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झारखंड

जिले के बांस कारीगरों/उत्पादकों को मिलेगा बड़ा बाजार, ऑनलाइन बेस सकेंगे प्रोडक्ट – जिला प्रशासन की पहल

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THE NEWS FRAME

जमशेदपुर  | झारखण्ड  

मुख्य बिंदु :  

◆रोजगार सृजन के लिए बांस कारीगरों को दिया जाएगा कौशल प्रशिक्षण

◆15 जुलाई से शुरू होगा प्रशिक्षण कार्यक्रम, 1000 लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य 

◆प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़ने हेतु एसडीएम धालभूम, निदेशक डीआरडीए, निदेशक एनईपी ने समाहरणालय से जागरूकता रथ को दिखाई हरी झंडी  

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पूर्वी सिहभूम जिला के बांस कारीगरों एवं बांस उत्पादकों के लिए अच्छी खबर है। उपायुक्त श्रीमती विजया जाधव के मार्गदर्शन में बांस कारीगर क्लस्टर विकास कार्यक्रम (Bamboo Artisans Cluster Development Program) के तहत आगामी 15 जुलाई से प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत होने जा रही है जिसको लेकर समाहरणालय सभागार में इस कार्य के लिए चयनित कार्यकारी संस्था सेविका शिल्पकला सहकारी सहयोग समिति लि. के प्रतिनिधियों ने प्रेजेंटेशन दिया। 

उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं पूरी योजना को लेकर उपायुक्त ने बताया कि चूंकि पूर्वी सिंहभूम जिला में बांस का उत्पादन बड़े मात्रा में होता है, बांस के उत्पादों की डिमांड भी काफी है, ऐसे में बांस उत्पादकों एवं कारीगरों को स्वरोजगार से जोड़ने की दिशा में एक पहल है, साथ ही उनके प्रोडक्ट का इंटरस्टेट मार्केटिंग करने की भी योजना है। उन्होने बताया कि पटमदा, चाकुलिया, धालभूमगढ़ एवं बहरागोड़ा प्रखंड का चयन इस कार्यक्रम के तहत किया गया है। शुरूआत में 1000 लोगों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य है, प्रशिक्षण कार्यक्रम 138 दिनों का होगा। प्रत्येक बैच में 30 प्रशिक्षणार्थियों को जोड़ा जाएगा, कुल 34 बैच का प्रशिक्षण पहले फेज में होना है। प्रशिक्षण कार्यक्रम भी पंयायत क्षेत्र में किसी सामुदायिक भवन व पंचायत भवन में संचालित किया जाएगा जिससे लोगों को आवागमन में परेशानी नहीं हो तथा उनके वर्तमान रोजगार पर भी असर नहीं पड़े।   

◆ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती

फर्नीचर में बांस के पोल से लेकर बांस से बने उत्पाद, लाइफस्टाइल व डिकोर, किचनवेयर, खिलौने जैसे हस्तशिल्प सामान, पानी की बोतल, योगा चटाई, चारकोल सहित कार्यालय में काम आने वाले सामान आदि के निर्माण का प्रशिक्षण जिले के बांस कारीगरों एवं उत्पादकों को दिया जाएगा । उपायुक्त ने कहा कि स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधन का बेहतर उपयोग कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के उद्देश्य से कार्ययोजना बनाई गई है। बांस कारीगरों को प्रशिक्षण एवं तकनीकी सहायता चयनित संस्था उपलब्ध करायेगी। वहीं प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण के दौरान जिला प्रशासन की ओर से टूल किट उपलब्ध कराया जाएगा। प्रशिक्षण उपरांत कारीगरों के बनाये प्रोडक्ट को मार्केट उपलब्ध कराने की दिशा में अभी से प्रयास किया जा रहा है। ऑनलाइन मार्केट उपलब्ध कराने की दिशा में फ्लिपकार्ट, अमेजन, स्नैपडील, जेम पोर्टल आदि पर भी उत्पादों की बिक्री की जाएगी। 

इस अवसर पर एसडीएम धालभूम श्री पीयूष सिन्हा, निदेशक डीआरडीए श्री सौरभ सिन्हा एवं निदेशक एनईपी श्रीमती ज्योत्सना सिंह ने प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़ने हेतु व्यापक प्रचार प्रसार के लिए जागरूकथा रथ को समाहरणालय परिसर से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। प्रचार रथ उक्त 4 प्रखंडों में गांव-गांव जाकर बांस उत्पादकों एवं बांस कारीगरों को प्रशिक्षण कार्यक्रम से जुड़ने के लिए जागरूक करेगी। अभीतक 600 आवेदन प्राप्त हो चुका है।    

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