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झारखंड

जिला बनेगा मछली उत्पादन का हब, उप विकास आयुक्त ने किया मत्स्य पालकों, सहकारी समिति सदस्यों, मत्स्य मित्रों के साथ बैठक।

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जमशेदपुर | झारखण्ड 

शिथिल पड़े सहकारी समिति हटेंगे, नए मत्स्य पालकों को जोड़ा जाएगा … श्री मनीष कुमार, उप विकास आयुक्त 

उपायुक्त, पूर्वी सिंहभूम के निर्देशानुसार उप विकास आयुक्त श्री मनीष कुमार ने जिला सभागार, जमशेदपुर में मत्स्य पालकों, सहकारी समिति सदस्यों, मत्स्य मित्रों के साथ बैठक कर जरूरी दिशा-निर्देश दिए। बैठक में जिला मत्स्य पदाधिकारी श्रीमती अल्का पन्ना, मत्स्य प्रसार पदाधिकारी श्री अमरेन्द्र कुमार वर्मा उपस्थित थे। उप विकास आयुक्त ने कहा कि अगले एक साल में पूर्वी सिंहभूम को मछली उत्पादन का हब बनाना है इसके लिए वर्तमान में जितना मछली उत्पादन हो रहा उसमें 5 गुणा की बढ़ोत्तरी करें। वैसे सहकारी समिति जो शिथिल पड़े हैं उन्हें कोई सरकारी लाभ नहीं दिया जाएगा। उप विकास आयुक्त ने कहा कि किसानों मत्स्यपालकों को सशक्त बनाने एवं उनकी आय में वृद्धि के लिए झारखंड सरकार द्वारा कई योजनायें चलाई जा रहीं, जरूरत है कि खुद भी जागरुक होते हुए योजनाओं का लाभ उठायें तथा दूसरों को प्रेरित करें। 

मत्स्य पालकों को मिलेगा जिला स्तरीय ट्रेनिंग 

उप विकास आयुक्त ने कहा कि विज्ञान और तकनीक के आधार पर कार्य किए जाएं। मत्स्य पालक आधुनिकतम तकनीक को अपनाने पर विशेष ध्यान दें। अगले शनिवार को जिला स्तरीय कार्यशाला कराने का निर्देश मत्स्य पदाधिकारी को दिया गया। साथ ही बैठक में उपस्थित सदस्यों को भी निदेशित किया गया कि अपने साथ अपने ग्राम पंचायत के कम से कम दो और लोगों को कार्यशाला में लेकर जरूर आएं, जिनके पास पहले से तालाब है उन्हें प्राथमिकता दें। वर्तमान में जो मत्स्य पालन से जुड़े हैं उन्हीं में से 3 लोगों को मास्टर ट्रेनर चुनने का सुझाव भी दिया। उप विकास आयुक्त ने कहा कि आने वाले दिनों में आप लोगों के बीच से ही मास्टर ट्रेनर की संख्या बढ़ाते हुए प्रखंड स्तरीय कार्यशाला आयोजित कर मत्स्य पालन को गांव-गांव तक पहुंचाया जाएगा।     

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सहकारी समिति के बीच बंटे परसंपत्तियों का मांगा ब्यौरा  

जिले में मछली उत्पादन को लेकर पूर्व से गठित सहकारी समितियों के कार्यों की भी उप विकास आयुक्त ने समीक्षा की। उन्होने मत्स्य पदाधिकारी से सहकारी समितियों के बीच अब तक हुए सरकारी परिसंपत्तियों के वितरण का ब्यौरा मांगते हुए कहा कि वैसे लोग जो मत्स्य पालन में इच्छुक नहीं हैं वे दूसरों को जगह दें। जिला प्रशासन नए मत्स्य पालकों को भी अपने साथ जोड़ने की दिशा में उचित कदम उठायेगी। पिछले वित्तीय वर्ष में 15 हजार 500 mt मछली का उत्पादन जिले में हुआ है

‘अतिक्रमित सरकारी तालाबों की सूची दें’

उप विकास आयुक्त ने जिला मत्स्य पदाधिकारी एवं मत्स्य प्रसार पदाधिकारी को नियमित फील्ड में जाने का निर्देश देते हुए कहा कि मत्स्य पालन की योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार करें। साथ ही सभी समितियों को भी प्रत्येक रविवार को ग्राम पंचायत में बैठक कर और मत्स्यपालकों को जोड़ने का निर्देश दिया गया। कुछ सरकारी तालाबों के अतिक्रमित होने का भी मामला संज्ञान में लाया गया जिसपर उप विकास आयुक्त ने समिति को कार्यकारिणी की बैठक कर अतिक्रमित तालाबों की सूची देने की बात कही गई।  

मनरेगा से होगा तालाबों का जीर्णोद्धार

1 एकड़ से 5 एकड़ के तालाब का जीर्णोद्धार का प्रावधान राज्य सरकार द्वारा भूमि संरक्षण विभाग के माध्यम से किया गया है। कुछ मत्स्य पालकों ने तालाब छोटा होने की बात भी बताई। उप विकास आयुक्त द्वारा 1 एकड़ से कम के निजी व सरकारी तालाबों को मनरेगा के अंतर्गत जीर्णोद्धार कराने को लेकर आश्वस्त किया गया। वहीं मत्स्यपालकों को स्वयं से भी निजी तालाबों के जीर्णोद्धार कराने के लिए प्रेरित किया। जिन तालाबों का जीर्णोद्धार किया जाएगा उनमें कन्वर्जेंस से तालाब के बांध पर फलदार पौधों का वृक्षारोपण, बत्तख पालन, मचान खेती तथा किसानों- मत्स्यपालकों के बीच उद्यान विभागीय योजना के तहत हर्बल गार्डन, मेडिसिनल गार्डन की योजना का लाभ पहुंचाने का भी निर्देश दिया गया।  

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