बांस से बने पोल पर दौड़ाये गए बिजली के तार |
Seraikela : शुक्रवार 23 दिसंबर, 2022
जिला सरायकेला – खरसावां आरआईटी (RIT) थाना अंतर्गत मिरुडीह नया बस्ती, साई नगर, गम्हरिया के वर्ड नंबर – 8 जिसे छोटा गम्हरिया के नाम से जाना जाता है वहां दांव पर लगी है हजारों लोगों की जिंदगी।
कहते हैं किसी राज्य की प्रगति देखनी है तो उस राज्य के किसी शहर से स्टे बस्तियों का हाल क्या है वो देख लीजिये, आपको समझ मे आ जायेगा। जमशेदपुर शहर के नजदीक इंडस्ट्रियल एरिया कहे जाने वाले आदित्यापुर, गम्हरिया से महज 3 km RIT थाना अंतर्गत एक बस्ती है – मिरुडीह। मिरुडीह की नयी बस्ती में साईनगर नामक एक गांव है जहा करीब सौ घर है और इन सौ घरों में यहाँ लगभग 5000 लोग रहते है। अच्छी बात यह है की यहां बिजली अपने समय के अनुसार रहती है। विद्युत विभाग ने सरकारी इलेक्ट्रिक मीटर लगा दिया है, हर महीने बिजली का बिल भी आता है और यहां के लोग हर महीने बिल भी भरते है।
खतरनाक है ये बांस के पोल |
लेकिन विद्युत विभाग द्वारा इतनी बड़ी गलती देखने लायक है। यह विचारणीय है की कोई ऐसा कर कैसे सकता है? इस गांव में बिजली तो है लेकिन पोल नहीं। यहाँ के लोग आपस मे पैसे जमा करके बांस की व्यवस्था किये और उसी को बिजली का पोल बना कर इनके ऊपर इलेक्ट्रिक तार दौड़ा दिए। इस माध्यम से वे अपने घरों तक लाइट लेने मे मज़बूर है।
बास के पोल द्वारा लाइट ले जाने के कारण कभी उनके बच्चे तो कभी उनके जानवर बिजली की चपेट मे आ जाते है।
मीरूडीह, साईनगर गांव के लोग |
इस अव्यवस्था के बारे में पूछने पर गाँव वालों ने बताया की वे लोग कई बार वहां के विधुत विभाग में जाकर इस सम्बन्ध में उन्हें सूचित किया है साथ ही, लिखित पत्र भी सौंपा है। लेकिन, उनके द्वारा आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। यहाँ कभी भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है।
बांस के पोल को दिखाते स्थानीय लोग |
सामाजिक संस्था मिशन जन कल्याण ने आगे आकर इन लोगो की मदद करने का प्रयास किया है। सामाजिक संस्था मिशन जन कल्याण के प्रतिनिधि ने बताया की विधुत विभाग में कार्यरत अनिल जी को इस जान लेवा समस्या से अवगत कराया गया था। लेकिन उनके द्वारा भी टाल -मटोल जवाब ही दिया जा रहा है। जब विधुत विभाग के अधिकारी से मोबइल पर बात करने की कोशिश की जाती है तो वे लोग सही ढ़ंग से सीधे मुंह बात तक नहीं करते।
बिजली का बिल दिखाते मीरूडीह, साईनगर गांव के लोग |
अब सवाल यह उठता है की क्या सरकार के विद्युत विभाग में बिजली के पोलों की कमी हैं ? या यहाँ भी पोल भ्रष्टाचार की बलि चढ़ गया हैं। आखिर इन गांव केसीधे साधे लोगों का कसूर क्या है जो प्रतिदिन जान जोखिम मे रख कर अपनी ज़िंदगी जीने को मज़बूर हैं। कौन जगायेगा इन सोये हुए सरकारी विधुत विभाग के कुम्भकरणों को और कहेगा – जागो मोहन प्यारे! और देखो 5000 ज़िंदगी कैसे तुम लोगो की वजह से दांव पर लगी है।