सोना पर एक नजर : वर्ष 1947 से 2024 तक सोने के भाव में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। इस अवधि में आर्थिक स्थितियाँ, वैश्विक बाजार, महंगाई दर, मुद्रा मूल्य और अन्य कई कारकों का प्रभाव सोने की कीमत पर पड़ा।
आज़ादी के समय साल 1947 में सोने की कीमत 88.62 रुपये प्रति 10 ग्राम थी:
आज़ादी के बाद से सोने की कीमतों में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है। साल 1948 में सोने की कीमत बढ़कर 95.87 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई थी। साल 1959 में सोने का भाव पहली बार 100 रुपये के पार गया और कीमत 102.56 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। साल 1970 में सोना 184 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। साल 1980 में सोने की कीमत 1,333 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई। साल 1985 में सोने की कीमत थी 2,130 रुपये प्रति 10 ग्राम। साल 2000 में सोने का भाव बढ़कर 4,400 रुपये प्रति 10 ग्राम पर जा पहुंचा था।
यहाँ एक सामान्य समयरेखा में प्रमुख वर्षों के सोने के औसत भाव का विवरण दिया गया है (भारतीय रुपये प्रति 10 ग्राम के अनुसार):
1. 1947 – ₹88 प्रति 10 ग्राम
2. 1950 – ₹99 प्रति 10 ग्राम
3. 1960 – ₹112 प्रति 10 ग्राम
4. 1970 – ₹184 प्रति 10 ग्राम
5. 1980 – ₹1,330 प्रति 10 ग्राम
6. 1990 – ₹3,200 प्रति 10 ग्राम
7. 2000 – ₹4,400 प्रति 10 ग्राम
8. 2010 – ₹18,500 प्रति 10 ग्राम
9. 2015 – ₹26,343 प्रति 10 ग्राम
10. 2020 – ₹48,651 प्रति 10 ग्राम
11. 2022 – ₹52,000 प्रति 10 ग्राम
12. 2023 – ₹60,000 प्रति 10 ग्राम
13. 2024 – लगभग ₹70,000 प्रति 10 ग्राम (अनुमानित)
मुख्य कारण:
1. महंगाई: समय के साथ महंगाई बढ़ने से सोने की कीमतों में वृद्धि हुई।
2. वैश्विक आर्थिक अस्थिरता: युद्ध, मंदी और आर्थिक संकट के समय सोने की माँग बढ़ती है।
3. भारतीय बाजार में माँग: शादियों और त्योहारों में सोने की भारी माँग ने कीमतें बढ़ाईं।
4. मुद्रा अवमूल्यन: रुपये के कमजोर होने से सोने की कीमतें बढ़ती रहीं।
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1847 से 1947 के बीच सोने के भाव
1847 से 1947 के बीच सोने के भाव और वैश्विक घटनाओं से इसपर होने वाले प्रभाव को जानते हैं।
1847 से 1947 के बीच सोने के भाव में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया, जो वैश्विक आर्थिक स्थिति, युद्धों और मुद्रा प्रणाली में बदलाव के कारण हुआ। इस समयकाल में सोने का मूल्य मुख्य रूप से डॉलर प्रति औंस (ounce) या ब्रिटिश पाउंड में मापा जाता था। भारत में सोने की कीमतें भी उस समय ब्रिटिश राज के अंतर्गत थीं, जो अंतरराष्ट्रीय बाजारों के साथ जुड़ी थीं।
प्रमुख घटनाएँ और सोने का भाव (1847-1947):
1. 1847-1870: औद्योगिक क्रांति और स्थिरता का दौर
इस समय सोने की कीमतें स्थिर रहीं।
