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My Pen : शुक्रवार 27 अगस्त, 2021
एक समाज सेवी और विचारक सुरेंद्र सिंह सामाजिक समस्याओं पर बेख़ौफ़ खुल कर अपनी बात रखते हैं। भारत में नक्सल समस्याओं पर उन्होंने कुछ शब्द लिखें हैं जिन्हें साझा कर रहा हूँ। आइये नक्सल समस्याओं पर सुरेंद्र सर की कलम से रचित एक विचार पढ़ते हैं –
“जद्दोजहद, भारत में हर काम के लिए है। लेकिन ऐसा लगता है, झारखंड और छत्तीसगढ़ के नक्सल पर केंद्र-सरकार राज्य सरकारों की इच्छा शक्ति मर गई है। जवानों को शहीदों का दर्जा दे फिर अगले चुनाव में बेशर्मों की तरह उतर जातें हैं। खदानों पर गुंडों और माफियों का राज़ है। झारखंड में कोयला खदानों के लगभग 54 हजार करोड़ रूपये बकाया है। आदिवासी एक ईमानदार जाति है, लेकिन अभी तक इन राज्यों में इन्हें उठाया नही गया। इन जन-जातियों को धर्म परिवर्तन पर ईसाई मिशनरियों ने बड़ा खेल किया है।
आज भी स्थिति बहुत ही दयनीय है। पता नही इस देश को कब, कौन और कैसे बनाएगा? हालांकि यह काम कुछ भी मुश्किल नही। इतनी धन संपदा वाले जमीन पर आजादी के बाद से ही कोई भी सरकार गंभीर नही रही है। देश चांद पर भले चले जाए। लेकिन मैं भारतीय राजनीति का पतन ही मानता हूं। यह घनघोर अंधेरे से कम नही। कैसे कोई इतने अंधेरे में रहकर लालकिले पर भाषण दे सकता है? और लोग कैसे इसका आनंद उठा लेते हैं?”