जमशेदपुर करीम सिटी कॉलेज में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ आयोजन, महामहिम राज्यपाल के शुभ हाथों से हुआ कार्यक्रम का उद्घाटन।

 

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पुस्तक Elementary of GST and Customs’ Law का विमोचन करते राज्यपाल तथा मंच पर उपस्थित गणमान्य अतिथि

Jamshedpur : बुधवार 04 जनवरी, 2023 

करीम सिटी कॉलेज के वाणिज्य विभाग तथा ग्रामीण विकास में वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली संस्था “नाबार्ड” के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजित हुआ जिसका विषय था- “कृषि तथा ग्रामीण विकास और समग्र आर्थिक विकास में उनकी सहभागिता” (Agriculture and Rural Development and their share and Stake in overall Economic Groeth.) जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड राज्य के राज्यपाल महामहिम श्री रमेश बैस सम्मिलित हुए और सम्मेलन का उद्घाटन अपने शुभ हाथों से किया। 

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ गंगाधर पंडा तथा अतिथि के रूप में नाबार्ड की तरफ से श्री गौतम कुमार सिंह, कोल्हन विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ कामिनी कुमार, डॉ अंजली गुप्ता (कुलपति जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय) श्रीमती विजया यादव (उपायुक्त पूर्वी सिंहभूम) मौजूद रहे। इस सभा में मुख्य वक्ता के रूप में  केजेएस सत्य साईं, पूर्व महा प्रबंधक “नबार्ड” शामिल हुए। कार्यक्रम की शुरुआत सम्मानित अतिथियों के हाथों दीप प्रज्ज्वलित करके हुई। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ मोहम्मद रेयाज ने अपने शब्दों से सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया।  

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करीम सिटी कॉलेज के प्राचार्य डॉ मोहम्मद रेयाज 

संयोजक ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की 

सम्मेलन के संयोजक डॉ मोअज्जम नजरी ने सम्मेलन के विषय वस्तु पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत एक कृषि प्रधान देश है और देश की अर्थव्यवस्था में कृषि, रीढ़ की हड्डी की हैसियत रखती है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद ग्रामीण क्षेत्र में काफी विकास हुआ लेकिन उसे अभी भी संतोषजनक नहीं कहा जा सकता। उन्होंने बताया कि इस दो दिवसीय सम्मेलन में एक सौ से अधिक शोध कर्मी अपने शोध पत्र पड़ेंगे। इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक डॉ मोअज्जम नजरी द्वारा लिखित पुस्तक Elementary of GST and Customs’ Law का विमोचन राज्यपाल तथा मंच पर उपस्थित गणमान्य अतिथियों के हाथों हुआ।

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सम्मेलन के संयोजक डॉ मोअज्जम नजरी

कुलपति ने कहा 

कोल्हन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ गंगाधर पंडा ने अपने संबोधन में राज्यपाल महोदय के कोल्हान विश्वविद्यालय के प्रति विशेष स्नेह का आभार व्यक्त करते हुए कहा की यह हमारा सौभाग्य है कि इस वर्ष का आपका पहला कार्यक्रम हमारे विश्वविद्यालय में हुआ। उन्होंने अपने संबोधन में कहा की धरती हमारी माता है और हम उसके पुत्र हैं और हमारी कृषि इसी धरती के कोख से जुड़ी हुई है। कृषि की उन्नति ही हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास का आधार है जिसके लिए नाबार्ड राष्ट्रीय स्तर पर सराहनीय कार्य कर रहा है।

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कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ गंगाधर पंडा

“नबार्ड” के प्रबंधक ने कहा 

“नबार्ड” के महाप्रबंधक श्री गौतम कुमार सिंह ने अपने भाषण में कृषि एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में नबार्ड की भूमिका पर प्रकाश डाला। इस संबंध में उन्होंने स्वयं सहायता समूह और किसान क्रेडिट कार्ड का विशेष रूप से उल्लेख के बाद बताया कि नाबार्ड अपने संसाधनों से राज्य सरकार को सहयोग करता है ताकि किसानों की स्थिति में सुधार हो सके। उन्होंने नाबार्ड का सूत्र वाक्य “गांव बड़े तो देश बढ़े” को दुहराया। उन्होंने आने वाली चुनौतियों की चर्चा की और कहा कि हमें जलवायु परिवर्तन के कारण नई-नई समस्याओं का सामना है जिनका हल निकालना होगा। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस कॉन्फ्रेंस में विचार विमर्श से जो सुझाव आएंगे उनका उपयोग झारखंड राज्य में कृषि के विकास में हो पाएगा।

मुख्य वक्ता ने कहा 

मुंबई से पधारे कृषि अर्थशास्त्री और विषय के विद्वान डॉ के जे एस सत्य साईं ने अपने भाषण में सीमांत किसानों पर विशेष चर्चा की और स्पष्ट किया कि झारखंड में किसानों की आमदनी घटी है जो चिंता का विषय है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अन्न उत्पादन समाज के लिए अति आवश्यक है और इसके लिए किसानों के शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक उत्थान पर पूरा ध्यान देना आवश्यक है। उनका मानना था कि आर्थिक विकास कृषि उत्पादन के विकास के बिना संभव नहीं क्योंकि हम सोना नहीं खा सकते, खाने के लिए अनाज ही चाहिए।

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कुलाधिपति महामहिम श्री रमेश बैस

राज्यपाल ने कहा 

अंतिम वक्ता के रुप में झारखंड के राज्यपाल और झारखंड विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति महामहिम श्री रमेश बैस ने कृषि एवं ग्रामीण विकास के कई पहलुओं पर बड़ी बारीकी से निगाह डाली और याद दिलाया कि एक समय था जब हमारे गांव आत्मनिर्भर थे। नमक के अलावा कुछ भी बाहर से मंगाना नहीं पड़ता था। कपड़ों और जूतों, खेती के लिए औजारों से लेकर फल सब्जियों और तेल तक की आपूर्ति गांव से ही हो जाती थी। आज स्थिति यह है कि गांव में दूध और सब्जी भी शहर से आ रही है। गांव का शहर ऊपर निर्भर होना ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए घातक है। उन्होंने दुख के साथ कहा कि किसान खेती छोड़ रहे हैं। हमें इस ओर यथाशीघ्र ध्यान देना होगा। खेती के अच्छे और आधुनिक तरीकों को गांव तक ले जाना होगा। हमें उत्पादकता बढ़ानी होगी और कृषि उत्पादों के को बड़े बाजारों तक पहुंचाना होगा। उन्होंने इस सम्मेलन से बहुत सी आशाएं व्यक्त की और कहा कि निश्चित रूप से कई अच्छे और सकारात्मक सुझाव सामने आएंगे।

सभा का संचालन डॉ नेहा तिवारी ने किया तथा डा जी विजय लक्ष्मी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। भोजनावकाश के बाद चार तकनीकी सत्र आयोजित किए गए जिनमें दिल्ली,  महाराष्ट्र, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार इत्यादि के प्रतिभागियो ने अपने-अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।

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