कोरोना काल में जॉब या नौकरी का मिलना ऐसा ही है जैसे रेगिस्तान में पानी। विश्व में बढ़ती बेरोजगारी एक प्रमुख समस्या बनती जा रही है। इस दिशा में न ही केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकारे ध्यान दे रही है। ऊपर से जनसंख्या पर अनियंत्रण।
कोरोना महामारी के कारण जहाँ एक ओर लॉक डाउन किया गया तो दूसरी ओर छोटी और मझली कंपनियों का शटर बंद हो गया। लोग बेरोजगार हो गए। लेकिन स्थिति जस की तस रही। दैनिक मजदुर की हालत तो सबसे ख़राब रही। किसी तरह लोगो ने अपना जीवन यापन किया। हजारो लोग इस बीमारी से मारे गए तो सैकड़ो लोग भुखमरी से। कोरोना काल कहे या कोरोना अभिशाप जिससे आज सारा विश्व जूझ रहा है। उम्मीद है की हम सब इससे बहुत जल्द बाहर आ जायेंगे। वर्तमान समय में धीरे-धीरे लोग अपने कार्यस्थल पर लौट रहे है। लेकिन बेरोजगारी बढ़ती जा रही है।
गूगल ट्रेंड्स के द्वारा भारत में सबसे ज्यादा रोजगार की तलाश करने वाला राज्य उड़ीसा है, और सबसे कम मिजोरम। हर वर्ष लगभग हजारो की संख्या मे बेरोजगार बढ़ते जा रहे है। प्राइवेट जॉब का मिलना भी लगभग मुश्किल ही है। ऐसे में आत्मनिर्भर भारत का सपना कहाँ तक साकार होगा यह कहना अभी मुश्किल है।
भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र (सीएमआईई) के आंकड़ों की बात करे तो 2 मार्च 2020 को जारी की गई ताजा रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी माह में देश की बेरोजगारी दर 7.78 प्रतिशत हो गई है, जो जनवरी 2020 में 7.16 प्रतिशत थी। बेरोजगारी विकराल रूप धारण करती जा रही है, उच्च शिक्षित युवाओं की बेरोजगारी दर बढ़कर लगभग 60 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
संयुक्त राष्ट्र की 2014 की एक रिपोर्ट के आधार पर विश्व में भारत में देश में सबसे अधिक युवा रहते है। जिनकी आबादी लगभग 35.6 करोड़ की है। किसी भी देश का विकास बहुत हद तक वहां के युवाओं को मिलने वाले रोजगार पर निर्भर करता है। युवाओं को पर्याप्त रोजगार न मिलने से वे अवसाद में घिर जाते है और गलत कदम उठा लेते है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार भारत में किसानों से अधिक बेरोजगारो ने आत्महत्या की है। वर्ष 2018 में 12936 लोगों ने बेरोजगारी से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। कई बार जिम्मेदारियों की मज़बूरी के कारण युवा गलत कदम उठा लेते है और गलत कार्यो में संलिप्त हो कर आपराधिक घटनाओ को अंजाम दे जाते है। यह दशा अत्यधिक सोचनीय है।
आशा है की आने वाले वर्षो में सरकार इस पर विशेष ध्यान दे।