर आसमान की ओर रहे।
ध्यान रहे हाथों की स्थिति एक रेखा में रहे, आगे-पीछे नहीं और पैर आपस में सटे रहें।
लाभ – इस आसन से पेट-उदर सम्बंधित सब रोग नष्ट होते हैं। कमर, मेरुदंड के रोगों का नाश होता है। वहीं कमर में लचकदार बनती है। महिलाओं के लिए यह आसन सर्वोत्तम है। इससे मोटापा में भी कंट्रोल किया जा सकता है। गर्दन, बाँह, कंधा बलिष्ठ होते हैं।
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