कृषक आंदोलन में खालिस्तानी मूवमेंट होना स्वाभाविक नहीं हो सकता यह किसी बड़े घटना को अंजाम देने की भी साजिश हो सकती है।
आपको बता दें की कृषक आंदोलन का चादर ओढ़े कुछ असामाजिक लोग भारत की अखंडता के लिए खतरा बन सकते हैं। इस कृषक आंदोलन में खालिस्तानी साहित्य का वितरण किया गया है।
खालिस्तानी मूवमेंट से जुड़े लोगों की सक्रियता के सवाल पर किसान संगठनों के नेताओं ने साफ-साफ कह दिया है की उनसे उनका कोई लेना देना नहीं है। मध्य प्रदेश के किसान नेता शिवकुमार कक्का ने कहा है कि उनकी नजर में ऐसा कुछ नहीं आया है। यह केंद्र सरकार की कृषक आंदोलन को बदनाम करने की साजिश है। किसान नेता जगदीप ने कहा कि यदि ऐसा कुछ हुआ है तो ऐसे लोग किसान आंदोलन से हटाए जाएंगे। किसान नेता खालिस्तानी साहित्य बांटने को लेकर पल्ला झाड़ते हुए, इससे कोई लेना देना नहीं है कि बात कह रहे है।
कृषक आंदोलन में खालिस्तानी साहित्य बांटने वालों के खिलाफ दिल्ली भाजपा प्रवक्ता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने गृहमंत्री अमितशाह, गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी और दिल्ली पुलिस से शिकायत की है तथा सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कार्यक्रम की फोटो टैग करते हुए लिखा है कि लोग कृषक आंदोलन में खालिस्तानी साहित्य बांट रहें हैं उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए।