सेवा में
माननीय अध्यक्ष
झारखण्ड विधानसभा।
विषयरू दिनांक 18ण्12ण्2023 को अल्पसूचित प्रश्न संख्या.25 का गृहए कारा एवं आपदा
प्रबंधन विभाग द्वारा सदन पटल पर भ्रामक उत्तर देने के संबंध में।
महोदय
सविनय निवेदन है कि सरकार ने मेरे उपर्युक्त विषयक अल्पसूचित प्रश्न संख्या-25 का सदन में भ्रामक उत्तर दिया है और महत्वपूर्ण तथ्य छुपाया है। प्रश्नोत्तर की प्रति संलग्न है। प्रश्न की कंडिका-2 का उत्तर सरकार ने आधा.अधूरा दिया है। सरकार ने यह तो बताया है कि जब अश्लील वीडियो क्लिप पेन ड्राईव को माननीय न्यायालय ने एफएसएलए राँची भेज कर यह जाँच करने का निर्देश दिया कि पेन ड्राईव में भेजा गया अश्लील वीडियो क्लिप morphed है या original है, परन्तु सरकार ने सदन को यह नहीं बताया कि माननीय न्यायालय ने एफएसएलए राँची को यह पता करने का निर्देश भी दिया कि ष्ष्पेन ड्राईव में भेजे गये वीडियो क्लिप का ओरिजिनल सोर्स क्या हैष्ष् ? सरकार ने यह तथ्य अपने उत्तर में छुपा लिया है और सदन को गुमराह किया है।
प्रश्न की कंडिका.2 में मैंने सरकार से यह भी जानना चाहा है कि अनुसंधानकर्ता ने न्यायालय में जो अश्लील विडियो क्लिप जमा किया है, उसमें ओरिजनल ट्वीटकर्ता का विडियो क्लिप न्यायालय के समक्ष प्रदर्श में क्यों नहीं रखा गया है और उसकी जगह 14वें एवं 15वें स्थान पर ओरिजिनल ट्वीट के दो रिट्वीटकर्ताओं का विडियो क्लिप इन्होंने न्यायालय में जमा किया है। इसमें एक रिट्वीट मेरा भी हैै। इसलिए यह संदेह उत्पन्न होता है कि पेन ड्राईव में भेजा गया अश्लील वीडियो का ओरिजनल सोर्स का पता करने में अनुसंधानकर्ता की रूचि नहीं है और अनुसंधान की दिशा सही नहीं है।
प्रश्न की कंडिका-3 में मैंने जानना चाहा है कि क्या एफएसएलए राँची ने वीडियो क्लिप की जाँच करने से मना कर दिया है और कहा है कि जाँच करने वाला उसका सॉफ्टवेयर खराब है। तदुपरांत माननीय न्यायाधीश ने दिनांक 16.11.2023 को अनुसंधानकर्ता को आदेश दिया है कि अश्लील वीडियो क्लिप की जाँच अन्यत्र से कराई जायए परन्तु सरकार ने यह तथ्य सदन के समक्ष नहीं रखा हैए इस पर मौन साध लिया है। माननीय न्यायाधीश का यह निर्देश हुए एक माह से अधिक हो गया परन्तु सरकार ने सदन को यह नहीं बताया कि अश्लील वीडियो क्लिप को जाँच के लिए कहीं अन्यत्र भेजा गया है या नहीं ? यदि अन्यत्र भेजा गया है तो कहाँ भेजा गया है ? इससे स्पष्ट होता है कि अनुसंधान को सही दिशा में ले जाने के प्रति अनुसंधानकर्ता गंभीर नहीं हैं।
महोदय, वस्तुतः इस अश्लील वीडियो कांड के बारे में राज्य सरकार के माननीय स्वास्थ्य मंत्री, श्री बन्ना गुप्ता ने दिनांक 23.04.2023 को साईबर थाना, जमशेदपुर में आईपीसी की धारा 469ए 500 और आईटी एक्ट की धारा 66सीए 66ईए 67 में अज्ञात के विरूद्ध प्राथमिकी संख्या- 25/2023 दर्ज कराया है, ये सभी धारायें जमानती हैं। बाद में अनुसंधानकर्ता ने न्यायालय में आवेदन देकर इसमें एक गैर.जमानती धारा (67ए) जुड़वाया है। इससे संदेह होता है कि अनुसंधानकर्ता ने ऐसा राजनीतिक दबाव में किया हैए इससे अनुसंधान का मूल भाव प्रभावित हुआ है।
