Connect with us

क्राइम

डायन घोषित हुई महिला अब “पद्मश्री” से सम्मानित

Published

on

मारा समाज और हम एक दूसरे के प्रतिबिम्ब है। एक दूसरे के बगैर किसी का अस्तित्व ही जैसे नहीं है। लेकिन क्या हो अगर यह समाज ही हमारा दुश्मन बन जाएं।  ऐसे में हम क्या करेंगे और कहाँ जाएंगे, बात अगर किसी महिला की होतो वाकई में यह रूहें कपा देने वाली बात होगी। समाज ने कई बार अच्छे कार्य भी किये है और कई बार इसी समाज ने ऐसे दृश्य भी दिखाएं है कि जिसका जिक्र करना जरूरी हो जाता है।

THE NEWS FRAME

दोस्तों आज हम बात कर रहें है वर्ष 1995 में भारत के एक गांव में रहने वाली महिला की । जिसे गांव के तांत्रिक और गांव के पंचायत नें  डायन घोषित कर उस पर 500 रुपए का जुर्माना भी लगा दिया गया था । महिला को लगा की जुर्माना चुकाकर वो छूट जाएगी,  मगर नहीं जुर्माने की राशि भुगतान करने के बाद भी उसके साथ समाज के लोगों ने बड़ा बुरा बर्ताव किया।

एक सुबह भीड़ के एक झुंड ने उसके घर का दरवाजा तोड़ा और ज़बरदस्ती उसे मानव मल खिलाया और उसके साथ जबरजस्ती करनी चाही।  वो बेबस रोती रही, छोड़ने की विनती करते रही, लेकिन किसी का दिल नही पसीजा। अब उसके दिल में एक डर बैठ गया कि गांव वाले उसे कभी भी मार सकते हैं ।  इसीलिए इस दुर्घटना की दूसरी रात वह अपने 4 छोटे बच्चों को लेकर घर से भाग निकली। 

हम बात कर रहे है झारखंड राज्य के आदित्यपुर क्षेत्र अंतर्गत बिरबाँस गांव की रहने वाली छूटनी महतो की।  जिसे समाज ने उन्हें डायन घोषित करके मानव मल खिलाया, बलात्कार करने की कोशिश की ।  उस घटना ने छूटनी महतो की जिंदगी को एक नई दिशा प्रदान की। जिस समाज मे छुटनी महतो को डायन का ठप्पा लगाया, छूटनी ने उसी समाज को बदलने की ठानी। 

उसने अपने जैसी औरतों को संगठित करना प्रारंभ किया और इस कठोर समाज से लड़ना सिखाया। डायन नाम के ठप्पे से समाज का तिरस्कार झेल रही महिलाओं का एक संग़ठन खड़ा करके 25 सालों तक जनजागरण अभियान चलाकर समाज से इस कुप्रथा को ख़त्म करने में अहम भूमिका निभाई। ताकि फिर कभी किसी छुटनी महतो के साथ ऐसा बुरा ना हो। 

मोदी सरकार ने इस वर्ष 26 जनवरी के दिन छुटनी महतो के इस संघर्ष को नमन करते हुए उन्हें “पद्म श्री पुरस्कार” से सम्मानित किया है।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *