आज सुबह, जब मैं खबरों की पडताल कर रहा था, तो हृदय विदारक एक घटना से मन विचलित हो गया। खबर पढ़ने के बाद बहुत देर तक मैं असहज महसूस कर रहा था। इस तरह की खबरों पर न तो किसी से बात की जा सकती है और न ही इस पर चर्चा की जा सकती है। तकलीफ तब और बढ़ जाती है जब ऐसी हृदय विदारक घटनाओं पर राजनीति होने लगती है। बेटी इसकी या उसकी नहीं साहब बेटियां हमारी हैं, हम सबकी है। किसी दूसरे की इज्जत से खेलने से पहले अपने घर में भी झांक ले।
हम केवल बेटियों पर प्रतिबंध लगाते हैं, कभी बेटों पर भी बेड़ियाँ लगाने की कोशिश करें। कमी लड़कों में भी हो सकती है। केवल बेटियों को ही सजा क्यों भुगतनी चाहिए?? केवल बेटी ही कब तक भुगतती रहेगी?? हमारे समाज को बदलना होगा।
बात कर रहा हूँ देश में हो रही बलात्कार की भयावह घटनाओं के बारे में, जिनकी शिकार मासूम और बेबस बच्चियाँ बन रही हैं। विषय कुछ ऐसा है जिसके बारे में न तो कुछ कहा जा सकता है और न ही कुछ सुना जा सकता है। लेकिन इस पर चर्चा न करूँ तो अपनी जिम्मेदारियों से मुँह मोड़ना हो जायेगा।
घटनाएं एक, दो या दस हो तो उन घटनाओं का जिक्र करूँ।
29 सितंबर, 2020 को जारी नवीनतम सरकारी डेटा के अनुसार, भारत में 2019 में प्रतिदिन औसतन 87 बलात्कार के मामले दर्ज हुए और वर्ष के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,05,861 मामले दर्ज हुए, जो की वर्ष 2018 से 7% से अधिक की वृद्धि हुई।
2019 में बलात्कार के कुल 32,033 मामले दर्ज किए गए, जो कि वर्ष के दौरान महिलाओं के खिलाफ सभी अपराधों का 7.3% था, जो कि आंकड़े दिखाते हैं।
वर्ष 2018 में, इसी वर्ष के आंकड़ों के अनुसार, 2017 में 32,559 से अधिक, 33,356 बलात्कार दर्ज किए गए।
है ना, चौकाने वाले आंकड़े।
आज हर दिन अख़बारों, न्यूज चैनलों में यह खबर सुर्ख़ियों में रहता है। फलाना लड़की के साथ ऐसा हुआ, फिर उसकी हत्या कर दी गयी। कुछ लोग मोमबत्ती जला लेंगे, कुछ फेसबुक, ट्विटर पर कमेंट करके अपना गुस्सा निकाल लेंगे। पर सवाल तो वही है की क्या इन सब से हैवानियत रुक रही है। एक बार सोच कर देखो अगर यही घटना किसी अपने के यहाँ हो तो ??
हम किसी को सुधार नहीं सकते, लेकिन हम सुधार कर सकते हैं। हम एक अत्याचारी और बलात्कारी के राजनीतिक समर्थन का विरोध कर सकते है। ऐसी कई घटनाएं हाल ही में हुई हैं, जिसमें एक बलात्कारी को पैसे दिए गए हैं और उसे नाबालिग बताकर जीवनयापन करने के लिए कुछ जरूरी सामान दिए गए हैं। क्या बलात्कारी के साथ ऐसा करना सही है?
हमें अपने विचारों से अवगत कराएं। ताकि हमें आपसे और भी बेहतर लेखों की प्रेरणा मिले।
सन्दर्भ : कुछ अंश thewire.in से
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