विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय | नई दिल्ली
मुख्य बिंदु :
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, चंद्रयान प्रक्षेपण विश्व मंच पर भारत की प्रगति में योगदान देगा, भारत की कोविड वैक्सीन की सफलता के बाद चंद्रयान-3 मिशन ही है जो भारत की स्वदेशी क्षमताओं को दोहराएगा और वैश्विक स्तर पर देश की स्थिति को मजबूत करेगा
डॉ. जितेंद्र सिंह हैदराबाद में भारत और ब्रिटेन के 11वें भारत गठबंधन वार्षिक सम्मेलन (कॉन्क्लेव) 2023 को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे
चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण से एक दिन पहले हो रहा भारत-ब्रिटेन विज्ञान सम्मेलन विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की प्रगति का प्रमाण है : डॉ. जितेंद्र सिंह
इंडिया एलायंस ने भारत में अनुसंधान प्रतिभा के अवधारण को बढ़ाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है, जिससे भारतीय शोधकर्ताओं के करियर की प्रगति, पेशेवर विकास और क्षमता निर्माण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है
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केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), अंतरिक्ष विभाग, परमाणु ऊर्जा विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि कोविड वैक्सीन के बाद, चंद्रयान -3 भारत की क्वांटम क्षमता का सूत्रपात करेगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा। उन्होंने कहा कि स्वदेशी क्षमताओं का उपयोग करके कोविड वैक्सीन विकसित करने में सफल रहा भारत चंद्रयान-3 के साथ एक बार फिर अपनी क्षमताओं को साबित करेगा।
हैदराबाद में आयोजित 11वें इंडिया अलायंस वार्षिक सम्मेलन 2023 में मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कल 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण की पूर्व संध्या पर आयोजित होने वाला इंडो-यूके साइंस कॉन्क्लेव इस बात का प्रमाण है कि विकसित देश विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत के साथ काम करने के लिए आगे आ रहे हैं।
इंडिया एलायंस भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग और यूके (ब्रिटेन) के वेलकम ट्रस्ट के बीच एक अनूठी साझेदारी है जिसका केंद्र भारत में ऐसे पैमाने पर मजबूत, विश्व स्तरीय, जैव चिकित्सकीय अनुसंधान हेतु मानव संसाधन विकसित करने पर है, जिससे देश वैश्विक स्तर पर प्रभाव डाल सके।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले 15 वर्षों में इंडिया अलायंस की प्रभावशाली कार्य यात्रा ने भारत के अनुसंधान और वित्त पोषण पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत किया है और देश में बायोमेडिकल और नैदानिक अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र में प्रभावशाली बदलाव लाने के लिए सफल कार्यान्वयन और हस्तक्षेप को सक्षम बनाया है। उन्होंने बताया कि 2019 में 10 वर्ष पूरे होने पर, इंडिया एलायंस ने अंतःविषयी और सहयोगात्मक अनुसंधान की आवश्यकता वाले आधुनिक समाज की समस्याओं का समाधान खोजने के लिए टीम वैज्ञानिक अनुदान और नैदानिक/सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान केंद्र शुरू किए हैं ।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने जोर देकर कहा कि इस वर्ष इंडिया अलायंस जैवप्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), भारत सरकार और वेलकम ट्रस्ट, यूके के बीच एक सफल साझेदारी के 15 साल पूरे कर रहा है। उन्होंने कहा कि उदार वित्त पोषण योजनाओं के माध्यम से उत्कृष्टता पर ध्यान केंद्रित करके, इंडिया अलायंस ने भारत में अनुसंधान प्रतिभा की अवधारण को बढ़ाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है और भारतीय शोधकर्ताओं के करियर की प्रगति, पेशेवर विकास पर सकारात्मक प्रभाव डाला है, इसके अलावा इसने क्षमता निर्माण में वृद्धि, प्रौद्योगिकी, नीति और व्यवहार पर प्रभाव पर एक निर्विवाद स्थिति को उत्प्रेरित किया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इंडिया अलायंस ने भारतीय अनुसंधान संस्थानों में अनुसंधान प्रबंधन के लिए क्षमता निर्माण में भी निवेश किया है, जो भारत के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए आवश्यक है। इंडिया एलायंस ने अपने अखिल भारतीय दृष्टिकोण से 589 से अधिक अनुसंधान वैज्ञानिकों को लाभान्वित किया है और पूरे भारत के 48 शहरों में 137 विभिन्न संगठनों को वित्त पोषित किया है। उन्होंने कहा कि इंडिया एलायंस की एक और पहचान राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह योजनाएं संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस जैसे देशों से विदेशी सहयोग लेकर आई हैं, जिससे भारतीय विज्ञान और अनुसंधान को वैश्विक मानकों के साथ प्रतिस्पर्धी बनाने में सहायता मिली है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि यूरोपियन मॉलिक्यूलर बायोलॉजी आर्गेनाईजेशन – ईएमबीओ के साथ इंडिया अलायंस की साझेदारी ने अनुसंधान के अब तक वंचित क्षेत्रों में इन्टरडिसिप्लिनरी वैज्ञानिक बैठकों का भी समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि कैंसर रिसर्च यूके, अफ्रीकन एकेडमी ऑफ साइंसेज के साथ साझेदारी और स्विस नेशनल साइंस फाउंडेशन की इस क्षेत्र में रुचि के बयान के माध्यम से, इंडिया अलायंस ने लगातार अंतरराष्ट्रीय सहयोग को उत्प्रेरित किया है।
