पारंपरिक तरीकों को छोड़ नई तकनीक अपनायें मत्स्यपालक, रोजगार सृजन का जरिया बनें। नए तकनीक पर आधारित मत्स्य पालन कार्यशाला-सह- गोष्ठी, उप विकास आयुक्त ने मत्स्य पालकों को नई तकनीक अपनाने के लिए किया प्रेरित

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जमशेदपुर। झारखण्ड 

समाहरणालय सभागार, जमशेदपुर में उप विकास आयुक्त श्री मनीष कुमार की अध्यक्षता में जिले के प्रगतिशील किसानों/ मत्स्यपालकों के लिए एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला- सह- गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर उप विकास आयुक्त एवं उपस्थित अन्य पदाधिकारियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यशाला का विधिवत शुभारंभ किया गया। कार्यशाला में मत्स्यपालन के नई तकनीक पर चर्चा की गई जिससे उत्पादन में बढ़ोत्तरी की जा सके। उप विकास आयुक्त ने कहा कि यह तकनीक का युग है, मत्स्यपालकों को भी खुद को अपग्रेड करना होगा जिससे वे उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ अपनी आर्थिक स्थिति भी मजबूत कर सकेंगे तथा अन्य लोगों को भी रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। उन्होने कहा कि मत्स्य पालन में असीम संभावनायें हैं, उत्पादन बढ़ने से कई स्तर पर लोगों को रोजगार मिलेगा वहीं मत्स्यपालक भी आर्थिक रूप से समृद्ध होंगे। उप विकास आयुक्त द्वारा मत्स्य विभागीय पदाधिकारी को विभागीय योजनाओं के व्यापक प्रचार प्रसार का निदेश भी दिया गया ताकि नए लोग भी मत्स्यपालन से जुड़ें एवं सरकारी की योजनाओं का लाभ ले सकें।  

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कार्यशाला के तकनीकी सत्र में मत्स्यपालन की नई तकनीक यथा- बायोफ्लॉक, केज कल्चर, RAS(Recirculatory Aquaculture System) एवं फीड बेस्ड मत्स्यपालन की जानकारी उपस्थित सदस्यों को दी गई। पारंपरिक तरीके से मछलीपालन एवं नए तकनीक से होने वाले उत्पादन में वृद्धि के अंतर को समझाया गया। एलडीएम द्वारा मत्स्यपालकों को केसीसी, मुद्रा योजना आदि के संबध में विस्तार से जानकारी देते हुए किसान हित में सरकार द्वारा चलाई जा रही इन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए प्रेरित किया गया। मछली पालन के दौरान तालाबों को स्वस्थ रखने एवं मछलिओं को बीमारी से दूर रखने के लिए मत्स्यपालकों को उपलब्ध दवाओं की भी जानकारी दी गई। कार्यशाला में जिला मत्स्य पदाधिकारी श्रीमती अल्का पन्ना, एलडीएम श्री संतोष कुमार, मत्स्य प्रसार पदाधिकारी श्री अमरेन्द्र कु. वर्मा तथा मत्स्यपालक को इच्छुक ग्रामीण क्षेत्रों के प्रगतिशील किसान शामिल हुए।  

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