क्रांतिकारी जननायक धरती आबा बिरसा मुंडा के 123 वाँ बलिदान दिवस पर बिरसानगर संडे मार्केट स्थित बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई।

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जमशेदपुर | झारखण्ड 

जल जमीन और जंगल बचाव के लिए सिर्फ अंग्रेज ही नहीं बल्कि अपने ही देश के व्यापारी दलालों को सबक सिखाया,जब भारत देश के राजा महाराजा अंग्रेजों के शरण में जा रहे थे उस समय एक 20 साल के आदिवासी नव युवा ने अंग्रेजों को ललकारा भी और पछाड़ा भी और आदिवासी समुदाय के रक्षक बने, आदिवासी अस्तित्व को बचाने के लिए समुदाय को प्रकृति धर्म की समझ दी, अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला देने वाले वीर आदिवासी जननायक योद्धा 9 जून 1900 को दुनिया को अलविदा कहकर चले गए थे। लेकिन यह वही समय था जब अधिकतर उन बहादुर नौजवानों ने जन्म लिया था। जिनकी आहट मात्र से अंग्रेजों की रूह काँपती थी, इनमें से अधिकतर नौजवान 1920 के आसपास विचारों की शान पर पिस्तौल चलाने लायक हो गए थे, बिरसा मुंडा से प्रेरित इन नौजवानों ने अंग्रेजी हुकूमत की चूल हिलाकर रख दी थी।

विनम्र श्रद्धांजलि वीर बिरसा मुंडा अमर रहें अमर रहें।💐💐

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