फेक डिग्री बेचने का मामला: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने संसद में किया बड़ा खुलासा

नई दिल्ली: देश की कई प्राइवेट यूनिवर्सिटीज फेक डिग्री बेचने के आरोपों में घिर गई हैं। यह खुलासा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने संसद में एक सवाल के जवाब में किया। इस दौरान मंत्रालय ने कुछ निजी विश्वविद्यालयों के नाम भी सार्वजनिक किए, जिनके खिलाफ शिकायतें मिली हैं।

संसद में उठा मामला
संसद में यह सवाल पूछा गया कि क्या देश में कुछ प्राइवेट यूनिवर्सिटीज फेक डिग्रियां बेच रही हैं? केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने इसका जवाब देते हुए कहा कि उन्हें यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) के माध्यम से कई शिकायतें मिली हैं। इन शिकायतों में फर्जी पीएचडी डिग्रियां बेचने के आरोप लगाए गए हैं।

शिकायतों पर क्या कार्रवाई हुई?
मंत्रालय ने बताया कि इन आरोपों की जांच के लिए संबंधित राज्य सरकारों को निर्देशित किया गया है। यूजीसी ने भी इस मामले में सक्रिय भूमिका निभाई है और ऐसी शिकायतों की निगरानी के लिए एक स्थायी समिति का गठन किया है।

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इन विश्वविद्यालयों के खिलाफ मिली शिकायतें
शिकायतों के घेरे में आईं यूनिवर्सिटीज में शामिल हैं:

  1. ओपीजेएस विश्वविद्यालय, राजस्थान
  2. प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, राजस्थान
  3. माधव विश्वविद्यालय, राजस्थान
  4. रैफल्स विश्वविद्यालय, राजस्थान
  5. सिंघानिया विश्वविद्यालय, राजस्थान
  6. श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश
  7. मंगलायतन विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश
  8. श्री सत्य साईं प्रौद्योगिकी एवं चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश
  9. नाथ विश्वविद्यालय, झारखंड
  10. क्वांटम विश्वविद्यालय, उत्तराखंड

राजस्थान में सबसे ज्यादा शिकायतें
मंत्रालय की सूची में 10 में से 5 विश्वविद्यालय राजस्थान के हैं। राजस्थान सरकार ने इस मामले में सक्रिय कदम उठाते हुए ओपीजेएस विश्वविद्यालय को शैक्षणिक सत्र 2024-25 से नए प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। यूजीसी ने भी इस विश्वविद्यालय को पीएचडी नामांकन लेने से रोक दिया है।

अन्य राज्यों की स्थिति
उत्तराखंड सरकार ने क्वांटम यूनिवर्सिटी और मध्य प्रदेश सरकार ने श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी पर लगे आरोपों को गलत बताते हुए खारिज कर दिया है।

निगरानी के लिए स्थायी समिति
यूजीसी ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक स्थायी समिति का गठन किया है कि विश्वविद्यालय यूजीसी विनियमों का पालन करते हुए डिग्रियां प्रदान करें।

यह खुलासा शिक्षा जगत में एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। सरकार और संबंधित प्राधिकरण इस मुद्दे को सुलझाने के लिए सख्त कदम उठा रहे हैं।

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