भाजपा ने खोली डॉ अजय कुमार की काली किताब, पूर्व जिलाध्यक्ष रामबाबू तिवारी ने कहा- अजय समायेदार हैं, कभी मजदूरों की रहनुमाई नहीं कर सकते, अजय कुमार का मजदूर विरोधी नीतियों और बस्तीवासियों के उत्पीड़न का रहा है लंबा इतिहास।
जमशेदपुर : पूर्वी विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी डॉ अजय कुमार क्षेत्र की जनता को गुमराह करने का एजेंडा चला रहे हैं। वे अपनी निश्चित हार को देखते हुए बौखलाहट में दूसरों पर अनाप-शनाप आरोप लगाते चल रहे हैं। यह बात एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में जिला भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रामबाबू तिवारी, चंद्रशेखऱ मिश्रा, पूर्व जिला महामंत्री राकेश सिंह ने कही। इस दौरान अजय कुमार की प्रताड़ना का शिकार हुए स्थानीय निवासी बिनोद झा एवं बिनोद प्रसाद ने भी अजय कुमार के तानाशाही रवैये पर अपनी आपबीती बताई।
भाजपा नेताओं ने कहा कि दूसरों को दलाल कहने वाले अजय कुमार ने टेल्को (टाटा मोटर्स) के डीजीएम (एचआर) रहते हुए मजदूरों का जो शोषण किया, उसे शायद हीं लोग भूले होंगे। अजय कुमार ने मजदूरों के मसीहा और तत्कालीन टेल्को वर्कर्स यूनियन के महामंत्री श्री गोपेश्वर के कड़े विरोध के बावजूद इंशेंटिव बोनस और एडिशनल बोनस, जो उत्पादन और गुणवत्ता पर आधारित था, में कटौती कर फिक्स कर दिया।
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इससे मजदूरों को भारी आर्थिक नुकसान सहना पड़ा। उस समय दोनों बोनस मिलाकर करीब 15-16 हजार रुपये मिलते थे। जो आज के हिसाब से 40-45 हजार रुपये होते हैं । फिक्स होने के चलते अब कामगारों को काफी कम बोनस की राशि मिलती है। अजय के इस निर्णय से गोपेश्वर इस कदर खफा थे कि वे वार्ता के दौरान फाइल फेंक कर निकल गए थे।
उन्होंने कहा कि अजय कुमार ने बड़ा मजदूर विरोधी कदम उठाते हुए टेल्को के श्रमिकों की चिकित्सा सुविधा में भारी कटौती की। पुराने श्रमिकों को याद होगा कि उनके माता-पिता को भी बेहतर इलाज के लिए कंपनी के खर्च पर बाहर भेजने की व्यवस्था थी,लेकिन डा अजय ने वहां जाते हीं इस सुविधा को समाप्त करवा दिया। जिसका खामियाजा आज भी टेल्को के मजदूर भुगत रहे हैं। इन्होंने अस्थयी मजदूरों का भी भारी नुकसान किया। अजय कुमार के जाने से पूर्व अस्थायी मजदूरों के आश्रितों के इलाज की व्यवस्था थी,चाहे वे ड्यूटी में रहें या न रहें। लेकिन इस व्यवस्था को भी उन्होंने हीं समाप्त कराया।
अजय कुमार ने हर साल 500 अस्थायी मजदूरों को स्थाई करने का वादा किया था,लेकिन बाद में कटौती कर दी। अस्थायी मजदूरों ने बड़ा आंदोलन किया। जब रघुवर दास झारखंड के श्रम मंत्री बने तो उन्होंने टेल्को प्रबंधन पर दबाव बना कर प्रति वर्ष 200 अस्थायी कर्मियों को स्थायी करने का समझौता कराया, जिसका अभी तक पालन हो रहा है। कैंटीन सुविधाओं में बढ़ोत्तरी कर इडली-डोसा उपलब्ध कराने का इनका वादा भी हवा-हवाई साबित हुआ था।