वस्तुतः सरकार के मंत्री श्री बन्ना गुप्ता और एक महिला के बीच हुए अश्लील वार्तालाप का यह वीडियो क्लिप सर्वप्रथम एक माननीय सांसद के ट्वीटर हैंडल से प्रसारित हुआ। इसके बाद चौदह व्यक्तियों ने इसे रिट्ीवट किया। मैंने 16वें व्यक्ति के रूप में यह टिप्पणी अंकित करते हुए इस ट्वीट को रिट्ीवट किया कि ष्ष्कांग्रेस के झारखण्ड प्रभारी अविनाश पांडेय जी का कहना है कि @HemantSorenJMM सरकार के सभी कांग्रेसी मंत्री अच्छा काम कर रहे हैं। अच्छे काम की झांकी है यह ! हो सकता है पूरा पिक्चर बाकी हो।ष्ष् प्रश्न उठता है कि माननीय सांसद के ओरिजिनल ट्वीट का वीडियो क्लिप पुलिस ने एफएसएल जाँच हेतु न्यायालय में क्यों नहीं जमा कराया ? इसकी जगह 15 लोगों के बाद किये गये मेरे रिट्वीट का पेन ड्राईव जाँच के लिए न्यायालय में क्यों जमा कराया ? क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक साजिश है, जो अनुसंधान को प्रभावित कर रही है ? उल्लेखनीय है कि अनुसंधानकर्ता द्वारा जमा किये गये मेरे रिट्ीवट वाले वीडियो क्लिप का पेन ड्राईव ही न्यायालय ने एफएसएलए राँची को उपर्युक्त निर्देश के साथ भेजा है, ओरिजिनल ट्वीट को नहीं। क्या इसमें और प्राथमिकी के बाद में एक गैर.जमानती धारा जोड़ने के बीच कोई संबंध है ?
आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस दिन विडियो क्लिप ट्वीटर पर वायरल हुआ था, उसी रात में (यानी 23.04.2023 की रात में) माननीय मंत्री, श्री बन्ना गुप्ता द्वारा साईबर थाना, जमशेदपुर में प्राथमिकी दर्ज करायी गई, परन्तु इसमें प्रस्तुत जब्ती सूचीए जमशेदपुर साईबर थाना द्वारा 02 जुलाईए 2023 को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। अनुसंधानकर्ता द्वारा न्यायालय में दाखिल दस्तावेज के अनुसार ष्ष्अश्लील वीडियो क्लिप के प्रस्तुतकर्ता प्राथमिकी दर्ज करने वाले माननीय मंत्री जी नहीं है, बल्कि कोई बेलाल गुफरानी (प्रेस सलाहकार), उम्र.39, पता. जवाहर नगर, मानगो, जमशेदपुर हैं।ष्ष् क्या ये माननीय मंत्री के प्रेस सलाहकार हैं ?
प्रश्न उठता है कि 23 अप्रैल, 2023 से 02 जुलाई, 2023 के बीच दो माह 09 दिन तक अश्लील वीडियो क्लिप की जप्ती के लिए अनुसंधानकर्ता ने क्या किया ? अनुसंधानकर्ता ने अश्लील वीडियो क्लिप न्यायालय मंे प्रस्तुत करने में इतना समय क्यों लगाया ? सवाल यह भी है कि अनुसंधानकर्ता को अश्लील वीडियो का पेन ड्राईव दो माह नौ दिन बाद माननीय मंत्री के प्रेस सलाहकार से क्यों एवं कैसे मिला ? अनुसंधानकर्ता ने ओरिजिनल ट्वीटकर्ता के वायरल ट्वीट का पेन ड्राईव क्यों नहीं बनाया ? ऐसी स्थिति में स्वभाविक संदेह उत्पन्न होता है कि दो माह नौ दिन की अवधि के बीच क्या इस वीडियो क्लिप से प्रस्तुतकर्ता ने छेड़छाड़ की ? क्या इसलिए अनुसंधानकर्ता ने ओरिजिनल ट्वीटकर्ता का वीडियो न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया ?
