छत्रपति शिवाजी महाराज : हर पराई स्त्री मेरी माँ और बहन के समान है।

 

THE NEWS FRAME


क बार छत्रपति शिवाजी के एक सेनापति ने कल्याण का किला जीता। बहुत से अस्त्र-शस्त्र के अलावा अत्यधिक सम्पत्ति भी उसके हाथ लगी। तभी एक सैनिक ने इस किले की एक अतिसुन्दर मुगल कन्या को सेनापति के समक्ष पेश किया। वह सेनापति उस नवयुवती के सौन्दर्य पर मुग्ध हो गया और उसने उसे शिवाजी को नजराने के तौर पर भेंट करने की ठानी। 

उस युवती को एक पालकी में बिठाकर वह शिवाजी के पास पहुँचा। शिवाजी उस समय अपने मंत्रियों के साथ राजनीतिक विषय पर बातचीत कर रहे थे। वहां पहुंचते ही सेनापाति ने उन्हे प्रणाम कर बोला- “महराज कल्याण का किला फतह हो चुका है और वहां से एक अनमोल चीज आपकों भेंट कर रहा हूँ। उसने उस पालकी की ओर इशारा करते हुए कहा।  

शिवाजी ने ज्योंही पालकी का परदा हटाया, उन्हे खूबसूरत मुगल नवयुवती के दर्शन हुए। उनका शीश लज्जा से झुक गया और उनके मुख से ये शब्द निकल पड़े – “काश! हमारी माताजी भी इतनी सुंदर होती।” 

और क्रोधित होते हुए उस सेनापति को डाँटते हुए बोले- ” मूर्ख, तुम मेरे साथ रहकर भी मेरे स्वभाव को न जान सके? शिवाजी दूसरों की बहू-बेटिय़ों को अपनी माता की तरह मानता है। जाओ इसे ससम्मान इसके घर लौटा आओ।”

– पूजा मौर्य, कक्षा 6, विकास विद्यालय, मानगो।

Leave a Comment