रांची : धर्म और संस्कृति किसी भी स्थान विशेष का अपना महत्व रखता है। सबकी अपनी मान्यताएं एवं परंपराएं होती हैं। क्योंकि धर्म आस्था का विषय होता है। आस्था पर छेड़छाड़ किसी को भी नहीं करना चाहिए।
दोस्तों आदिवासियों की अपनी परंपरा, धर्म व संस्कृति है जिसे लेकर झारखंड में आजकल राजनीति हो रही है।
बता दें कि कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा में बाबूलाल मरांडी को मानव शास्त्र पढ़ने की नसीहत दी थी। वहीं अब बाबूलाल मरांडी ने उन्हें दुबारा अध्ययन करने की सलाह दे डाली है।
रविवार 21 मार्च, 2021 को मीडिया से बातचीत के दौरान बाबूलाल मरांडी ने कहा की मुख्यमंत्री ने कहा था कि आदिवासी हिंदू नहीं है। शायद मुख्यमंत्री को पता नहीं है इस देश के बारे में।
वहीं आगे कहते हैं कि मुख्यमंत्री एक छोटी सी पार्टी के नेता हैं और छोटे से हिस्से में रहते हैं। देश के अंदर 600 से 700 जातियां हैं, जो अनुसूचित जनजाति में सूचीबद्ध हैं। सबकी अलग धार्मिक मान्यताएं हैं और अलग देवी-देवता को मानते हैं।
बाबूलाल मरांडी ने जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों का हवाला देते हुए कहा कि वहां कुछ मुस्लिम और क्षेत्रीय लोग भी एसटी की श्रेणी में आते हैं। वहीं झारखंड में 32 जातियां हैं। देश की बड़ी आबादी ट्रायबल है, जो अपने को हिंदू धर्म का बताती है और लिखती है। अब कोई जबर्दस्ती करे तो इसका क्या इलाज है। उनको पूरे देश का अध्ययन करना चाहिए।
बाबूलाल ने आगे कहा कि वे तो मानवशास्त्र के ज्ञाता हैं, एक बड़ी आबादी मुंडा, उरांव और संतालियों की है, जिनमें से अधिकतर इसाई बन गए हैं, तो इस बारे में हेमंत सोरेन क्या कहना चाहेंगे?
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