Connect with us

झारखंड

एमटीएमएच ने 50 वर्षों की करुणामयी कैंसर चिकित्सा सेवा का जश्न मनाया

Published

on

THE NEWS FRAME

जमशेदपुर : मेहरबाई टाटा मेमोरियल अस्पताल (एमटीएमएच) आज अपनी 50 वर्षों की समर्पित सेवा का जश्न मना रहा है। इस खास अवसर पर, कुडी महंती ऑडिटोरियम में कैंसर रोगियों के प्रति इसके अथक प्रयासों और योगदान के सम्मान में एक समारोह का आयोजन किया गया।

डॉ. आर.एन. शर्मा, चेयरमैन, एमटीएमएच मुख्य अतिथि के रूप में समारोह में शामिल हुए, जबकि श्री चाणक्य चौधरी, वाइस चेयरमैन, एमटीएमएच ने विशिष्ट अतिथि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस अवसर पर श्री राकेश्वर पांडे, प्रेसिडेंट, एमटीएमएच एम्पलाई यूनियन सहित कई अन्य गणमान्य अतिथि भी उपस्थित थे, जिनमें टाटा स्टील के वरिष्ठ प्रबंधन, एमटीएमएच और टीएसडब्ल्यूयू के सदस्य, सम्मानित नागरिक, डॉक्टर, कैंसर से उबरने वाले लोग और एमटीएमएच स्टाफ शामिल थे।

THE NEWS FRAME

चेयरमैन ने गोल्डन जुबली उत्सव का उद्घाटन किया और अस्पताल के भविष्य के प्रति अपना विजन साझा किया। श्री चाणक्य चौधरी ने इस उपलब्धिपूर्ण वर्ष के लिए निर्धारित साल भर की गतिविधियों का अनावरण किया, जिसमें प्रमुख रूप से एचपीवी टीकाकरण अभियान (जिसमें आज सुबह डीबीएमएस स्कूल में लड़कियों का पहला समूह टीकाकृत किया गया), ग्रामीण इलाकों में स्क्रीनिंग कैंप, एक विशेष ऑन्कोलॉजी कांफ्रेंस, और सबसे अहम, मार्च 2025 में जुबली ओटी ब्लॉक का उद्घाटन शामिल हैं। इस अवसर पर श्री राकेश्वर पांडे ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

Read More : जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय का दूसरा दीक्षांत समारोह: तैयारियां अंतिम चरण में

डॉ. कोशी वर्गीज, डायरेक्टर, एमटीएमएच ने अतिथियों का स्वागत किया। डॉ. सुजाता मित्रा, चेयरमैन की सलाहकार ने वर्ष भर के लिए निर्धारित गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा की और श्री निशिथ सिन्हा, मानद सचिव ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। डॉ. वनीता पांडे ने समारोह का संचालन किया।

एमटीएमएच की स्थापना जमशेदपुर कैंसर सोसाइटी (पूर्व में भारतीय कैंसर सोसाइटी, जमशेदपुर शाखा) द्वारा 1975 में इस क्षेत्र के कैंसर रोगियों के लिए की गई थी। इसे भारत की पहली नारीवादी की प्रतीक लेडी मेहरबाई टाटा के नाम पर रखा गया, जो सर दोराबजी जमशेदजी टाटा की पत्नी थीं। 4 फरवरी 1975 को, श्री जे आर डी टाटा, तत्कालीन चेयरमैन, टाटा संस द्वारा अस्पताल का उद्घाटन किया गया। इस अस्पताल का निर्माण 10 लाख रुपये की राशि से हुआ था, जिसमें सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट से 3 लाख रुपये की अनुदान राशि और कई संस्थाओं और व्यक्तियों द्वारा दी गई राशि शामिल थी। इस अस्पताल की डिज़ाइन श्री आर. एन. मास्टर, चीफ आर्किटेक्ट और टाउन प्लानर द्वारा की गई थी।

THE NEWS FRAME

2018 में, टाटा ट्रस्ट्स के भारत में कैंसर चिकित्सा में क्रांति लाने के दृष्टिकोण के तहत, ट्रस्ट्स ने टाटा स्टील के साथ साझेदारी कर एमटीएमएच को एक समग्र कैंसर केयर सेंटर में बदलने की दिशा में काम किया। इस परियोजना के लिए शिलान्यास 2 मार्च 2018 को श्री रतन टाटा द्वारा किया गया। सिर्फ एक वर्ष के भीतर, 13 मार्च 2019 को श्री रतन टाटा ने अपग्रेडेड एमटीएमएच का उद्घाटन किया और इसे झारखंड के मरीजों को समर्पित किया।

