कर्ज में डूबा देश और अर्थव्यवस्था।

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किसी भी देश के लिए कर्ज लेना आसान तो हैं लेकिन उसकी भरपाई करना उतना ही मुश्किल। जिसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था डगमगाने लगती है और महंगाई अधिक हो जाती है।

किसी देश का अन्य देश को कर्ज देना भी एक राजनीतिक कारण है। जिसके द्वारा कर्ज लेने वाले देशों पर दबदबा बनाये रखना है। हालांकि आर्थिक रूप से मजबूत विश्व का हर देश अपने से कमजोर देश को सहायता करता है। चाहे धन से या जरूरी सामग्रियों से। यह विदेश नीति और राजनीति का एक हिस्सा है।

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लेकिन चीन इसे एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करता है।  पाकिस्तान, मालदीव और नेपाल जैसे देशों को कर्ज देकर वह उनको गुलाम की तरह इस्तेमाल भी बखूबी कर रहा हैं। आपको बता दें कि विश्व का हर देश कोरोना महामारी के कारण जहां आर्थिक रूप से त्रस्त हैं वहीं बढ़ते बोझ की वजह से भी परेशान है।
मालदीव की ही बात करें तो इसकी अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा है। इसकी पूरी अर्थव्‍यवस्‍था लगभग 5 अरब डॉलर की है जो कर्ज से जूझ रही है।  इस देश को भारत ने 25 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता प्रदान की है जबकि चीन का मालदीव पर 3.1 अरब डॉलर का बहुत बड़ा कर्ज है।  भारत की इस मदद को अन्य देश विश्व के राजनीतिक मंच पर चीन के खिलाफ रणनीति मानते हैं। 
भारत और भारत के लोग निःस्वार्थ भावना से विश्व के सभी देशों को सहायता पहुंचाते हैं। हमारा इतिहास और हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम को फॉलो करती है। जगत कल्याण की भावना और विकास के लिए हाथ बढ़ाना भारत के लिए कोई नई बात नहीं है। भारत ज्यादातर कर्ज एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे आर्थिक रूप से कमजोर देशों को देता रहा हैं।
आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2013-14 में भारत ने  विभिन्न देशों को लगभग 11 अरब डॉलर का कर्ज दिया था जो वित्त वर्ष 2018-19 में 72.67 अरब रुपये हो गया। वहीं वर्ष 2019-20 वित्तिय वर्ष में आंकड़ा बढ़कर 90.69 अरब रुपये हो गया।
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अब हम बात करतें हैं कि भारत के ऊपर कितना कर्ज है ?

वर्तमान समय में भारत सरकार पर कुल 147 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। वहीं वित्त वर्ष  2020-21 के लिए 12 लाख करोड़ का कर्ज मार्केट से लेने का फैसला लिया है। कर्ज लेने के बाद यह आंकड़ा 159 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा। 
बात दें कि मार्च 2020 के अंत तक कर्ज की राशि 558.5 अरब डॉलर यानी 40573.66 अरब रुपया  पहुंच गया। भारतीय वित्त मंत्रालय के अनुसार वाणिज्यिक ऋण के बढ़ने से देश पर कुल बाहरी कर्ज भी बढ़ा है।  
कोरोना काल में भारत ने वर्ल्ड बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से कर्ज लिया है।  वर्ल्ड बैंक ने माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) की मदद के लिए 75 करोड़ अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 5448 करोड़ रुपया लोन देने का ऐलान किया।  वर्ल्ड बैंक ने कोरोना महामारी से उत्पन्न विश्व संकट से उबरने के लिए 7500 करोड़ रुपये का कर्ज पिछड़े और गरीब तबकों के लिए मंजूर किया है। वहीं एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से 1.5 अरब डॉलर लगभग 112.60 अरब रुपये का कर्ज लिया है। यह सभी कर्ज कोरोना संकट से उबरने के साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था में अतिशीघ्र सुधार हेतु लिए गए हैं।

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