चौथे दिन हड़ताल पर बैठी सहियाओं ने बताया अपना दर्द – हम गरीबों की कोई नहीं सुनेगा अब ? चौथे दिन भी न मंत्री जी आये ना ही कोई नेता हमारा हाल ही जानने आया।

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JAMSHEDPUR : शुक्रवार 27 जनवरी, 2023 

हमें अपना हक़ चाहिए – की मांग करते हुए अनिश्चितकालीन कलमबद्ध हड़ताल पर बैठी मानगो UPHC के सामने सहिया के बेहोश होने के बावजूद ना ही किसी प्रशासनिक अधिकारी के कानों में जूं रेंगी ना ही किसी नेता या जन प्रतिनिधि के। आपको बता दें की प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कार्य करने वाली सहियाओं को उनके कार्य करने के बदले सहयोग राशि के नाम पर केवल 2000 रुपए मासिक दिया जाता है।

प्रदर्शन कर रही सहियाओं का कहना है की हमें हमारा हक़ चाहिए और हमारी 15 सूत्री मांगों को सरकार पूरा करे – 

1. सहिया ग्रामीण एवं शहरी मासिक प्रोत्साहन राशि के बदले FIXED मानदेय 18000 ₹ दिया जाए।

2. सहिया साथी का 24 दिन कार्यदिवस के बदले 30 दिन किया जाए और

मानदेय 24000 ₹ दिया जाए। 

3. सहिया एवं साथी को राज्य कर्मी का दर्जा दिया जाए।

4.कार्यानुभव के आधार पर सहियाओं को ANM का प्रशिक्षण देकर नियुक्ति में 50% आरक्षण दिया जाए। 

5. वर्ष में दो बार ड्रेस दिया जाए या 2000₹ दिया जाए। 

6. सहियाओं को अनुकम्पा का लाभ दिया जाए।

7. सहियाओं के आकस्मिक मृत्यु होने पर 50 लाख आर्थिक सहयोग दिया जाए।

8. शहरी सहिया एवं सहिया साथी को जो हटाया गया उसे पुनः कार्य में योगदान किया जाय।

9. सहियाओं को EPF तथा पेंशन का लाभ दिया जाए। 

10. हर पंचायत में स्वास्थ्य उपकेन्द्र खोला जाए एवं AMBULANCE डॉक्टर नर्स एवं उस पंचायत में कार्यरत सहिया साथी को तिथिवार प्रतिनियुक्त किया जाए। 

11. एक ठोस सहिया नियमावली विधान सभा में पारित किया जाए।

12. प्रतिवर्ष मानदेय में 5 से 10% वृद्धि किया जाए। 

13. राज्य के 42000 हजार सहिया को TAB दिया जाए।

14. प्रति सहिया को साईकिल के स्थान पर स्कूटी दिया जाए। 

15. VHSAND FUND 10000 से बढ़ाकर 25000 ₹ दिया जाए।

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आपको बता दें 23 जनवरी 2023 से झारखण्ड राज्य में 42000 हजार सहियाओं द्वारा प्रदर्शन किया जा रहा है। 

हड़ताल पर बैठी सहियाओं ने हमारे टीम से अपना दर्द बयां करते हुए बताया की –  

मजदुर से भी गए गुजरे हो गए हैं हम सब। न्यूनतम दैनिक मजदूरी भी हमें नसीब नहीं। सरकार हमेशा अमीरों और बड़े लोगों की सुनती है। हमारी बातें हमारे तकलीफ आज किसी नेता, विधायक, सांसद तक को दिखाई  नहीं पड़ रहा, हम गरीबों की भला कौन सुनेगा?

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एक सहिया ने बताया की हमलोग बहुत मेहनत करते हैं। गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं, वृद्धजनों की सेवाएं करते हैं। उनका गंदगी साफ करते हैं, सेवा करते हैं और बदले में हमें क्या मिलता है? गर्भवती महिला के यहां से कॉल आती है, तो दिन हो या रात हमें जाना उनकी सेवा करने उनके यहाँ जाना पड़ता है। हम भी महिलाएं हैं हमारे साथ भी दुर्व्यवहार की घटनाएं हो जाती हैं।  हमें कौन सुरक्षा प्रदान करेगा ? ऊपर से सहयोग राशि के नाम पर हमें ठगा जा रहा है। इतने में हमारा गुजारा नहीं हो पा रहा है। हमें हमारा हक़ मिलना चाहिए। 

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