इतना ही नहीं इस प्रसंग में एक गंभीर वाकया यह भी है कि मंत्री जी का अश्लील वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद एक महिला का वीडियो वक्तव्य सामने आयाए जिसमें वह कह रही है कि मंत्री जी के साथ अश्लील वार्ता का जो वीडियो क्लिप जारी हुआ हैए उसमें दिखने वाली महिला मैं ही हूँ, परन्तु यह वार्तालाप मैं अपने पति के साथ कर रही थी। उल्लेखनीय है कि इस महिला का यह वीडियो वक्तव्य माननीय स्वास्थ्य मंत्री जी के कार्यालय के ट्वीटर हैण्डल से प्रसारित किया गया और जानबूझकर महिला की पहचान जाहिर की गई। परन्तु अनुसंधानकर्ता ने अभी तक उस महिला का और उसके पति का बयान नहीं लिया है। उन्होंने यह पता करने की कोशिश नहीं किया है कि वह महिला अपने किस मोबाईल फोन नम्बर से अपने पति के किस मोबाईल फोन नम्बर पर यह अश्लील वार्तालाप कर रही थी ? इस महिला का वीडियो बयान माननीय मंत्री के कार्यालय तक कैसे पंहुचा ? मंत्री जी के ऑफिसियल हैंडल से यह वक्तव्य कैसे प्रसारित किया गया ?
इसके साथ ही अनुसंधानकर्ता ने इस बारे में माननीय मंत्री से अभीतक पूछताछ नहीं किया है। इस संबंध में मंत्री जी का बयान अभी तक न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है। ताकि यह साबित हो सके कि वह महिला तो उसके कथनानुसार अश्लील वार्ता अपने पति से कर रही थी, परन्तु माननीय मंत्री जी अपने किस मोबाईल फोन नम्बर से किससे वायरल वीडियो में वार्तालाप कर रहे थे ? प्रश्न उठता है कि उस महिला का और उसके पति का मोबाईल फोन जब्त करके जाँच करने की आवश्यकता अनुसंधानकर्ता ने क्यों नहीं महसूस किया ? माननीय मंत्री जी का मोबाईल जब्त कर उसकी जाँच क्यों नहीं किया ? क्या यह राजनीतिक दबाव में हुआ है ? क्या यह अनुसंधान को प्रभावित करने का प्रयत्न नहीं है ?
उपर्युक्त प्रश्न मैं पूरक के रूप में सभा पटल पर पूछना चाहता था। विषय सूची में मेरा प्रश्न 5वें नम्बर पर था। दो प्रश्नों का उत्तर हो चुका थाए परन्तु सदन अव्यवस्थित हो जाने के कारण भवदीय द्वारा सदन को स्थगित कर दिया गया, जिस कारण मैं अपना पूरक प्रश्न पूछकर इसके माध्यम से सरकार से मामले की असलियत नहीं जान सका। मेरा यह प्रश्न अनागत हो गया।
इसलिए इस पत्र के माध्यम से मैं भवदीय से निवेदन है कि उपर्युक्त विवरण के आलोक में मेरे प्रश्न को सदन की अनागत समिति में भेजकर अथवा किसी अन्य माध्यम से मेरे प्रश्न का सही उत्तर सरकार से दिलवाने की कृपा करना चाहेंगे तथा सदन से तथ्य छुपाने की जिम्मेदारी सुनिश्चित करना चाहेंगे। साथ ही सरकार को स्पष्ट निर्देश देना चाहेंगे कि अनुसंधान को प्रभावित करने की साजिश के मद्देनजर इस मामले की जाँच विशेष टास्क फोर्स बनाकर करें।
सादर,
भवदीय
(सरयू राय)