क्या मानव जीवन का अंत निकट है? कोरोना की दूसरी लहर ने बर्बाद किया मानव जीवन और अब आने को बेकरार है – तीसरी लहर।

वर्ष 2021 का आरम्भ कोरोना की दूसरी लहर लेकर आया। जिसमे सारा विश्व लपेटे में आ गया। वहीं अब कोरोना की तीसरी लहर अगस्त में आने की खबर जोरों पर है। इसे क्या माना जाए?

WHO ने B.1.617.2 स्ट्रेन को SARS-CoV-2 के ‘डेल्टा’ वेरिएंट के रूप में टैग किया है। साल 2021 के आरंभ में देश के कई हिस्सों को तबाह करने वाले  कोविड -19 संक्रमण की दूसरी लहर के ड्राइवरों में से इसे ‘डेल्टा’ वैरिएंट के रूप में पहचान की गई थी।

प्रारंभिक आंकड़ों यह बताते हैं कि डेल्टा प्लस संस्करण मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल उपचार के खिलाफ प्रतिरोध के संकेत दिखाता है।  कोविड -19 के लिए इस उपचार को हाल ही में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा अधिकृत किया गया था।

THE NEWS FRAME

आइये कुछ वैज्ञानिकों द्वारा कही बातों पर ध्यान देते हैं- 
जीनोमिक अनुक्रमण में विशेषज्ञता रखने वाले एक वैज्ञानिक, बानी जॉली ने ट्विटर पर कहा, “GISAID पर स्पाइक म्यूटेशन K417N वाले डेल्टा (B.1.617.2) के अनुक्रमों की एक छोटी संख्या पाई जा सकती है। आज तक, इन अनुक्रमों को जीनोम में पहचाना गया है।”
उन्होंने आगे कहा, “अनुक्रमों को हाल ही में वंशावली AY.1 (B.1.617.2.1) के रूप में नामित किया गया है, डेल्टा की एक उप-रेखा, K417N के बारे में चिंताओं के कारण बीटा संस्करण (B.1.351) में पाए जाने वाले उत्परिवर्तन में से एक है।”

पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने कोविड 19 के नए वेरिएंट पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा है कि डेल्टा प्लस वेरिएंट की पहचान भारत के छह जीनोम में 7 जून तक की गई थी। स्वास्थ्य एजेंसी ने नए K417N के साथ डेल्टा वेरिएंट के कुल 63 जीनोम की उपस्थिति की पुष्टि की है।

वहीं वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि चिंता करने को कोई आवश्यकता फिलहाल नहीं है क्योंकि भारत में डेल्टा प्लस वेरिएंट की फ़्रीक्वेंसी भारत में ज़्यादा नहीं है।

दिल्ली स्थित CSIR- इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) के एक वैज्ञानिक, विनोद स्कारिया ने रविवार को एक ट्वीट में कहा, “उभरते वेरिएंट में से एक B.1.617.2.1 है जिसे AY.1 के रूप में भी जाना जाता है, जिसके अधिग्रहण की विशेषता है।  K417N उत्परिवर्तन।”

स्कारिया ने आगे कहा कि डेल्टा प्लस वैरिएंट का गठन SARS-COV-2 के स्पाइक प्रोटीन में उत्परिवर्तन का परिणाम था।  यह वही स्पाइक प्रोटीन है जो वायरस को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने और संक्रमित करने में सक्षम बनाता है।

विनोद स्कारिया ने आगे कहा, “इस समय भारत में K417N की वैरिएंट फ्रीक्वेंसी ज्यादा नहीं है। सीक्वेंस ज्यादातर यूरोप, अमेरिका और एशिया से हैं।” 

बानी जॉली ने कहा, “बड़े (T95I) क्लस्टर को देखते हुए, ऐसा लगता है कि AY.1 कई बार स्वतंत्र रूप से उत्पन्न हुआ है और सीमित जीनोमिक निगरानी वाले देशों की तुलना में अधिक प्रचलित हो सकता है।”

As delta continues to evolve acquiring new mutations, there is a lot if interest in understanding these mutations. This tweetorial summarizes the emerging lineages of delta, otherwise named delta+

Data and analysis : @bani_jolly and @mercy_rophina pic.twitter.com/SOEXgkZqnH

— Vinod Scaria (@vinodscaria) June 13, 2021

A number of genomes are now available for the lineage AY.1 / B.1.617.2.1 from across the world. The sequences are mostly from Europe, Asia and America. The travel histories are not readily available to make assumptions. pic.twitter.com/CfoOTMNbnG

— Vinod Scaria (@vinodscaria) June 13, 2021

A dedicated nextstrain build for K417N is also now available .@firefoxx66 https://t.co/E0qbPrNlwE

— Vinod Scaria (@vinodscaria) June 13, 2021

 

इम्यूनोलॉजिस्ट विनीता बल ने कहा कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल के लिए डेल्टा प्लस वैरिएंट का प्रतिरोध उच्च विषाणु या गंभीरता का संकेत नहीं है।  आपको बता दें कि विनीता बल पुणे के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च में गेस्ट फैकल्टी हैं।

इतना रिसर्च होने के बाद भी यह कहना मुश्किल ही है कि आने वाले दिनों में कोरोना की तीसरी लहर क्या भयंकर रूप लेकर आएगी? तब तक के लिए सतर्क रहें। अपना और अपनों का ध्यान रखें।

अभी कोरोना का प्रकोप खत्म नहीं हुआ है। इसलिए बाहर जाते समय मास्क जरूर पहने। साथ ही 3 गज की दूरी बना कर ही रखें।

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