Chandil : शनिवार 04 दिसम्बर, 2021
विदित हो कि कोल्हान विश्वविद्यालय के एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में वैसे छात्र-छात्राएं जिनपर केस किया गया होगा उसका नामांकन रद्द कर दिया जाएगा और उसे दोबारा दाखिला नहीं दिए जाने का निर्णय लिया गया है।
इस निर्णय पर ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन कोल्हान विश्वविद्यालय प्रभारी सोहन महतो ने बयान जारी करते हुए कहा है कि इस प्रकार के निर्णय वह भी एकेडमिक काउंसिल में लिया जाना एकेडमिक काउंसिल के गरिमा को धूमिल करता है। यह विश्वविद्यालय की एक महत्वपूर्ण समिति है। एकेडमिक काउंसिल विश्वविद्यालय के विभिन्न निकायों के शिक्षण, शोध तथा भावी कार्यक्रमों, छात्रों शिक्षकों, कर्मचारियों से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय करने का निकाय है। ऐसे में एकेडमिक काउंसिल द्वारा इस प्रकार से शिक्षा और छात्र विरोधी निर्णय सरासर गलत है।
इस प्रकार के निर्णय ना केवल छात्रों को पढ़ने से रोकेगा बल्कि यह कहीं ना कहीं छात्रों के संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है। यह छात्र आंदोलन को दबाने का एक प्रकार का प्रयास भी है ताकि छात्र आंदोलन के क्रम में नेतृत्व कर्ताओं पर मुकदमे दर्ज कर दिए जाएं और उनका नामांकन से उन्हें वंचित कर दिया जाए।
देश में आजादी आंदोलन के दरमियान भी सैकड़ों हजारों लोगों के ऊपर मुकदमे दर्ज किए गए थे, परंतु उस समय उन्हें शिक्षा लेने से वंचित नही किया गया। विश्वविद्यालय प्रशासन के महत्वपूर्ण निकाय द्वारा इस प्रकार के निर्णय को अविलंब वापस लेना चाहिए अन्यथा इस निर्णय के खिलाफ छात्र संगठन ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स आर्गेनाइजेशन व्यापक तौर पर आंदोलन करेगा।
वहीं बता दें कि जेल जाने वाले मंत्री बन सकते हैं लेकिन विद्यार्थी पढ़ाई नहीं कर सकते। यह न्याय नहीं देश का दुर्भाग्य है। जहां जेल खटने वाले लोग सरकार में आकर कानून बनाते है। कानून किसी भी विद्यार्थी को शिक्षा से वंचित नहीं रखता फिर बेवजह के नियम और बेढंगे कानून बनाता कौन है? यह एक गंभीर सवाल है।
Nice report