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धार्मिक

जानें हिन्दू नववर्ष की महत्ता हिन्दू उत्सव समिति के संस्थापक श्री मृत्युंजय जी की जुबानी।

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THE NEWS FRAME

Jamshedpur : बृहस्पतिवार 31 मार्च, 2022

आज साकची स्थित होटल क्रिस्टल मे हिन्दू उत्सव समिति के द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया, जिसमें समिति के संस्थापक मृत्युंजय जी ने कहा कि बीते दो वर्षो मे मानव ऐसी मानवीय त्रासदी नहीं देखी। विश्व के समृद्ध से समृद्ध देश करोना महामारी से लोगों को बचाने मे अक्षम रहा पर अपने भारत में हम पारम्परिक भोजन, औषधि आयुर्वेद और देव भक्तों से हम सब भारतीय समाज को बचाने में बहुत हद तक सक्षम रहें। यह हमारे समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परम्परा का ही दें है कि हम भारतीय समाज को बहुत हद तक इस त्रासदी से बचाने मे सफल रहें। उसी संस्कृति और परम्परा को आगे बढ़ाते हुए हिन्दू उत्सव समिति अपने राष्ट्रीय उत्सव को पुनः समाज के बीच में पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी भगवा महाकुंभ का आयोजन हो गया है।

भगवा स्नान हेतु आयोजित मार्ग को भगवा पताका से पाट दिया गया है। हिन्दू नववर्ष  का एतिहासिक और प्राकृतिक महत्व है। जिसे सभी हिन्दू धर्मावलंबी धूम धाम से मनाते है।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :

1) इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।
2) सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।
3) प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।
4) शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है।
5) सिखो के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस है।
6) स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमआर्यम का संदेश दिया।
7) सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार भगवान झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।
8) राजा विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना। विक्रम संवत की स्थापना की ।
9) युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।
10) संघ संस्थापक प.पू.डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिन।
11) महर्षि गौतम जयंती

भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व :

1) वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
2) फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
3) नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।

भारतीय नववर्ष कैसे मनाएँ :

1) हम परस्पर एक दुसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें। पत्रक बांटें, झंडे, बैनर….आदि लगावे ।
2) आपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें।
3) इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फहराएँ।
4) आपने घरों के द्वार, आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ।
5) घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ।
6) इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें।
7) प्रतिष्ठानों की सज्जा एवं प्रतियोगिता करें। झंडी और फरियों से सज्जा करें।
8) इस दिन के महत्वपूर्ण देवताओं, महापुरुषों से सम्बंधित प्रश्न मंच के आयोजन करें।
9) वाहन रैली, कलश यात्रा, विशाल शोभा यात्राएं कवि सम्मेलन, भजन संध्या , महाआरती आदि का आयोजन करें।
10) चिकित्सालय, गौशाला में सेवा, रक्तदान जैसे कार्यक्रम।

हिन्दू उत्सव समिति के अध्यक्ष रामबाबू तिवारी ने कहा कि बीते वर्षों की भांति ही इस वर्ष भी हिन्दू नववर्ष की पूर्व संध्या पर हमारे शहर का मुख्य सांस्कृतिक हिन्दू नववर्ष यात्रा का भव्य आयोजन इस वर्ष भी किया जा रहा है।

जैसा कि मैं पहले भी कहते आया हूँ कि मानगो की यह पुण्य भूमि देव स्थान की तरह है। मानो यह अयोध्या हो, काशी हो, मथुरा हो। शायद इसीलिए लाख बाधाओं के बाद भी हरेक वर्ष लाखों की संख्या में सनातनी धर्मावलंबियों द्वारा हिन्दू नववर्ष मनाया जाता है। जिसकी बागडोर मृत्युंजय जी ने हमारे हाथों मे सौपा है। इस वर्ष भी यह यात्रा अयोध्या धाम एम जी एम मैदान डिमना मे एकत्रित होकर डिमना रोड होते हुए मानगो चौक, शीतला मंदिर, टैंक रोड़ होते हुए साकची गोलचक्कर, बंगाल क्लब होते हुए सुभाष मैदान के अन्दर भारतमाता के चरणों मे सामुहिक हनुमान चालीसा का , भारतमाता की आरती तथा प्रसाद वितरण के बाद ही सभी धर्मावलंबी अपने आवास की ओर प्रस्थान करेंगे।
उन्होंने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि नववर्ष यात्रा उत्सव मे कार्यकर्ताओं के साथ साथ समाज भी अपनी भागीदारी बढ़ चढ़ कर रहीं है। चुकी पूरे कोल्हान से लोग इस यात्रा मे शामिल होने आते है इसलिए समूचे मार्ग मे पानी, गुड़, चना, शर्बत आदि की व्यवस्था सेवा व्रतीयों द्वारा किया जाता है।
साथ ही उन्होंने यात्रा मे शामिल हिन्दू धर्मावलंबियों से आग्रह करते हुए कहा कि हम हिन्दू त्याग, बलिदान और सृजन के नायक है हमे अपने मूल को पहचानना है तथा हममे से प्रत्येक व्यक्ति को नववर्ष की यात्रा मे अपने आप को राजा श्रीरामचन्द्र जी के व्यवहार और आचरण का स्मरण कर अनुशरण करना है। उन्होंने ने विशेष रूप से मुख्य विन्दुओ पर लोगो से आग्रह किया कि
— हम प्रशासन के द्वारा यातायात व्यवस्था का पालन करें।
— किसी भी राजनीतिक पार्टी का विशेष रूप से नाम नहीं लें।
— करोना के संवैधानिक आदेशों का पालन करें।

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