- एक किसान की संघर्षभरी कहानी
गिरीडीह : जिले के सरिया अनुमंडल के बगोदर प्रखंड से करीब 20 किलोमीटर दूर कारी पहरी गांव में चारों ओर जंगल से घिरी बंजर जमीन पर एक किसान ने अपनी मेहनत से सूर्यमुखी की खेती कर मिसाल कायम की। बेको गांव के रहने वाले तुलसी कुमार उर्फ मनीष ने लगभग दो एकड़ बंजर जमीन पर सूर्यमुखी उगाकर पूरे क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई।
लेकिन उनकी यह सफलता सरकार के लिए कोई मायने नहीं रखती। वे सरकारी योजनाओं से वंचित हैं और सरकारी तंत्र की लापरवाही के शिकार हो रहे हैं।
सरकारी योजनाओं से दूरी
तुलसी कुमार बताते हैं कि अब तक उन्हें सिर्फ ‘मोटर कुसुम योजना’ के तहत कुछ मदद मिली, लेकिन इसके बाद किसी भी योजना का लाभ नहीं दिया गया। उन्होंने कहा, “हमने उम्मीद की थी कि सरकार हमें कुछ सहायता देगी, लेकिन हमें अनदेखा किया गया। अगर हमें सिंचाई की सुविधा मिलती, तो हम और भी ज्यादा उत्पादन कर सकते थे।”
आर्थिक तंगी और प्रशासन की बेरुखी
खेती के लिए कर्ज लेकर उपकरण खरीदने वाले किसान आज कर्ज के बोझ में दबे हुए हैं। बारिश न होने पर या फसल खराब होने पर कोई मदद नहीं मिलती। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार सिर्फ बड़े किसानों की सुनती है, छोटे और मेहनती किसानों की हालत पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।
क्या चाहिए किसानों को?
- सिंचाई के लिए सरकारी सुविधा
- खाद और बीज पर सब्सिडी
- फसल बीमा का लाभ
- बंजर जमीन सुधारने की सरकारी योजना
सरकार से सवाल
क्या सरकार किसानों की मदद करेगी? या फिर तुलसी कुमार जैसे मेहनती किसान इसी तरह संघर्ष करते रहेंगे? अगर सरकार वाकई किसानों के विकास के लिए काम कर रही है, तो उन्हें इन छोटे किसानों की भी सुध लेनी होगी।
वीडियो देखें :
रिपोर्ट: संतोष कुमार तरवे (गिरीडीह संवाददाता)