अजय कुमार ने टेल्को हॊस्पिटल के पार्क एंड गार्डेन के कर्मचारियों तथा मुखी समाज के सफाई कर्मचारियों को भी हटा दिया। टेल्को कंपनी अपने कर्मचारियों की सहूलियत के लिए राशन स्टोर के कर्मचारियों , संचालित स्कूलों,शिक्षकों को जो सब्सिडी देती थी,उसमें भारी कटौती की। जिससे बहुत सारे लोग प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि वाकई अजय कुमार समायेदार हैं और समायेदार कभी मजदूरों की रहनुमाई नहीं कर सकता।
हालांकि डा. अजय के मजदूरों पर चलाये जा रहे इस दमन चक्र का यूनियन महामंत्री गोपेश्वर द्वारा कड़ा विरोध किया गया। इसके जवाब में उन्होंने गोपेश्वर को भी नहीं बख्शा। उनकी कार और टेलीफोन सुविधा करीब-करीब समाप्त हीं कर दी। साथ हीं उनका साथ देने वाले युवा यूनियन पदाधिकारियों को प्रताड़ित किया और यूनियन को दो फांक कर कमजोर कर दिया। बाद में गोपेश्वर के कड़ा रुख अपनाने पर इस मजदूर विरोधी अजय कुमार को पूणे भेजा गया। लेकिन तब तक तो यह यहां के मजदूरों को भारी नुकसान पहुंचा चुका था।
जिन बस्ती वासियों के लिए अजय कुमार आज आठ-आठ आंसू बहा रहे हैं उनके खिलाफ भी उन्होंने कम दमन चक्र नहीं चलाया। आज भी टेल्को ग्वाला बस्ती के गायत्री नगर के लोगों को याद होगा कि किस तरह अजय कुमार ने पानी का पाइप लाइन कटवा कर लोगों को पेयजल के लिए तरसाया था। बर्मामाइंस रघुवर नगर के वाशिंदे भी अभी नहीं भूले होंगे कि एसपी अजयकुमार ने उन पर कितनी लाठियां बरसवायी और कितने मुकदमे किये।इसका दंश वे आज भी झेल रहे हैं। भुइयांडीह के निर्मल नगर, कल्याण नगर, भुइयां नगर में पानी के कनेक्शन को लेकर आंदोलनरत वाशिंदों पर दमन चक्र भी याद हीं होगा। उस आंदोलन में तत्कालीन विधायक रघुवर दास सहित दर्जनों नागरिकों की धुनाई इसने टाटा प्रबंधन के इशारे पर की थी।
सीतारामडेरा उरांव बस्ती जहरीली शराब कांड भी इनकी काली करतूतों का नमूना है। प्रभावित लोगों को मुआवजा दिलाने के लिए भाजपा के आंदोलन को किस तरह इसने कुचला। उस समय के विधायक रघुवर दास सहित कई लोग इसके दमन का शिकार हुए थे। बर्मामाइंस लॊन-टॊन बस्ती को एसपी रहते उसने खुद आधी रात को तोड़वाया और बहुत सारे लोगों को बेघर कर दिया। जिसे बाद में स्थानीय विधायक रघुवर दास ने दूसरी जगह बसाया, सजाया और संवारा। वहां के निवासियों ने रघुबर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए उस बस्ती का नाम ही रघुवर नगर रख दिया। फिरभी बस्ती वासियों का हितैषी होने का स्वांग अजय कुमार रच रहे हैं।
नेताओं ने कहा कि वही व्यक्ति आज कांग्रेस का नकाब पहन कर कारपोरेट सेक्टर के इशारे पर लोगों में तरह-तरह का भ्रम फैला अपना हित साधना चाहता है। क्षेत्र की जनता एक बार धोखा खा चुकी है। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि इस बार ऐसे बहुरुपिये से सावधान रहने की जरुरत है।