केरल में भारतीय नौसेना के लिए अत्याधुनिक सोनार परीक्षण केंद्र का उद्घाटन :
केरल : रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने आज केरल के इडुक्की जिले में अंडरवाटर एकॉस्टिक रिसर्च फेसिलिटी (यूएआरएफ) में “सबमर्सिबल प्लेटफॉर्म फॉर एकॉस्टिक रिसर्च एंड इवैल्यूएशन” (एसपीएसीई) नामक एक अत्याधुनिक पनडुब्बी प्लेटफॉर्म का उद्घाटन किया। यह प्लेटफॉर्म भारतीय नौसेना के लिए जहाजों, पनडुब्बियों और हेलीकॉप्टरों सहित विभिन्न प्लेटफार्मों पर लगाई जाने वाली सोनार प्रणालियों के परीक्षण और मूल्यांकन के लिए बनाया गया है।
एसपीएसीई का उद्घाटन रक्षा विभाग (आरएंडडी) के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने किया। यह नौसेना प्रौद्योगिकी में एक महत्वपूर्ण प्रगति है और इसमें दो भाग शामिल हैं:
- पानी की सतह पर तैरने वाला प्लेटफॉर्म: यह प्लेटफॉर्म विभिन्न प्रकार के उपकरणों और सेंसरों को ले जाएगा।
- पनडुब्बी प्लेटफॉर्म: जिसे 100 मीटर की गहराई तक उतारा जा सकता है।
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यह प्लेटफॉर्म वैज्ञानिकों को सोनार प्रणालियों के प्रदर्शन का व्यापक मूल्यांकन करने में मदद करेगा, जिसमें सेंसर और ट्रांसड्यूसर का परीक्षण, विभिन्न परिस्थितियों में ध्वनि तरंगों का प्रसार और डेटा संग्रह शामिल है।
एसपीएसीई की स्थापना से न केवल भारतीय नौसेना के लिए अत्याधुनिक सोनार प्रणालियों के विकास में तेजी आएगी, बल्कि यह पनडुब्बी रोधी युद्ध (एएसडब्ल्यू) अनुसंधान क्षमताओं को भी मजबूत करेगा। यह आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों से लैस प्रयोगशालाओं के साथ डेटा प्रोसेसिंग और विश्लेषण की सुविधा भी प्रदान करेगा।
यह रक्षा प्रौद्योगिकी में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
मुख्य बिंदु:
- एसपीएसीई भारतीय नौसेना के लिए जहाजों, पनडुब्बियों और हेलीकॉप्टरों पर लगाई जाने वाली सोनार प्रणालियों के परीक्षण और मूल्यांकन के लिए बनाया गया है।
- इसमें दो भाग शामिल हैं: एक पानी की सतह पर तैरने वाला प्लेटफॉर्म और एक पनडुब्बी प्लेटफॉर्म जिसे 100 मीटर की गहराई तक उतारा जा सकता है।
- यह प्लेटफॉर्म वैज्ञानिकों को सोनार प्रणालियों के प्रदर्शन का व्यापक मूल्यांकन करने में मदद करेगा और नौसेना के एएसडब्ल्यू अनुसंधान क्षमताओं को मजबूत करेगा।
- यह रक्षा प्रौद्योगिकी में भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और देश की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।