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झारखंड

राष्ट्रीय लोकअदालत का आयोजन, जमशेदपुर सिविल कोर्ट में 218919 मामलों का निपटारा, 42 करोड़ 35 लाख 88 हजार 111 रुपए का राजस्व प्राप्त

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राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन, जमशेदपुर सिविल कोर्ट में 218919 मामलों का निपटारा, 42 करोड़ 35 लाख 88 हजार 111 रुपए का राजस्व प्राप्त

जमशेदपुर: नालसा और झालसा के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार जमशेदपुर द्वारा शनिवार 13 जुलाई को सिविल कोर्ट के लोक अदालत हॉल में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 218919 मामलों का निपटारा किया गया। इस दौरान 42 करोड़ 35 लाख 88 हजार 111 रुपए का राजस्व भी प्राप्त हुआ।

राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्घाटन झारखंड उच्च न्यायालय रांची के मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति डॉ बीआर सारंगी जी ने औपचारिक रूप से दीप प्रज्वलित कर ऑनलाइन किया। तत्पश्चात उनके संबोधन के पश्चात जमशेदपुर सिविल कोर्ट में राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार मिश्रा ने मोटर वाहन दुर्घटना में मृत मृतक के आश्रित को 11 लाख रुपए का चेक प्रदान किया।

इस दौरान प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सहित अन्य विशिष्ट अतिथियों में न्यायाधीश परिवार न्यायालय माननीय श्री अजीत कुमार सिंह, राज्य बार काउंसिल के उपाध्यक्ष राजेश कुमार शुक्ला, जिला बार एसोसिएशन तदर्थ समिति के अध्यक्ष लाला अजीत अंबष्ट, तदर्थ समिति के सदस्य जयप्रकाश जी, डालसा के सचिव श्री राजेंद्र प्रसाद आदि शामिल थे।

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प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत में अपने मामले का त्वरित समाधान पाकर आप समय और धन दोनों की बचत कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचाने में नालसा, झालसा और डालसा काफी मददगार साबित हुए हैं। वहीं राज्य बार काउंसिल के उपाध्यक्ष राजेश कुमार शुक्ला ने कहा कि समझौता के माध्यम से मामले के निष्पादन के लिए लोक अदालत एक बेहतर प्लेटफार्म है। उन्होंने डालसा द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों की भी सराहना की।

राष्ट्रीय लोक अदालत में अधिक से अधिक मामलों के निबटारे के लिए जमशेदपुर में कुल 14 बेंचों का गठन किया गया था। जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में सभी प्रकार के सुलहनीय मामलों का निपटारा किया गया। जिसमें मुख्य रूप से वन अधिनियम, विद्युत अधिनियम, माप-तौल अधिनियम, उत्पाद अधिनियम, बैंक ऋण, चेक बाउंस, श्रम अधिनियम, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, मोटर वाहन दुर्घटना प्रतिकर, भूमि अधिग्रहण संबंधी वाद, खान अधिनियम, पारिवारिक विवाद, सुलहनीय आपराधिक एवं सिविल मामले आदि शामिल हैं।

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