जमशेदपुर: गृहमंत्री अमित शाह झारखंड पहुंचकर भाजपा की जीत का दावा कर रहे हैं, परंतु भाजपा को मुख्यमंत्री पद का चेहरा खोजने में कठिनाई हो रही है। समाजवादी चिंतक और अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने कहा कि भाजपा में एक अनार सौ बीमार की स्थिति है और 20 सालों तक झारखंड की सत्ता में भाजपा नहीं आ सकती है। भाजपा को 18 साल तक राज्य में शासन करने का मौका मिला, लेकिन उनकी उपलब्धियों से सभी वाकिफ हैं। बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा जैसे नेताओं की उपलब्धियां भी जनता को मालूम हैं और जनता अब दोबारा मौका देने के मूड में नहीं है।
सुधीर कुमार पप्पू ने आगे कहा कि भाजपा ने झारखंड को नफरत में बदलने के लिए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हेमंता विश्वकर्मा को नफरत फैलाने का काम सौंपा है। भाजपा के ये दोनों नेता आदिवासी-गैर आदिवासी और हिंदू-मुस्लिम के बीच विभाजन करने में लगे हुए हैं, लेकिन जनता उनके चरित्र को अच्छी तरह जानती है। झारखंड में भाजपा के प्रभारी और सह प्रभारी दोनों ही राज्य की स्थिति को नहीं समझ पा रहे हैं।
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मणिपुर की घटनाओं से राज्य के आदिवासी समाज को काफी दुख हुआ है और उन्होंने भाजपा से दूरी बना ली है। यही कारण है कि भाजपा के आदिवासी नेता भी आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने से बच रहे हैं, क्योंकि उन्हें हार का डर है। पिछले लोकसभा चुनाव में अर्जुन मुंडा समेत सभी आदिवासी नेता आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने वाले हार गए थे और अब उन्हें हार का डर सता रहा है।
झारखंड भाजपा में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर आपसी खींचतान चरम पर है। बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा का आदिवासी समाज में कोई जनाधार नहीं है। अब भाजपा नेतृत्व के लिए संकट यह है कि किस आदिवासी या गैर आदिवासी को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाए। ऐसा लगता है कि भाजपा नेतृत्व कुछ कसरत करने के बाद नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ेगी। जबकि इंडिया गठबंधन हेमंत सोरेन के नेतृत्व में एकजुट है और भाजपा को पराजित करने के लिए सक्षम है।