New Delhi : शुक्रवार 8 अक्टूबर, 2021
कर्ज के बोझ तले दबी एअर इंडिया की कमान को आखिरकार टाटा ने संभाल लिया है। एअर इंडिया (Air India) की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं चल रही थी जिस वजह से सरकार ने इसकी नीलामी की। नीलामी में 18,000 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाकर टाटा ग्रुप (Tata group) ने एक बार फिर से इसे संभाल लिया है।
डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (Department of Investment and Public Asset Management- DIPAM) ने प्रेस काॅन्फ्रेंस के माध्यम से DIPM के सेक्रेटरी तुहीन कांत ने बताया कि एअर इंडिया (Air India) के लिए टाटा ग्रुप ने 18,000 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी।
आपको जानकर हैरानी होगी कि एअर इंडिया (Air India) पर 31अगस्त तक 61,560 करोड़ रुपए का भारी कर्ज हो गया है। इस भारी भरकम रकम को चुकता करने में टाटा सहयोग करेगी। जिसमें की 15300 करोड़ रुपए कर्ज की राशि टाटा संस चुकाएगी और बाकी की ऋण राशि 46,262 करोड़ रुपए AIAHL (Air India asset holding company) देगी।
आपको यह भी बता दें कि इसके लिए एक कमिटी गठित की गई थी जिसे एअर इंडिया स्पेसिफिक अल्टरनेटिव मैकेनिज्म (AISAM) नाम दिया गया है। और इस कमिटी ने एअर इंडिया की नीलामी की रूपरेखा और अंतिम बोली पर मुहर लगाई है। आपको बता दें कि इस कमिटी में केंद्रीय मंत्री भी शामिल है जिनमें प्रमुख नाम गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण है।
इस नीलामी में टाटा ग्रुप (Tata Group) और स्पाइसजेट (SpiceJet) शामिल हुए थे।
आपको बता दें कि एअर इंडिया कभी टाटा ग्रुप की ही सम्पति हुआ करती थी। लेकिन इसका नाम एअर इंडिया ना होकर टाटा एयरलाइंस (Tata airlines) था। वर्ष 1932 में भारत के पहले पायलट जे.आर.डी. टाटा ने टाटा एयरलाइंस (Tata airlines) की स्थापना की थी। जिसमें जे.आर.डी. टाटा इसके फाउंडर बने। उस समय इसका नाम टाटा एअर सर्विस रखा गया था। भारत में हवाई सेवा आरम्भ करने का श्रेय भी टाटा ग्रुप के नाम है।
वर्ष 1938 तक कंपनी ने घरेलू उड़ानें आरम्भ कर दी। 1938 से लेकर 1945 तक इसकी कार्यप्रणाली बेहतर थी लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद इसे ब्रिटिश सरकार ने अधिग्रहण कर लिया वहीं आजादी के बाद भारतीय सरकार ने इसमें 49% हिस्सेदारी अपने नाम कर ली। वहीं 68 साल बाद आखिरकार टाटा ग्रुप को मिल ही गई अपनी एअर इंडिया।
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