- इस साल प्रतियोगिता को अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिली, जिसमें 660+ इंजीनियरों ने भाग लिया—पिछले संस्करण की तुलना में 47% की शानदार वृद्धि
- नवाचार और तकनीकी कौशल के परीक्षण का एक बेमिसाल मंच, जहां देश के प्रतिभाशाली युवा अपने सैद्धांतिक ज्ञान को व्यावहारिक रूप में परखते हैं
- आईआईटी (आईएसएम) धनबाद की नमिता दुबे ने शानदार प्रदर्शन के साथ विजेता का खिताब जीता, जबकि आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी के रवु रवि तेजा प्रथम उपविजेता और कुरपाटी हर्षवर्धन द्वितीय उपविजेता बने
मुंबई : टाटा स्टील ने अपनी वार्षिक इनोवेशन चैलेंज ‘माइंड ओवर मैटर’ के 10वें संस्करण का सफल समापन किया। यह अनूठी पहल देश के शीर्ष संस्थानों के सबसे प्रतिभाशाली इंजीनियरिंग छात्रों को स्टील मेकिंग और न्यू मटेरियल से जुड़े वास्तविक समस्याओं के समाधान खोजने की चुनौती देती है।
7 मार्च 2025 को आयोजित रोमांचक वर्चुअल फाइनल में, आईआईटी (आईएसएम) धनबाद की नमिता दुबे ने विजेता का खिताब हासिल किया, जबकि आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी के रवु रवि तेजा प्रथम उपविजेता और कुरपाटी हर्षवर्धन द्वितीय उपविजेता बने। विजेता और उपविजेताओं को क्रमशः ₹1,00,000, ₹75,000 और ₹50,000 की नकद पुरस्कार राशि और प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। इसके अलावा, सभी को टाटा स्टील के रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) विभाग में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में प्री-प्लेसमेंट ऑफर (PPO) भी मिले। अन्य फाइनलिस्टों को भी प्री-प्लेसमेंट इंटरव्यू का अवसर दिया गया। साथ ही, टाटा स्टील विजेता टीमों को आमंत्रित करेगी, जहां वे कंपनी के आरएंडडी विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में अपने विचारों के प्रोटोटाइप विकसित करेंगे।
विजेताओं को बधाई देते हुए टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट – टेक्नोलॉजी, आरएंडडी, एनएमबी और ग्रैफीन, सुबोध पांडेय ने कहा, “माइंड ओवर मैटर के 10वें संस्करण ने देशभर के युवा इंजीनियरों की अद्भुत प्रतिभा और नवाचार की भावना को दर्शाया है। फाइनलिस्टों द्वारा प्रस्तुत समाधान न केवल उनकी तकनीकी दक्षता को दर्शाते हैं, बल्कि उनकी विश्लेषणात्मक सोच और वास्तविक चुनौतियों से निपटने की क्षमता को भी उजागर करते हैं। टाटा स्टील में, हम ऐसी प्रतिभाओं को संवारने और उनके विचारों को हकीकत में बदलने का मंच प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें विश्वास है कि ये प्रतिभाशाली युवा स्टील और न्यू मटेरियल टेक्नोलॉजी के भविष्य में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।”
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इस सीजन के फाइनल में देश के शीर्ष 5 फाइनलिस्टों ने अपनी नवाचारी सोच और तकनीकी कौशल का प्रदर्शन किया। उनके समाधान का मूल्यांकन एक प्रतिष्ठित जूरी पैनल ने किया, जिसमें टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट – टेक्नोलॉजी, आरएंडडी, एनएमबी और ग्रैफीन, सुबोध पांडेय, चीफ प्रोडक्ट रिसर्च, राहुल कुमार वर्मा, और जेसीएपीसीपीएल के मैनेजिंग डायरेक्टर, अभिजीत अविनाश ननोटी शामिल थे।
इन प्रतिभाशाली टीमों को टाटा स्टील के आरएंडडी विशेषज्ञों द्वारा छह महीने की इंटर्नशिप के दौरान गहन मार्गदर्शन मिला। इस बार प्रतियोगिता ने रिकॉर्ड तोड़ भागीदारी दर्ज की, जिसमें 37 राष्ट्रीय और क्षेत्रीय प्रौद्योगिकी एवं इंजीनियरिंग संस्थानों—14 आईआईटी और 10 एनआईटी सहित—से 660+ छात्रों ने पंजीकरण कराया, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
‘माइंड ओवर मैटर’ चैलेंज विशेष रूप से अंतिम वर्ष के बी.टेक छात्रों, प्रथम वर्ष के एम.टेक छात्रों और 5 वर्षीय डुअल-डिग्री (बी.टेक + एम.टेक) कार्यक्रम के प्रतिभागियों के लिए खोला गया था, जिससे अधिक प्रतिभाशाली युवा इंजीनियरों को अपने नवाचार कौशल दिखाने का अवसर मिला। यह प्रतियोगिता केवल एक प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि उद्योग, शिक्षाविदों और छात्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने वाला एक उत्कृष्ट मंच बन चुकी है, जो उन्नत शोध और तकनीकी नवाचार के नए मानदंड स्थापित कर रही है।
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इस वर्ष की प्रतियोगिता ने नवाचार की दुनिया में कदम रखने वाले प्रतिभाशाली युवाओं को एक शानदार अवसर प्रदान किया, जहां उन्होंने वास्तविक समस्याओं के समाधान पर काम किया। प्रतिभागियों को 15 चुनिंदा चुनौतियों में से अपने केस स्टडी प्रस्तुत करने का विकल्प मिला, जिससे 100 से अधिक उच्च-गुणवत्ता वाली प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं। इन प्रविष्टियों का गहन तकनीकी मूल्यांकन किया गया, जिसमें प्रतिभागियों की रचनात्मक सोच, समस्या समाधान कौशल और तकनीकी दक्षता की कड़ी जांच की गई। इस कठिन प्रतिस्पर्धा के बाद, चार प्रमुख केस स्टडी से पांच बेहतरीन फाइनलिस्टों का चयन किया गया, जिन्होंने अपनी उत्कृष्टता साबित की।
पिछले एक दशक में, ‘माइंड ओवर मैटर’ नवाचार और सहयोग की एक निरंतर यात्रा रही है, जिसने युवा प्रतिभाओं को तकनीक और इंजीनियरिंग की सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है। प्रतियोगिता के बढ़ते प्रभाव के साथ, यह टाटा स्टील की प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने और स्टील उद्योग में नवाचार को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता का सशक्त प्रमाण बनी हुई है।