दुनियाँ की दो ऐसी तस्वीरें जो आप से पूछेंगी की हमारा क्या कसूर था? जवाब होगा तो दीजिएगा जरूर।

दुनियाँ में कई बार ऐसी घटनाएं देखने को मिलती है जिसे देखने के बाद लोग निःशब्द हो जाते हैं। रोने के सिवा उनके पास कोई चारा ही नहीं रहता। सामने उस दृश्य को देखने के बाद न चाहते हुए भी उनकी आंखो से आँशु निकल जाते हैं।  वे भावुक हो जाते हैं।

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आज हम ऐसे ही दो तस्वीरों के बारे में चर्चा करेंगे जो अतिसंवेदनशील है। जिसे देखने और समझने के बाद वाकई में आप थोड़े भावुक और मायूस हो जाएंगे।

ये दोनों तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब शेयर की गई और आज भी शेयर की जाती है।  

दुनियाँ में जन्म लेने वाला हर कोई एक दिन मर जाता है। यह सच है जिसे हर कोई जानता है। एक उम्र आने के बाद सबको यह संसार छोड़ कर जाना ही पड़ता है। लेकिन क्या हो जब किसी जंग से अनजान कोई मासूम खत्म हो जाये।

इनमें से पहली तस्वीर है द्वितीय विश्वयुद्ध के समय की। जब विश्व में शक्तिशाली देश बनने की होड़ में सारा विश्व तहस – नहस हो चुका था। वर्ष 1945, 6 और 9 अगस्त, को जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहर में अमेरिका द्वारा छोड़ा गया लिटिल बॉय (अमेरिका का छोटा परमाणु बम) ने दूसरे विश्वयुद्ध को शांत कर दिया था। 

इस युद्ध में लाखों मासूम नागरिकों की मौत हो गई थी। इसी दौरान जापान में एक हृदयविदारक घटना घटी। कोई 7 से 8 साल का एक लड़का अपने छोटे भाई (4 से 5 वर्ष) के मृत शरीर को अपनी पीठ पर लादे, अंतिम संस्कार के लिए पंक्ति में खड़ा था। उस समय मरने वालों की भीड़ इतनी थी की दफनाने या जलाने के लिए शमशान में पंक्तियां लगानी पड़ती थी।

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इस तस्वीर को देखने पर कुछ खास नहीं लग रहा होगा। लेकिन इस तस्वीर को लेने वाले फोटोग्राफर से जब उस क्षण को जानेंगे तब आपका मन वास्तव में शून्य हो जाएगा। इस तस्वीर को लेकर हुए एक इंटरव्यू में उस फोटोग्राफर ने बताया कि – अपने भाई के मृत शरीर को पीठ पर टांगे यह बच्चा अंदर ही अंदर खूब रो रहा था। यह दर्द दुनियाँ न देख सके इसके लिए वह स्वयं को रोने से रोकने के लिए अपने होठों को खूब जोर से दबाये हुए था लेकिन उसके होठो से खून निकलकर नीचे गिरने लगा था। कुछ समय बाद जब इसका नंबर आया तब 

शमशान घाट वाले ने बच्चे को देख कर कहा – “जो बोझा तुमने अपनी पीठ पर ढों रखा है वह मुझे दे दो” 

यह सुनकर वह बच्चा कहता है – “यह बोझा नहीं, मेरा भाई है।”

और इतना कहते हुए वह अपनी सांसे रोके वहां से तेजी से भाग जाता है। 

आज भी जापानी इस फोटो को बड़े नाज से देखते हैं। और इसे शक्ति के प्रतीक के रूप में मान्यता देते हैं।

दूसरी तस्वीर इससे भी अधिक दुःखी करने वाला है। 

जो 2 सितंबर, 2015 में ली गई थी। यह तस्वीर 3 वर्षीय सीरियाई मासूम लड़का अयलान कुर्दी (एलन कुर्दी) की है, जो ISIS इस्लामिक आतंकवादी संगठन की कट्टरता से डरे हुए लोगों में शामिल था और यूरोप पहुंचने की कोशिश में अपने परिवार के साथ भूमध्य सागर में डूब गया था। दुनिया के सामने जब यह तस्वीर आई पूरी दुनियां हिल गई थी। यह तस्वीर तुर्की पत्रकार निलुफ़र डेमिर ने ली थी।

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जब आप इस तस्वीर को 2 से तीन मिनट तक देखते हैं तब आपका मन धर्म और सरहदों पर राजनीति करने वालों पर क्रोध आजायेगा। 

अयलान दुनियाँ से तो चला गया लेकिन जाते-जाते उसने अपने पीछे पूरी दुनियां से एक सवाल कर गया । की कौन सा ऐसा धर्म है जो कहता है – दूसरों को दुख और दर्द दो, ईश्वर की बनाई इंसानियत का वजूद खत्म कर दो। अगर कोई ऐसा करता है और कहता है तो क्या वाकई वो लोग इंसान है? किस धर्म के होंगे वे लोग? 

जवाब होगा तो बताइयेगा जरूर। क्योंकि अयलान यह जवाब दुनियाँ से जानना चाहता है।

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