पर्वतासन |
यह आसन ताड़ासन का ही एक प्रकार है जिसे बैठ कर किया जाता है। यह आसन शरीर को बलिष्ठ बनाता है। हाथ ऊपर तानने के कारण शरीर पर्वत के समान तना हुआ महसूस होता है इसलिए इसे पर्वतासन कहते हैं।
इसे करने के लिए सबसे पहले पद्मासन की स्थिति में बैठ जाना चाहिए। मूलबंध यानी गुदा को संकुचित करते हुए दोनों हाथों को आकाश की ओर ताने जैसा ताड़ासन में करते हैं और सांस को जितना हो सके रोके। अब सांस छोड़ते दोनों हाथों को नीचे करते हुए घुटनों पर रखें। यह प्रक्रिया 15 से 20 बार कर सकते हैं या जब तक आप चाहें इसे बार-बार तक करें या जब तक थकान न महसूस हो तब तक कर सकते हैं। थक जाने पर पैर बदलते हुए पद्मासन की स्थिति में थोड़ी देर रहना चाहिए। जिससे शरीर को आराम मिले।
लाभ – इस आसन से शरीर मजबूत बनता है। शरीर में चर्बी को दूर करते हुए ढीलापन की शिकायत दूर करता है। फेफडों को मजबूत बनाता है। स्वांस संवंधित बीमारी जैसे दमा वगैरह में लाभ मिलता है। पैर मजबूत होते हैं। पुरुषों में शीघ्रपतन की समस्या दूर होती है। वहीं यह आसन करने से महिलाओं के वछ सुंदर और सुडौल बनते हैं।
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