जैसा हम खाते हैं, वैसा ही आचरण भी बनाते हैं।

दोस्तों हजारों साल पहले धरती पर दो समुदाय ही रहा करते थे जिनमें एक थे सुर और दूसरा असुर। दोनों ही समुदाय ईश्वर को अपने-अपने तरीके से पूजते थे। पूजा पद्धति के दौरान सुर हवन, धूप-दीप, फूल-फल आदि का भेंट चढ़ाते थे, लेकिन मूर्ति किसी की नहीं बनाते थे न ही रखते थे। वहीं असुर ईश्वर की मूर्ति बनाकर उस मूर्ति के सामने या अन्य स्थान पर उस ईश्वर का नाम लेते हुए जानवर या सुर की बलि देते थे। ताकि उनका ईश्वर खुश हो सके। और यह परंपरा धीरे-धीरे प्रचलित होती चली गई। 

वर्तमान समय में भी इस प्रकार की आसुरी पूजा पद्धति देखी जाती है। जबकि वेदों में ईश्वर की इस प्रकार पूजा एवं आराधना करने की पद्धति का उल्लेख कहीं नहीं किया गया है। 
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इसी के साथ ही बात आती है भोजन की।
हम जैसा भोजन ग्रहण करेंगे वैसे ही विचार हमारे मस्तिष्क में जन्म लेंगें। जैसे कि चावल खाने पर शरीर को वसा ही मिलेगा और दाल खाने से प्रोटीन।

हम देखते हैं कि अब लोग छोटी-छोटी बातों पर क्रोधित होने लगे हैं। बड़े तो बड़े छोटे बच्चे भी हिंसात्मक होते जा रहें हैं। साथ ही सोच भी बदलती जा रही हैं। बच्चे जल्दी बड़े और समझदार भी बनते जा रहे हैं। आधुनिकता की समझ भले ही उनमें तेजी से विकास कर रहा हैं लेकिन सामाजिक दायित्व और जिम्मेदारी खत्म होती जा रही है। केवल अपना और एकत्व की भावना बढ़ती जा रही है। 


यदि इस क्रोध को शांत करना है और सामाजिक एकजुटता की भावना लानी है तो हमें सात्त्विक आहार का सेवन करना चाहिए। विशेष लाभ लेने के लिए मांसाहार व नशा का त्याग अवश्य कर देना चाहिए। 


सात्त्विक आहार / शाकाहारी भोजन का सेवन हमें क्यों करना चाहिए? उसके क्या लाभ है?

शाकाहारी भोजन करने के कई लाभ है जिनमें से कुछ के बारे में हम बात करेंगे। 

1. शाकाहारी भोजन करने से पाचनक्रिया मजबूत बनती है।

2. अब जैसा भोजन ग्रहण करेंगे वैसा रस शरीर को प्राप्त होगा। जिससे शरीर में गुण और संस्कार पैदा होंगे। 
3. मन में वैसे ही विचारों की उत्पत्ति होगी। 
4. उसके अनुसार ही धर्म को अपनाएंगे। यहां धर्म का अर्थ सद्गुण या अवगुण से है। न कि हिन्दू, मुस्लिम, सिख या ईसाई से।  
5. दया और क्षमा की भावना उत्पन्न होगी।
6. नैतिकता की दृष्टि प्रबल होगी।
7. शरीर की आरोग्यता बढ़ेगी। 
8. प्रकृति से प्रेम और मानवता का गुण बढ़ेगा।
9. अहिंसा का धर्म अपनाने में सहायता प्राप्त होगी।
10. मांसाहार से यह कई गुना बेहतर भी है जिसे आज का विज्ञान भी मानता है। 


यह तो आप सभी जानते ही हैं की मांस को पकाने और पचाने में बहुत अधिक समय लगता है। वहीं मनुष्य के दांतों और आंतों की बनावट भी शाकाहारी पशुओं के समान है। 


अतः हमें मनुष्य गुण के अनुसार ही भोजन का चयन करना चाहिए। भोजन में फलों और सब्जियों का अधिक से अधिक सेवन करना श्रेष्ठकर होता हैं। वहीं माँ के दूध के बाद गाय का दूध पीना ही सर्वोत्तम माना गया हैं। 


अच्छी सेहत के लिए अच्छा भोजन, पानी, दूध, व्यायाम, योगासन और पूरी नींद माना जाता है। लेकिन यहां एक बात जाननी आवश्यक है कि प्रत्येक चीज की एक माप और समय सीमा होती है। उससे कम या अधिक का प्रयोग लाभ के बदले नुकसानदेह साबित होता है। इसलिए शरीर की जरूरत के अनुसार ही भोजन और पानी का ग्रहण करना चाहिए।

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अब आप स्वयं निर्णय करें कि आपको कौन सा भोजन करना चाहिए।

नोट – यह लेख मात्र सात्विक या शाकाहारी भोजन को अपनाने के लिए लिखा गया है। आप स्वयं के विचारों को अपनाने के लिए स्वतंत्र हैं।

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