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पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणाली को समझने का अवसर: एनआईटी जमशेदपुर में कार्यशाला

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पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणाली को समझने का अवसर: एनआईटी जमशेदपुर में कार्यशाला

जमशेदपुर, 17 मई 2024: भारतीय ज्ञान प्रणाली केंद्र (आईकेएस), एनआईटी जमशेदपुर ने आज “पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणाली के माध्यम से अपने भारत को जानें” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का उद्देश्य युवा पीढ़ी को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ज्ञान परंपराओं से परिचित कराना था।

कार्यक्रम की शुरुआत एनआईटी जमशेदपुर के माननीय निदेशक, प्रोफेसर गौतम सूत्रधार द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। मुख्य अतिथि पंडित राम नारायण शर्मा, डॉ. ओम प्रकाश पांडे, प्रोफेसर शलेंद्र कुमार (अध्यक्ष, आईकेएस), और प्रोफेसर राम विनय शर्मा थे।

भारतीय ज्ञान परंपराओं का महत्व

संस्थान के निदेशक, प्रोफेसर सूत्रधार ने अपने स्वागत भाषण में भारतीय शिक्षा प्रणाली में सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020) छात्रों के समग्र विकास और राष्ट्र की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन्हें भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जोड़ता है।

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कार्यक्रम के मुख्य वक्ताओं ने विभिन्न पहलुओं से भारतीय ज्ञान प्रणालियों पर प्रकाश डाला।

पंडित राम नारायण शर्मा: प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित राम नारायण शर्मा ने प्राचीन भारतीय ज्योतिष प्रणाली और वर्तमान में इसकी प्रासंगिकता पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने 16 संस्कारों के महत्व पर भी प्रकाश डाला, जो मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करते हैं।

डॉ. ओम प्रकाश पांडे: डॉ. ओम प्रकाश पांडे ने ब्रह्मांड के रहस्यों और ऋग्वेद के नासदीय सूक्त के महत्व पर अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उन्होंने इस भजन की व्याख्या करते हुए कहा कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बारे में निश्चित रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता है, केवल भगवान ही सच्चा ज्ञान रखते हैं।

डॉ. प्रेम लता देवी: डॉ. प्रेम लता देवी ने भारतीय परंपराओं में महिलाओं की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और महत्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने प्राचीन काल में महिलाओं की सम्मानित स्थिति और वर्तमान युग में भी इस ज्ञान को संरक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया।

कार्यशाला का समापन

कार्यक्रम का समापन डॉ. मनीष कुमार झा, संयोजक, आईकेएस द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने सभी प्रतिभागियों और वक्ताओं को कार्यशाला में भाग लेने के लिए धन्यवाद दिया।

यह कार्यशाला भारतीय ज्ञान प्रणालियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और युवा पीढ़ी को अपनी समृद्ध संस्कृति से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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