Read More : SUCCESS SORRY : पारंपरिक खेती छोड़ स्ट्रॉबेरी की खेती से बदली बैजू हेंब्रम की किस्मत, अन्य किसानों के लिए बने प्रेरणास्रोत, सालाना लाखों की कर रहे आमदनी

वर्तमान में, एमटीएमएच एक एनएबीएच (एंट्री लेवल) मान्यता प्राप्त अस्पताल है, जिसमें 130 बिस्तरों की क्षमता है, एक समर्पित डे केयर सेंटर, नवीनतम रेडिएशन उपकरण, और राज्य-स्तरीय डायग्नोस्टिक्स शामिल हैं, जिनमें एक एनएबीएल मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला और पीईटी सीटी भी है। प्रीतपाल पॅलियटिव केयर सेंटर (जो सूरी सेवा फाउंडेशन द्वारा वित्तपोषित है) इस क्षेत्र में अपनी तरह का एकमात्र सेंटर है। अनुभवी कंसल्टेंट्स और नर्सिंग स्टाफ मिलकर मरीजों को कैंसर के उपचार के नवीनतम तरीके उपलब्ध कराने में समर्पित हैं।

THE NEWS FRAME

अस्पताल आयुष्मान भारत योजना और झारखंड मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी योजना के तहत भी पैनल में है, जिसके कारण यह बीपीएल (गरीबी रेखा के नीचे रहनेवाले) मरीजों को भी इलाज प्रदान करने में सक्षम है।

श्री रतन टाटा का कैंसर चिकित्सा के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट था जब उन्होंने देशभर में कैंसर सुविधाओं की स्थापना की मंजूरी दी थी: “किसी भी कैंसर मरीज को इलाज के लिए अपने राज्य से बाहर यात्रा करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।” यही एमटीएमएच का उद्देश्य है—झारखंड और इसके आसपास के क्षेत्र में किफायती और गुणवत्तापूर्ण कैंसर देखभाल को सभी के लिए सुलभ बनाना।

Loading

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

झारखंड

वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद कथित सेक्युलर चेहरों से उतर गया नकाब : सुधीर कुमार पप्पू

Published

on

सुधीर कुमार पप्पू

जमशेदपुर। मोदी सरकार ने वक्फ संशोधन बिल को संसद के दोनों सदनों से पारित करवा लिया है, जिसके बाद देश की राजनीति में एक नई बहस छिड़ गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि तथाकथित सेक्युलर चेहरों की असलियत अब जनता के सामने आ चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिम समाज को धोखा देने वाले नेताओं को अब आगामी चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी में असंतोष बढ़ा है और मुस्लिम नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। चिराग पासवान और जीतन राम मांझी को भी इसका नुकसान होगा। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा भाजपा को समर्थन देना भी उनके लिए महंगा साबित हो सकता है, क्योंकि मुस्लिम समुदाय अब उन्हें समर्थन नहीं देगा।

पप्पू ने आरोप लगाया कि यह विधेयक एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा है जिसके जरिए मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है ताकि उन्हें पूंजीपतियों को सौंपा जा सके। उन्होंने कहा कि यह विधेयक गैर संवैधानिक है और इसकी वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। पूरे देश में इसके खिलाफ आंदोलन का माहौल बनता जा रहा है जो आने वाले समय में मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।

Read more : रोटरी क्लब वेस्ट ने आयोजित किया प्रेरणादायक पर्यावरण जागरूकता सत्र, डॉ. विक्रांत तिवारी ने साझा किए अनुभव

कानूनी दृष्टिकोण से वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 के पक्ष और विपक्ष में तर्क:

इस विधेयक को लेकर सरकार का तर्क है कि यह वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने का माध्यम है। विवादित संपत्तियों के निर्धारण, वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली में सुधार और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए इसमें कई प्रावधान जोड़े गए हैं। साथ ही, गैर-मुस्लिम सदस्यों को बोर्ड में शामिल करने से समुदायों के बीच समरसता को बढ़ावा मिलेगा।