मंत्री ने बताया कि टीम वैज्ञानिक अनुदान और अनुसंधान केंद अनुदान नैदानिक एवं जन स्वास्थ्य (क्लिनिकल एंड पब्लिक हेल्थ रिसर्च सेंटर ग्रांट्स) के तत्वावधान में, इंडिया अलायंस ने अंतरराष्ट्रीय और बहु-विषयक सहयोग को और अधिक सुविधाजनक बनाया है जो देश की अनुसंधान क्षमताओं को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हाल की महामारी ने ऐसे चिकित्सकों की आवश्यकता को उजागर किया है जो अनुसंधान करने के लिए प्रशिक्षित भी हों। उन्होंने कहा कि एक प्रशिक्षित चिकित्सक के रूप में, मैं अधिक चिकित्सकों को अनुसंधान में शामिल करने में सक्षम बनाकर बुनियादी, नैदानिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान के बीच अंतर को पाटने में इंडिया एलायंस द्वारा निभाई गई भूमिका को मान्यता देता हूं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कोविड के दौरान, इंडिया एलायंस से अनुदान प्राप्तकर्ताओं में से कई ने अपने संबंधित संस्थानों की आवश्यकता के अनुसार कोविड-19 निदान और उपचार में भाग लिया और कहा कि नैदानिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान क्षमता का निर्माण करने के लिए इंडिया एलायंस ने क्लिनिकल और सार्वजनिक स्वास्थ्य फैलोशिप प्रदान करने के साथ ही हाल ही में अधिक उदार क्लिनिकल और सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान केंद्र अनुदान भी प्रस्तुत किया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, इंडिया अलायंस का एक और सफल उद्यम डेवलपिंग भारत में शरीर विज्ञानियों को विकसित करने (डेवेलपिंग इंडियन फिजिशियन साइंटिस्ट्स-डीआईपीएस) की कार्यशाला है, जिसका उद्देश्य चिकित्सा और संबंधित विज्ञान की सीमाओं की समझ को बढ़ावा देने के साथ-साथ युवा चिकित्सकों में वैज्ञानिक जिज्ञासा जगाना है। इंडिया एलायंस देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। पिछले कुछ वर्षों में, इंडिया अलायंस ने वन हेल्थ रिसर्च, मल्टीमॉर्बिडिटी रिसर्च, हृदय रोग एवं गैर-संचारी रोगों जैसे सर्वाइकल कैंसर, मधुमेह की महामारी विज्ञान और आदिवासी स्वास्थ्य में अनुसंधान का समर्थन किया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि क्लिनिकल और सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान को मजबूत करने के इंडिया अलायंस के प्रयासों के परिणाम सामने आने लगे हैं। उन्होंने बताया कि ग्रांट धारकों के शोध ने गंभीर स्क्रब टाइफस के उपचार के लिए चिकित्सीय विकल्पों को प्रभावित जर्ने के साथ ही पोषक तत्वों की जैवउपलब्धता का मूल्यांकन करने के लिए नए तरीकों का पता लगाया है और रेबीज अनुसंधान में वन हेल्थ दृष्टिकोण को प्रभावित किया है तथा तपेदिक (ट्यूबरक्लोसिस) उपचार के लिए टेली-स्वास्थ्य हस्तक्षेप विकसित किया है।
समय की एक प्रमुख आवश्यकता एवं इंडिया अलायंस का विज्ञान संचार और विज्ञान की सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देना है। युवा शोधकर्ताओं को न केवल अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए बल्कि विज्ञान के प्रति जनता का विश्वास और समर्थन बनाने के लिए लिखित और मौखिक संचार कौशल के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए पूरे वर्ष विज्ञान संचार कार्यशालाएँ आयोजित की जा रही हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह कहकर अपने संबोधन का समापन किया कि इस सम्मेलन में इंडिया अलायंस से वित्त पोषित शोधकर्ता अपने ऐसे महत्वपूर्ण शोध निष्कर्ष प्रस्तुत करेंगे, जिसमें जैव चिकित्सा प्रगति, एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध, संक्रामक रोग, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य और पशु चिकित्सा अनुसंधान सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला सन्निहित होगी।
उन्होंने कहा कि यह कॉन्क्लेव सार्वजनिक सहभागिता पहलों पर भी महत्वपूर्ण चर्चा करेगा और प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने और नवाचार और प्रगति के लिए नए अवसरों को खोलने के लिए सहयोग, नेटवर्किंग और दूरदर्शी संवादों को बढ़ावा देकर स्वास्थ्य सेवा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की क्षमता का पता लगाएगा।