जमशेदपुर। देश के गृह मंत्री अमित शाह को केंद्रीय मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को जिला उपायुक्त कार्यालय के माध्यम से वकीलों के प्रतिनिधि मंडल ने प्रेषित किया है। उपायुक्त की अनुपस्थिति पर अपर उपायुक्त को मांग पत्र सौंपा गया।
मांग पत्र में राज्यसभा में गृह मंत्री द्वारा दिए गए वक्तव्य की आलोचना की और कहा गया कि गृह मंत्री को शायद संविधान से ज्यादा समझ और श्रद्धा मनुस्मृति की है। अन्यथा यह नहीं कहते कि अंबेडकर का नाम लेना फैशन हो गया है यदि भगवान का नाम लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता। संविधान के कारण ही देश की पिछड़ी, अनुसूचित जनजाति और जाति वर्ग के लोग देश में सम्मान और गरिमा के साथ जीवन जी रहे हैं।
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अंबेडकर के प्रति उन शब्दों का प्रयोग अंबेडकर नहीं बल्कि देश के करोड़ों लोगों का अपमान है जिनकी अगाध श्रद्धा, निष्ठा, विश्वास, समर्पण बाबा साहब में है। इसके साथी राष्ट्रपति जी को यह भी याद दिलाया गया कि वह देश के सर्वोच्च पद को सुशोभित कर रहे हैं इसका कारण भी बाबासाहेब अंबेडकर और देश का संविधान है। राष्ट्रपति जी को यह भी बताया गया है कि देश के अन्य महान संत महापुरुषों के प्रति भी वे इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग भविष्य में कर सकते हैं और ऐसे में उन्हें पदमुक्त किया जाना जरूरी है। वे मनुस्मृति के अनुसार स्वर्ग चाहते हैं। तो ईश्वर का नाम जपना होगा और इसलिए पद छोड़ वे ईश्वर की भक्ति में रम जाएं।
पिछड़ी अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के वर्ग के लिए संविधान ही स्वर्ग के द्वार खोलता है। जिसमें वे सम्मान, गरिमा समानता के अधिकार के साथ अपना जीवन जी सकें। इस प्रतिनिधि मंडल में सुधीर कुमार पप्पू, पीएन गोप, मोहम्मद कासिम, बबिता जैन, रंजीत राम, मनोज प्रसाद, राहुल राय, कुलविंदर सिंह, बबिता जैन, निशांत कुमार, नंदलाल आदि अधिवक्ता शामिल थे।