वहीं दूसरी ओर, इसके विरोध में यह कहा जा रहा है कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 25, 26, 14, 15 और 300A का उल्लंघन करता है। विशेष रूप से धारा 3E (Section 3E) को लेकर गंभीर आपत्ति जताई गई है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि यह प्रावधान अनुसूचित जनजातियों के उन सदस्यों को वक्फ के रूप में संपत्ति समर्पित करने के अधिकार से वंचित करता है जो इस्लाम धर्म अपना चुके हैं। अनुसूचित जातियों के विपरीत, अनुसूचित जनजातियों के सदस्य धर्म परिवर्तन के बाद भी अपनी जनजातीय पहचान नहीं खोते। ऐसे में इस्लाम अपनाने वाले जनजातीय व्यक्ति मुसलमान भी माने जाते हैं, परन्तु इस संशोधन द्वारा उन्हें अपने धर्म के एक आवश्यक अंग का पालन करने से रोका जा रहा है, जो कि अनुच्छेद 25 और 26 के तहत उनके धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है।

यह प्रावधान अनुच्छेद 14 और 15 का भी उल्लंघन करता है क्योंकि यह धर्म के आधार पर अनुसूचित जनजातियों के बीच और जनजातीय मुसलमानों के बीच भेदभाव करता है। इसके अतिरिक्त यह अनुच्छेद 300A के तहत संपत्ति के अधिकार को भी अप्रभावी बनाता है। इस प्रकार, यह संशोधन मनमाना, भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है तथा इसे रद्द किया जाना चाहिए।

निष्कर्षतः, वक्फ संशोधन विधेयक एक संवेदनशील और बहुआयामी विषय है जो धार्मिक अधिकार, अल्पसंख्यक संरक्षण और प्रशासनिक सुधार – तीनों के बीच संतुलन की मांग करता है। इसे केवल राजनीतिक चश्मे से नहीं बल्कि संविधान और न्यायिक समीक्षा की कसौटी पर परखा जाना चाहिए।

Loading

Continue Reading

झारखंड

रोटरी क्लब वेस्ट ने आयोजित किया प्रेरणादायक पर्यावरण जागरूकता सत्र, डॉ. विक्रांत तिवारी ने साझा किए अनुभव

Published

on

THE NEWS FRAME

जमशेदपुर : रोटरी क्लब वेस्ट जमशेदपुर द्वारा मोतीलाल नेहरू पब्लिक स्कूल के प्रेक्षागृह में एक प्रेरणादायक पर्यावरण जागरूकता सत्र का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे प्रख्यात पर्यावरणविद् और सामाजिक उद्यमी डॉ. विक्रांत तिवारी, जिन्होंने अपने दो दशक से अधिक के कार्य अनुभव के आधार पर युवाओं और शिक्षकों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रेरित किया।

डॉ. तिवारी का प्रेरणास्पद संदेश

आईआईएम कलकत्ता और हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के पूर्व छात्र डॉ. तिवारी ने बताया कि उन्होंने अब तक 17 मिलियन से अधिक पेड़ों का रोपण करवाया है और कई एनजीओ को संसाधन जुटाने में सहायता प्रदान की है। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी टीम न केवल हरित भारत की कल्पना को साकार कर रही है, बल्कि आदिवासी कला और संस्कृति को बढ़ावा देकर सतत विकास की दिशा में भी कार्य कर रही है।

डॉ. तिवारी ने छात्रों को बताया कि “पर्यावरण संरक्षण कोई विकल्प नहीं, बल्कि यह अब हमारी अनिवार्य जिम्मेदारी बन चुकी है। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए हमें व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर छोटे लेकिन असरदार कदम उठाने होंगे।”

Read more : निजी स्कूलों में आदेश की अवहेलना कर किताबों की बिक्री, अभिभावक संघ ने की कार्रवाई की मांग

विद्यालय प्रबंधन की सक्रिय भागीदारी

इस कार्यक्रम की सफलता में स्कूल प्रबंधन समिति, विशेष रूप से प्राचार्या श्रीमती संगीता सिंह, उप प्राचार्या और समन्वयक शिक्षकों की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही। उन्होंने छात्रों को न केवल आयोजन से जोड़ा, बल्कि पर्यावरणीय चेतना को व्यवहार में उतारने का संदेश भी दिया।