अंतरराष्ट्रीय भाव: सोने का मूल्य लगभग 18-20 डॉलर प्रति औंस था।
ब्रिटेन में, “गोल्ड स्टैंडर्ड” लागू था, जिससे मुद्राएँ सोने से जुड़ी थीं और मूल्य में स्थिरता बनी रही।
2. 1870-1914: गोल्ड स्टैंडर्ड का युग
इस समय वैश्विक अर्थव्यवस्था “गोल्ड स्टैंडर्ड” पर आधारित थी, यानी हर देश की मुद्रा सोने के भंडार से समर्थित थी।
सोने की कीमत स्थिर बनी रही, और इसका मूल्य औसतन 20.67 डॉलर प्रति औंस था।
भारत में: 1 तोला (11.66 ग्राम) सोने की कीमत लगभग 15-20 रुपये थी।
ब्रिटिश सरकार के कारण कीमतें स्थिर थीं।
3. 1914-1918: प्रथम विश्व युद्ध का प्रभाव
प्रथम विश्व युद्ध के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई और गोल्ड स्टैंडर्ड में गड़बड़ी आई।
सोने की मांग बढ़ी, क्योंकि लोग अपनी पूंजी को सुरक्षित करने के लिए सोने में निवेश करने लगे।
अंतरराष्ट्रीय भाव: कीमत बढ़कर 35 डॉलर प्रति औंस तक पहुँच गई।
भारत में सोने की कीमत लगभग 25-30 रुपये प्रति तोला हो गई।
4. 1918-1930: युद्ध के बाद का दौर और महामंदी
युद्ध के बाद कुछ देशों ने गोल्ड स्टैंडर्ड फिर से अपनाया, लेकिन वैश्विक अर्थव्यवस्था कमजोर थी।
1929 की महामंदी (Great Depression) के दौरान सोने की मांग और कीमतें स्थिर रहीं।
अंतरराष्ट्रीय भाव: 20.67 डॉलर प्रति औंस पर वापस आ गया।
भारत में सोने की कीमत लगभग 30-35 रुपये प्रति तोला थी।
5. 1931-1945: महामंदी के बाद और द्वितीय विश्व युद्ध
1934 में अमेरिका ने गोल्ड रिजर्व एक्ट पारित किया और सोने का मूल्य बढ़ाकर 35 डॉलर प्रति औंस कर दिया।
द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के दौरान सोने की कीमतों में उछाल आया, क्योंकि युद्ध के समय सोने की मांग बहुत बढ़ गई थी।
भारत में इस समय: 1 तोला सोने की कीमत लगभग 40-60 रुपये के बीच पहुँच गई।
6. 1945-1947: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का दौर
युद्ध के अंत और स्वतंत्रता से पहले सोने की कीमतें स्थिर रहीं, लेकिन भारत में महंगाई के कारण इसके मूल्य में वृद्धि हुई।
भारत में 1947 में 1 तोला सोने की कीमत लगभग 88-90 रुपये थी।
अंतरराष्ट्रीय भाव: 35 डॉलर प्रति औंस पर बना रहा।
भारत में सोने के भाव का सारांश (1847-1947):
1. 1850: 15-20 रुपये प्रति तोला
2. 1900: 18-22 रुपये प्रति तोला
3. 1914 (प्रथम विश्व युद्ध): 25-30 रुपये प्रति तोला
4. 1920: 30-35 रुपये प्रति तोला
5. 1939 (द्वितीय विश्व युद्ध): 40-50 रुपये प्रति तोला
6. 1947 (स्वतंत्रता): 88-90 रुपये प्रति तोला
निष्कर्ष:
1847 से 1947 के बीच सोने के भाव वैश्विक घटनाओं से प्रभावित होते रहे। प्रमुख युद्धों और आर्थिक संकटों के समय सोने की कीमतें बढ़ीं। 19वीं सदी में कीमतें स्थिर थीं, लेकिन 20वीं सदी के दो विश्व युद्धों ने सोने की मांग और मूल्य को तेजी से बढ़ाया। 1947 में भारत की स्वतंत्रता के समय सोना लगभग 90 रुपये प्रति तोला था, जो आज के समय के मूल्य से बेहद कम है।