जमशेदपुर | झारखण्ड
टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा समर्थित जनजातीय पहचान पर सबसे बड़े पारिस्थितिकी तंत्रों में से एक, संवाद कॉन्क्लेव के दसवें संस्करण का उद्घाटन गोपाल मैदान में 251 नगाड़ों, ढोल और संगीत वाद्ययंत्रों की धुन पर किया गया। जब आदिवासी कलाकार, गणमान्य अतिथिगण और प्रतिनिधि लयबद्ध ताल पर थिरकने के लिए गोलबंद हुए तो शंख और नगाड़ों की ध्वनि से मैदान गूंज उठा। कार्यक्रम की शुरुआत एक प्रार्थना से हुई और इस अवसर पर जीवन के विभिन्न चरणों को दर्शाने वाले गीत प्रस्तुत किये गए।
उद्घाटन की शुरुआत सभी अतिथियों द्वारा धरती आबा बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई, क्योंकि यह उनकी जयंती भी है। उद्घाटन समारोह के दौरान टाटा स्टील फाउंडेशन के चेयरमैन टीवी नरेंद्रन, टाटा स्टील फाउंडेशन के डायरेक्टर चाणक्य चौधरी, स्वतंत्र निदेशक डॉ. शेखर मांडे और टाटा स्टील लिमिटेड के स्वतंत्र निदेशक विजय कुमार शर्मा उपस्थित थे। बैजू मुर्मू, देश परगना, डीएचएआर, गणेश पाट पिंगुआ, पीर मानकी, पश्चिम सिंहभूम, सनिका भेंगरा, पाधा राजा, लक्ष्मी नारायण भगत, बेल-राजी पाधा, उत्तम सिंह सरदार, प्रधान, भूमिज, कान्हू महाली, देश परगना, महाली, चंदन होनहागा, महासचिव, मुंडा मानकी संघ, सुनील खडिया, महा सोहोर, और पशुपति कोल, माझी, कोल क्लान पीआरआई की ओर से कुछ सम्मानित प्रतिनिधियों में से थे, जो सम्मेलन में शामिल हुए, और मंच पर कलाकारों के साथ कदमताल मिलाए।
इस वर्ष की थीम – वाक विथ मी – उन रास्तों की पहचान करती है जिन पर भारत की जनजातियाँ विचारों, व्यक्तियों और सामूहिकता पर प्रकाश डालने के लिए चलती आयी हैं। यह विषय उभरते संवादों और वार्तालापों के साथ दृढ़ता से मेल खाता है, जिन्हें व्यक्त करने के लिए संवाद कॉन्क्लेव एक मंच के रूप में काम करता है।
आप जो सुनते हैं, उन नगाड़ों की ध्वनि भी विशेष महत्व रखती है। 251 नागाडा कोल्हान, रांची, खूंटी और ओडिशा के अन्य क्षेत्रों की जनजातियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। नगाड़ा का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जिसमें जंगली जानवरों को डराना, संदेश पहुंचाना और बुरी आत्माओं को भगाना शामिल है। नगाड़ों की ध्वनि को शुभ माना जाता है और इसका उपयोग गायन और नृत्य में ताल वाद्य के रूप में भी किया जाता है। आज इस मैदान पर 251 नगाड़ों की उपस्थिति संवाद 2023 की एक अच्छी शुरुआत का प्रतीक है और विभिन्न आदिवासी बहुल क्षेत्रों के नगाड़ा वादकों का प्रतिनिधित्व करती है। यह क्षेत्र की विभिन्न जनजातियों के बीच एकता का प्रतीक है।
इस बार, पहली बार, कलर्स ऑफ़ झारखण्ड का प्रतिनिधित्व करने वाली झारखंड की सभी 31 जनजातियाँ एक ही मंच पर एक साथ आईं। वे अपने प्रदर्शन के माध्यम से अपनी विविधता और एकता का प्रदर्शन करेंगे। झारखंड के विभिन्न आदिवासी समूहों द्वारा नृत्य की प्रस्तुति का संगम राज्य की सांस्कृतिक विरासत को बेहतरीन रूप में प्रदर्शित करता है। यह प्रदर्शन न केवल संवाद में एकत्रित आदिवासी समुदायों के संघर्षों, आकांक्षाओं और सपनों की कहानी को जोड़ता है बल्कि आदिवासी पहचान, संस्कृति, इतिहास और विरासत का भी जश्न मनाता है।
संवाद के बारे में ज्यादा जानने के लिए samvaad.tatasteelfoundation.org पर जाएं
About Tata Steel Foundation:
Tata Steel Foundation (the Foundation), a wholly owned subsidiary of Tata Steel Limited, was incorporated on August 16, 2016, under Section 8 of the Companies Act 2013. The Foundation operates across 4,500 villages in the states of Jharkhand and Odisha through a 600-member team reaching over a million lives annually. The Foundation is focused upon co-creating solutions, with tribal and excluded communities, to address their development challenges. During this process of co- creation, the Foundation endeavours to develop and implement change models that are replicable at a national scale, enable significant and lasting betterment in the well-being of communities proximate to the Company’s operating locations and embed a societal perspective in key business decisions.
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