रोटरी क्लब की प्रतिबद्धता

रोटरी क्लब वेस्ट की यह पहल संगठन की स्थिरता, हरित भविष्य और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को दर्शाती है। क्लब ने इस सत्र के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि वे न केवल समाज सेवा में, बल्कि पर्यावरण संरक्षण जैसे संवेदनशील विषयों पर भी जागरूकता बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।

छात्रों में दिखा उत्साह

सत्र के दौरान छात्रों ने पर्यावरण से जुड़ी जिज्ञासाओं को खुलकर साझा किया और डॉ. तिवारी से मार्गदर्शन प्राप्त किया। कार्यक्रम के अंत में “प्रकृति से संवाद” विषय पर एक लघु प्रस्तुति ने सभी को भावुक और जागरूक कर दिया।

यह आयोजन न केवल एक जागरूकता अभियान था, बल्कि एक प्रेरणा स्रोत भी बना, जो भावी पीढ़ी को हरित और टिकाऊ भारत के निर्माण की दिशा में सोचने और कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।

Loading

Continue Reading

झारखंड

निजी स्कूलों में आदेश की अवहेलना कर किताबों की बिक्री, अभिभावक संघ ने की कार्रवाई की मांग

Published

on

THE NEWS FRAME

जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम जिला के कई निजी स्कूलों द्वारा शिक्षा विभाग के स्पष्ट आदेशों की अवहेलना करते हुए स्कूल परिसर में किताबों की बिक्री जारी रखने का मामला सामने आया है। इस पर नाराजगी जताते हुए जमशेदपुर अभिभावक संघ ने उपायुक्त और जिला शिक्षा अधीक्षक को पत्र सौंपकर कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

अध्यक्ष डॉ. उमेश कुमार द्वारा हस्ताक्षरित ज्ञापन में कहा गया है कि झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 की धारा 7(अ)(3) के अनुसार स्कूल परिसर का उपयोग केवल शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए। इसके तहत स्कूल किसी भी प्रकार के व्यापारिक गतिविधि, जैसे किताबें, यूनिफॉर्म या जूते आदि की बिक्री के लिए अभिभावकों या छात्रों को बाध्य नहीं कर सकता।

जारी हैं व्यवसायिक गतिविधियाँ, आदेश की हो रही अनदेखी

अभिभावक संघ ने दावा किया है कि despite विभागीय आदेशों के बावजूद, जमशेदपुर के कुछ प्रतिष्ठित निजी स्कूल – जैसे सेंट मैरी स्कूल बिस्टुपुर, चिन्मया स्कूल बिस्टुपुर और जुस्को स्कूल बिस्टुपुर, अपने परिसरों में किताबों की बिक्री कर रहे हैं। यह न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है, बल्कि अभिभावकों पर अनावश्यक आर्थिक दबाव भी डालता है।

THE NEWS FRAME

Read more : एनआईटी जमशेदपुर में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर संवाद सत्र आयोजित

पिछले आदेशों की भी हो रही अनदेखी

ज्ञात हो कि जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय द्वारा पूर्व में भी स्पष्ट निर्देश जारी किए गए थे कि:

  • स्कूल परिसर का उपयोग केवल शिक्षण कार्यों के लिए किया जाए।
  • स्कूल किसी भी विशेष विक्रेता से सामग्री खरीदने के लिए छात्रों को बाध्य न करें।
  • किसी भी परिस्थिति में परिसर में किताब या अन्य शैक्षणिक सामग्री की बिक्री न हो।

अभिभावक संघ का कहना है कि इन आदेशों के बावजूद कई स्कूल खुलेआम इन नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, जो न केवल गैरकानूनी है बल्कि नैतिक रूप से भी अनुचित है।

कार्रवाई की मांग

डॉ. उमेश कुमार ने प्रशासन से अनुरोध किया है कि ऐसे सभी स्कूलों पर अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप न्यायसंगत कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी संस्था शिक्षा के नाम पर व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा न दे सके।

संघ ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की उम्मीद जताई है और चेताया है कि यदि इस पर जल्द कदम नहीं उठाया गया, तो अभिभावकों द्वारा जन आंदोलन भी शुरू किया जा सकता है।

वीडियो देखें : 

Loading

Continue Reading

Trending

Copyright © 2017 Zox News Theme. Theme by MVP Themes, powered by WordPress.