जमशेदपुर | झारखण्ड
जिला कुष्ठ निवारण कार्यालय, पूर्वी सिंहभूम के सौजन्य से राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम अंतर्गत एसटीटी, बीटीटी तथा पीएचएम का एक दिवसीय प्रशिक्षण सह “सहिया रत्न-2023” पुरस्कार वितरण कार्यक्रम का आयोजन जिला परिषद सभागार में किया गया। कार्यक्रम में जिला परिषद अध्यक्ष, डेमियन फाउंडेशन के जिला समन्वयक कामदेव बेसरा, सहिया दीदी तथा अन्य लोगों ने प्रतिभाग किया। जिला परिषद अध्यक्ष श्रीमती बारी मुर्मू ने बताया कि अभी भी गांवों में कुष्ठ रोग को छुआछूत या घृणा की दृष्टि से देखा जाता है। अभी भी शादी- ब्याह करने से पहले देखते हैं कि उस परिवार में किसी को कुष्ठ रोग है कि नहीं।
कुष्ठ रोग के बारे में जनमानस को जागरूक करने की आवश्यकता है। कुष्ठ रोगी भी सामान्य रोगी जैसा घर में रहकर इलाज ले सकते हैं तथा सामान्य जीवन जी सकते हैं। उन्होंने कुष्ठ रोग के उन्मूलन के लिए हर सम्भव मदद करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि अभी भी हमारे समाज में कुष्ठ रोग के प्रति बहुत सारी भ्रान्तियाँ है और उन्हें हम सब मिल कर मिटाना है ।डेमियन फाउंडेशन के कामदेव बेसरा ने सभी प्रतिभागियों को कुष्ठ रोग के लक्षण, प्रकार,उपचार, भ्रांतियां, एसटी, भीएमटी के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने दिव्यांग कुष्ठ रोगियों के लिए शेल्फ केयर के बारे मे जानकारी दी।
जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी सह यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. मृत्युंजय धावड़िया ने कुष्ठ मरीजों को खोजने पर जोर दिया ताकि जितना जल्दी संदेहास्पद मरीजों का पहचान होगा उतना जल्दी ईलाज शुरू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज इस सभागार से जो भी सीखकर जाएं उसे दैनिक जीवन में उपयोग करें तथा हम सभी को मिलकर कुष्ठ रोगियों को कुष्ठ रोग से ग्रसित होकर दिव्यांग होने से बचाना है ।
जिला कुष्ठ परामर्शी डॉ. राजीव लोचन ने जिला परिषद अध्यक्ष का आभार जताया और कहा कि कुष्ठ रोग के उन्मूलन के लिए सभी जनप्रतिनिधियों का सहयोग अपेक्षित है। डॉ. राजीव ने पूर्वी सिंहभूम जिला में कुष्ठ उन्मूलन के लिए किए जा रहे कार्यों से अवगत कराया। अंत में कुष्ठ उन्मूलन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले 65 सहियाओं/ बी0टी0टी को जिला परिषद के अध्यक्ष श्रीमती बारी मूर्मू ने “सहिया रत्न-2023” से पुरस्कृत किया गया।उन्होंने कुष्ठ निवारण कार्यालय के इस पहल की सराहना की।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में कायचिकित्सक राज कुमार मिश्रा, अचिकित्सा सहायक बिनोद कुमार, ऋषिकेश गिरि, नितेश कुमार, अभिरंजन दास, आरती राना, दुर्योधन बागती तथा सोनाराम पूर्ति की महत्वपूर्ण भूमिका रही।