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भाजपा झारखंड को लूटने के लिए सत्ता हथियाना चाहती है : सुधीर कुमार पप्पू।

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सुधीर कुमार पप्पू

जमशेदपुर। भारतीय जनता पार्टी झारखंड को लूटने के लिए सत्ता हथियाना चाहती है। राज्य में 18 साल तक भाजपा सत्ता में रही, उस समय भाजपा को बांग्लादेशी घुसपैठिए नजर नहीं आए। लोग जानना चाहते हैं कि भाजपा ने अपने 18 साल के शासन में क्या विकास किया। भाजपा के लिए हिंदू मुस्लिम कार्ड काम नहीं कर रहा है।

भाजपा के पास मुख्यमंत्री के लिए कोई चेहरा नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह चाहे जितनी भी चालें चल लें, झारखंड में अब सत्ता में वापसी असंभव है। उक्त बातें समाजवादी चिंतक व अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने कही है। उन्होंने कहा कि गोपाल मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा फ्लॉप साबित हुई, जबकि भीड़ जुटाने के लिए 50 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

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मोदी ने पहले से भाजपा में रहे नेताओं को नकार दिया, अब आखिरी उम्मीद झामुमो से भाजपा में आए पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन पर है। इस बात की कतई उम्मीद नहीं है कि चंपई सोरेन कोल्हान में भाजपा को एक भी सीट दिला पाएंगे। आदिवासी समाज के लोग किसी भी कीमत पर भाजपा के कमल के फूल को वोट नहीं देंगे, यह बात भाजपा नेतृत्व को भी पता है। बहरहाल, भाजपा ने चुनाव प्रचार का आगाज जमशेदपुर से कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत गठबंधन में शामिल पार्टी पर निशाना साधा, जबकि झारखंड की जनता हेमंत सोरेन की सरकार को फिर लाना चाहती है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी झारखंड की खनिज संपदा को लूट कर पूंजीपतियों को देना चाहती है।

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श्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय खर्च पर भाजपा का प्रचार कर वापस लौट गए। जमशेदपुर के प्रेस मीडिया के माध्यम से आम जनता को जानकारी दी गई कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी वंदे भारत ट्रेन के उद्घाटन के लिए टाटानगर स्टेशन आएंगे और उद्घाटन के बाद वोल्टास भवन से रीगल तक रोड शो करेंगे।

कारण जो भी रहा हो, उद्घाटन कार्यक्रम में बदलाव कर दिया गया और परिवर्तन रैली को मुख्य चुनावी कार्यक्रम बना दिया गया। अगर हमारे प्रधानमंत्री परिवर्तन महारैली में शामिल होने के लिए इतना जोखिम उठा सकते हैं, तो उद्घाटन के लिए क्यों नहीं इस घटना से यह स्पष्ट हो गया है कि मुख्य कार्यक्रम भाजपा की परिवर्तन रैली थी न कि प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय खर्च पर वंदे भारत का उद्घाटन समारोह। परिवर्तन रैली के बजाय यह भाजपा के कद्दावर नेताओं का वर्चस्व प्रदर्शन था और केवल शक्ति प्रदर्शन की होड़ थी।

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