Health : कोविड -19 मात्र एक बीमारी नहीं बल्कि समूल मानव जाति का अंत करने के लिए आया एक राक्षस है, जो अतिसूक्ष्म है। पौराणिक कथाओं में हमने सुना है तो वहीं टेलीविजन धारावाहिक कार्यक्रमों के माध्यम से भी देखा है कि कैसे एक दानव अपने आप को अन्य रूपों में बदल लेता है। उसे कोई मार भी नहीं पाता और न ही उसके अंत होने का कोई रास्ता ही नजर आता है।
क्या आपको नहीं लगता यह कोरोना भी कुछ वैसा ही है। बलशाली दानव, जो असंख्य रूपों में अपने आप को बदल रहा है। और अभी तक इसकी मृत्यु के लिए ना ही कोई अस्त्र बना है ना ही कोई शस्त्र।
जो इसका शिकार हुआ वह या तो कमजोर हो गया या मौत के मुंह में चला गया। लेकिन एक बात यह भी है और अकाट्य सत्य है। जब सब खत्म होने लगता है तब जगत के कल्याण हेतु ईश्वर किसी रूप में अवतार लेते है और उस दानव का अंत हो पाता है। तो वह दिन दूर नहीं जब ईश्वर किसी रूप में अवतार लेंगे और कोरोना का अंत करेंगे। हो सकता है किसी वैक्सीन के रूप में ही आ जाएं।
खैर पूरी मानव जाति प्रयासरत है कि जल्द ही हमारे समाज से इस दानव का अंत हो जाये ताकि सामाजिक और आर्थिक रेलगाड़ी पटरी पर दौड़ने लगे।
वैसे आज हम बात करने वाले हैं कोरोना से ग्रसित व्यक्ति या कोरोना से रिकवर हुए लोगों में ब्लैक फंगस इंफेक्शन पाए जाने के संबंध में।
यह ब्लैक फंगस इंफेक्शन आखिर होता क्या है या ये ब्लैक फंगस इंफेक्शन क्या है?
आइये ब्लैक फंगस इंफेक्शन के बारे में जानते हैं।
बता दें कि ब्लैक फंगस इंफेक्शन उन लोगों में होता है जिनका शरीर किसी बीमारी से लड़ने में कमजोर हो जाता है। उसके शरीर मे कई तरह की शारीरिक समस्याएं होती है।
कैसे पहचाने ब्लैक फंगस इंफेक्शन को, इसके लक्षण क्या हैं?
साधारणतः कोरोना के समय या रिकवर होने के बाद में बुखार, सिर दर्द, दांतों में भी दर्द, आंखों का कमजोर होना, आंख और नाक के नीचे लालिमा दिखना और दर्द होना, खांसी, उल्टी में ब्लड दिखना, छाती में दर्द महसूस होना, सांस लेने में समस्या, शरीर में खून की कमी होना, मानसिक कमजोरी, इत्यादि इसके प्रमुख लक्षण हैं।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कोरोना साधारणतः हवा में सांस के जरिये शरीर के अंदर प्रवेश करता है। और शरीर के अंदर पहुंच कर यह हमारे फेफड़ों को संक्रमित करता है। लेकिन कई बार यह आंखों के रास्ते भी जा सकता है। जिसका वाहक हमारे हाथ हो सकते है। इसलिए तो हाथों को साबुन से धोते रहने का संदेश दिया जाता है।
Indian Council of Medical Research (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद)- ICMR ने ब्लैक फंगस इंफेक्शन के संबंध में जारी एडवाइजरी (सलाह) में साफ तौर पर कहा है कि मधुमेह रोगी या आईसीयू में अधिक दिन तक बिताने वाले कोविड के मरीजों में ब्लैक फंगस का असर अधिक है इसलिए इसका समय पर उपचार ही इससे संक्रमित व्यक्ति की जान को बचाया जा सकता है।
आप को बता दें कि वर्तमान में कोरोनावायरस अपने आप को अपडेट करके और भी ज्यादा खतरनाक हो गया है। इसलिए इन दिनों से Covid-19 से संक्रमित लोगों में ब्लैक फंगस इंफेक्शन के मामले अधिक देखने को मिल रहे हैं। वहीं इस वायरस से रिकवर हुए मरीज़ों में भी ब्लैक फंगस इंफेक्शन देखने को मिल रहे हैं। जिसे चिकित्सा जगत में Mucormycosis कहते हैं।
बता दें कि जो लोग कोरोना से रिकवर हुए है उनमें इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) कम हो जाती है। इसलिए ऐसे लोगों का खानपान सही होना चाहिए। भोजन में वहीं चीजों का सेवन करना चाहिए जिससे रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ें। वहीं जिन मरीज़ों को डायबिटीज़ की समस्या है और रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर है ऐसे लोगों को ब्लैक फंगस इंफेक्शन होने का खतरा ज्यादा होता है। वहीं जो मरीज़ अधिक समय से स्टेरॉयड ले रहे हैं, उनमें भी ब्लैंक फंगस होने का खतरा अधिक होता है।
इस बीमारी के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। इसमें एंटीबायोटिक औऱ एंटीफंगल दवाइयों का सेवन करना आवश्यक हो जाता है। वहीं सही समय पर बीमारी को समझ कर इलाज आरम्भ कर दिया जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती हैं। इस समय डायबिटीज़ के मरीज़ अपनी सेहत का ध्यान अधिक रखें। वहीं कोविड से रिकवर मरीज अपना ग्लूकोस लेवल लगातार जांचते रहे। डॉक्टर की सलाह के मुताबिक ही स्टेरॉयड का इस्तेमाल करें। ऑक्सीजन लेते समय क्लीन स्ट्राइल वाटर का इस्तेमाल करें।
अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए साइट पर जाएं –
https://www.icmr.gov.in/
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