एनआईटी जमशेदपुर में एआई और वायरलेस सेंसर नेटवर्क पर दो सप्ताहीय एफडीपी का सफल आयोजन

जमशेदपुर : राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) जमशेदपुर में ई एंड आईसीटी अकादमी, एनआईटी पटना के सहयोग से आयोजित दो सप्ताहीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) “एआई-आधारित बायोमेडिकल एप्लिकेशन के लिए इमेज प्रोसेसिंग (AIIPBM-2025)” और “नेक्स्ट-जनरेशन वायरलेस सेंसर नेटवर्क्स (NGWSN-2025)” सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस आयोजन का उद्देश्य शिक्षकों और शोधकर्ताओं को आधुनिक तकनीकों से परिचित कराना था, जिससे वे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), बायोमेडिकल इमेज प्रोसेसिंग और वायरलेस संचार के क्षेत्र में नवीनतम अनुसंधानों और अनुप्रयोगों को समझ सकें। इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रतिभागियों को न केवल सैद्धांतिक ज्ञान प्राप्त हुआ, बल्कि व्यावहारिक अनुप्रयोगों पर भी गहन चर्चा की गई, जिससे वे इन तकनीकों को अपने शिक्षण और अनुसंधान में प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकें।

एफडीपी का उद्घाटन 17 फरवरी 2025 को एनआईटी जमशेदपुर के निदेशक प्रो. गौतम सूत्रधर द्वारा किया गया। उन्होंने उद्घाटन भाषण में इस बात पर जोर दिया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता और इमेज प्रोसेसिंग के एकीकृत उपयोग से चिकित्सा विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि उन्नत कंप्यूटर विज़न और मशीन लर्निंग एल्गोरिदम के उपयोग से मेडिकल इमेजिंग तकनीकों को अधिक सटीक और स्वचालित बनाया जा सकता है, जिससे निदान और उपचार की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होगा। इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह भी कहा कि वायरलेस संचार तकनीकों का विकास और वायरलेस सेंसर नेटवर्क का प्रभावी उपयोग औद्योगिक स्वचालन, स्मार्ट शहरों और स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों को नई दिशा प्रदान कर सकता है। इस अवसर पर उप निदेशक प्रो. आर. वी. शर्मा और डीन (आर एंड सी) प्रो. एम. के. सिन्हा ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और कार्यक्रम की उपयोगिता पर अपने विचार व्यक्त किए।

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इस दो सप्ताहीय एफडीपी में देशभर के प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों जैसे आईआईटी, एनआईटी और आईआईआईटी के शिक्षकों, शोधकर्ताओं और उद्योग विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस दौरान विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों ने गहन सत्रों का संचालन किया। एआई-आधारित इमेज प्रोसेसिंग एफडीपी में प्रमुख विषयों में कंवोल्यूशनल न्यूरल नेटवर्क (CNN), ट्रांसफॉर्मर आर्किटेक्चर, U-Net मॉडल, डीआईसीओएम (DICOM) डेटा प्रोसेसिंग और मेडिकल इमेज सेगमेंटेशन जैसे उन्नत तकनीकों पर विस्तृत व्याख्यान दिए गए। इसके अलावा, जेनेरेटिव एडवरसैरियल नेटवर्क (GANs) और अटेंशन मैकेनिज्म के माध्यम से उन्नत रोग पहचान प्रणालियों के विकास पर चर्चा की गई। इस कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को एक्स-रे, एमआरआई और सीटी स्कैन डेटा का विश्लेषण करने की नवीनतम तकनीकों से अवगत कराया गया, जिससे वे चिकित्सा क्षेत्र में एआई की बढ़ती भूमिका को और अधिक गहराई से समझ सकें।

नेक्स्ट-जनरेशन वायरलेस सेंसर नेटवर्क्स (NGWSN-2025) एफडीपी में प्रतिभागियों को 5G और 6G नेटवर्क, लो पावर वाइड एरिया नेटवर्क (LPWAN) जैसे LoRaWAN और NB-IoT, वायरलेस सेंसर नेटवर्क प्रोटोकॉल, औद्योगिक IoT और स्मार्ट ग्रिड टेक्नोलॉजी जैसे विषयों से अवगत कराया गया। इस दौरान विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे आधुनिक संचार प्रणालियाँ सेंसर नेटवर्क की दक्षता को बढ़ाकर औद्योगिक और उपभोक्ता अनुप्रयोगों में नई संभावनाओं को जन्म दे सकती हैं। उन्नत वायरलेस तकनीकों के माध्यम से स्मार्ट सिटीज़, हेल्थकेयर मॉनिटरिंग और इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए जा सकते हैं। कार्यक्रम में मल्टी-होप नेटवर्किंग, संचार सुरक्षा, डाटा एक्विजिशन सिस्टम और मशीन लर्निंग-आधारित नेटवर्क ऑप्टिमाइज़ेशन पर भी विस्तृत चर्चा की गई।

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इस एफडीपी के समापन समारोह का आयोजन 28 फरवरी 2025 को किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि प्रो. आशुतोष कुमार सिंह, निदेशक, आईआईआईटी भोपाल और विशिष्ट अतिथि प्रो. एन. बिरादार, प्रधानाचार्य, आरवीआईटीएम ने शिक्षकों और शोधकर्ताओं को उनके ज्ञानवर्धन के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि इन दोनों विषयों पर हुए गहन सत्रों ने प्रतिभागियों को नवीनतम अनुसंधानों से जोड़ने का कार्य किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षकों और शोधकर्ताओं को न केवल वर्तमान तकनीकों को समझना चाहिए, बल्कि उनके उन्नयन और नवाचार में भी योगदान देना चाहिए।

इस कार्यक्रम के सफल आयोजन में डॉ. प्रशांत कुमार, डॉ. जयेंद्र कुमार और डॉ. मृत्युञ्जय राउत की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिन्होंने समन्वयक के रूप में कार्यक्रम की संपूर्ण योजना और संचालन को सुचारू रूप से संपन्न किया। इसके अलावा, संयोजक डॉ. मयंक श्रीवास्तव और डॉ. मुनेन्द्र कुमार तथा छात्र आयुष कुमार अग्रवाल, अजीत कुमार, पंकज कुमार और शशि प्रकाश ने इस आयोजन को सफल बनाने में विशेष योगदान दिया।

इस दो सप्ताह के कार्यक्रम के माध्यम से प्रतिभागियों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इमेज प्रोसेसिंग और वायरलेस संचार की अत्याधुनिक तकनीकों का गहन अध्ययन किया, जिससे वे अपने शिक्षण और अनुसंधान कार्यों में नई तकनीकों को प्रभावी रूप से लागू कर सकें। इस एफडीपी का प्रभाव दूरगामी होगा, क्योंकि इससे शिक्षकों को अपने छात्रों को व्यावहारिक और तकनीकी रूप से समृद्ध शिक्षा देने में सहायता मिलेगी। इस तरह के कार्यक्रम अकादमिक और औद्योगिक अनुसंधान के बीच सेतु का कार्य करते हैं और नवीनतम तकनीकों को शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग बनाने में सहायक होते हैं।

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